
क्या आपको भी बाथरूम में फोन लेकर जाने की आदत है? अगर आपका उत्तर 'हां' है, तो यह जानना जरूरी है कि ज्योतिष के अनुसार यह आदत केवल आपकी लाइफस्टाइल पर ही नहीं, बल्कि आपके ग्रहों, खासकर राहु पर भी प्रभाव डालती है। माना जाता है कि बाथरूम जैसी जगह पर मोबाइल फोन ले जाना राहु को अशांत करता है, जिससे व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता, फोकस, मानसिक ऊर्जा और जीवन में स्थिरता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
इसी विषय पर एस्ट्रोलॉजर सिद्धार्थ एस. कुमार ने विस्तृत जानकारी दी। वह NumroVani के संस्थापक एवं प्रसिद्ध वैदिक और नाड़ी ज्योतिषाचार्य हैं। उनका शोध-आधारित दृष्टिकोण उन्हें सामान्य ज्योतिषियों से अलग बनाता है। उन्होंने IIM जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए हैं और कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। उनके अनुसार, आधुनिक आदतों का ग्रहों पर सूक्ष्म, लेकिन गहरा प्रभाव पड़ता है और बाथरूम में फोन ले जाना उनमें से एक है।
वैदिक शास्त्रों में बाथरूम को तामसिक और अशुद्ध स्थान माना गया है। यह वह जगह है जहां नकारात्मक ऊर्जा ज्यादा होती है, क्योंकि यहां शरीर की गंदगी और भारी ऊर्जा निकलती है। जब आप ऐसे स्थान में फोन लेकर जाते हैं, जो ज्ञान, सूचना और मानसिक ऊर्जा से जुड़ा उपकरण है, तब माना जाता है कि वह भी उसी नकारात्मक ऊर्जा से प्रभावित होता है। इसलिए, यह सिर्फ साफ-सफाई का नहीं, ऊर्जा का भी मामला है।

राहु मन का विचलन, भ्रम, और डिजिटल माध्यमों से जुड़ी ऊर्जा का कारक ग्रह है। इसे आप आसान भाषा में ऐसे समझ सकते हैं कि राहु इंटरनेट, सोशल मीडिया, स्क्रीन, आभासी जगत और सूचना-व्यसन का प्रतीक है। जब कोई व्यक्ति बाथरूम जैसे तामसिक स्थान में मोबाइल लेकर जाता है और वहां समय बिताता है, तब वह दो विरोधी ऊर्जाओं का मिश्रण बनाता है:
यह मिश्रण राहु के तत्व को असंतुलित कर देता है। परिणामस्वरूप मन में भ्रम, चिंता, नकारात्मक विचार, अनावश्यक चिंता, विलंब करने की आदत और ध्यान भटकने जैसी प्रवृत्तियां बढ़ती हैं। यह आदत धीरे-धीरे व्यक्ति को निर्णयहीन, प्रतिक्रियाशील और बेचैन बना सकती है, जो राहु के दूषित प्रभाव का स्पष्ट संकेत है।
अगर ज्योतिष को थोड़ी देर के लिए भूल भी जाएं, तो भी यह आदत शरीर और मानसिक स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।
ज्यादा देर तक कमोड पर बैठना डाइजेशन पर बुरा असर डालता है।
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जब शरीर और मन असंतुलित होते हैं, तो राहु की ऊर्जा स्वतः असंतुलित होती है, क्योंकि राहु का सीधा संबंध तंत्रिका तंत्र, मन और व्यवहार से है। इस प्रकार, आधुनिक विज्ञान भी इस बात को अप्रत्यक्ष रूप से मानता है कि यह आदत जीवन की गुणवत्ता को कम करती है।

शास्त्र कहते हैं कि बाथरूम सिर्फ शरीर को साफ करने की जगह है, ध्यान, सोच, पढ़ाई या मोबाइल पर समय बिताने की जगह नहीं। यदि व्यक्ति इस अनुशासन का पालन करता है और फोन को बाथरूम से दूर रखता है, तो मानसिक स्पष्टता, निर्णय लेने की क्षमता और विचारों में स्थिरता बढ़ती है।
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अगर आपको भी बाथरूम पर फोन लेकर जाते हैं, तो राहु को खराब होने से बचाने के लिए अपनी इस आदत को आज ही छोड़ दें।
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