
देवउठनी एकादशी जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं और इसी के साथ सभी तरह के मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इस एकादशी पर तुलसी माता की पूजा का विशेष विधान है क्योंकि तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय और देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। इस दिन तुलसी पूजन से भक्तों को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, घर में सुख-समृद्धि आती है और अविवाहितों के विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। तुलसी पूजन करते समय नियमों का पालन करना और सही विधि से पूजा करना बहुत जरूरी है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं इस बारे में।
देवउठनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर के मंदिर और पूजा स्थान को गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें। हाथ में थोड़ा सा जल और फूल लेकर भगवान विष्णु के सामने आज के व्रत और तुलसी पूजन का संकल्प लें कि आप पूरे भक्ति भाव से पूजा करेंगे।

तुलसी के पौधे के पास रंगोली या अष्टदल कमल बनाएं। तुलसी के पौधे के चारों ओर 4 गन्ने खड़े करें। तुलसी माता का नियमित तौर पर किया जाने वाला श्रृंगार करें और सोलह श्रृंगार की सामग्री एक थाली में सजाकर उन्हें अर्पित करते हुए उनके समीप रख दें। यही श्रृंगार द्वादशी के दिन होगा।
इसके बाद, तुलसी माता को रोली का तिलक लगाएं। तुलसी माता के घी का दीपक और धूप जलाएं। तुलसी माता के मंत्रों का जाप करें। उनका सबसे प्रिय मंत्र 'ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।' है। इसके अलावा, आप तुलसी चालीसा का पाठ कर सकते हैं।
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फिर तुलसी माता को किसी भी शुद्ध मिठाई का भोग लगाएं और शाम के समय तुलसी के पौधे के पास एकादशी तिथि होने के कारण 11 दीये जलाएं। दीपक में अगर आप हल्दी की गांठ भी रखते हैं तो यह और भी शुभ एवं लाभकारी होगा और आपको पूजा का चौगुना फल प्राप्त हो सकेगा।
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ सकते हैं क्योंकि द्वादशी के दिन तुलसी तोड़ना शास्त्रों में वर्जित माना गया है, लेकिन यह एक भ्रांति है कि एकादशी के दिन तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए। हां, द्वादशी के लिए भोग या पूजा हेतु तुलसी दल एक दिन पहले ही तोड़कर रख लेना चाहिए।

एकादशी के दिन तुलसी को जल नहीं चढ़ाया जाता है क्योंकि इस दिन तुलसी माता का व्रत होता है। तुलसी पूजन और व्रत के दिन घर में लहसुन, प्याज या तामसिक भोजन बिल्कुल भी न पकाएं। व्रती को एकादशी के दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। दूध या फल खाए जा सकते हैं।
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी के पास गंदगी न छोड़ें। तुलसी के आसपास साफ-सफाई रखें और तुलसी माता का आसपास का स्थान रंगोली एवं फूलों से अवश्य सजाएं। पूजा के दौरान, तुलसी माता को सिर्फ लाल चुनरी या वस्त्र अर्पित करें क्योंकि वह सौभाग्य का प्रतीक है।
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देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी माता की पूजा के बाद हमेशा भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप या उनके नाम का जाप अवश्य करें। बिना विष्णु पूजन के तुलसी माता कभी भी प्रसन्न नहीं होती है और ऐसी स्थिति में मां लक्ष्मी भी घर एवं व्यक्ति के जीवन में नहीं टिकती हैं।
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