
हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि पितरों की शांति और तर्पण के लिए विशेष मानी जाती है, लेकिन पौष मास की अमावस्या का महत्व और भी अधिक है। पौष मास को 'छोटा पितृ पक्ष' भी कहा जाता है, इसलिए इस दिन पितरों के निमित्त किए गए कार्य सीधे उन तक पहुंचते हैं। मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या की रात सबसे अंधेरी होती है और दीपदान के जरिए हम अपने पितरों के मार्ग को आलोकित करते हैं। पितरों के लिए दीपदान करने से वे प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को सुख, समृद्धि और आरोग्य का आशीर्वाद देते हैं। अगर आपके जीवन में पितृ दोष के कारण बाधाएं आ रही हैं तो पौष अमावस्या पर सही स्थान और संख्या में दीये जलाना आपके कष्टों को दूर कर सकता है। आइये जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
पितरों के निमित्त दीपदान करने के लिए सबसे प्रमुख स्थान घर की दक्षिण दिशा मानी जाती है। वास्तु और शास्त्रों के अनुसार दक्षिण दिशा पितरों का निवास स्थान है। अमावस्या की शाम को घर के दक्षिण कोने में एक दीपक जलाना चाहिए।

इसके अलावा, अगर संभव हो तो किसी पवित्र नदी जैसे गंगा, यमुना के तट पर दीपदान करें। यदि नदी पास न हो, तो पास के किसी पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना बहुत शुभ होता है क्योंकि पीपल में देवताओं के साथ-साथ पितरों का वास माना गया है।
साथ ही, घर की चौखट और पीने के पानी के स्थान के पास भी दीया रखना चाहिए क्योंकि पूर्वज जल के स्थान पर भी आते हैं।
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पौष अमावस्या पर दीयों की संख्या का भी विशेष महत्व है। मुख्य रूप से पितरों के नाम पर कम से कम 1 या 2 दीये तो जरूर जलाने चाहिए, एक दक्षिण दिशा के लिए और एक पीने के पानी के स्थान के लिए।
हालांकि, पितृ दोष से मुक्ति और विशेष आशीर्वाद के लिए 5, 11 या 21 दीये जलाने की परंपरा भी है। इन दीयों को आप घर के मुख्य द्वार, पीपल के पेड़, मंदिर और नदी के किनारे बांटकर रख सकते हैं। संख्या से अधिक आपकी श्रद्धा मायने रखती है, इसलिए जितने भी दीये जलाएं मन में पूर्वजों का ध्यान करें।
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पितरों के लिए जलाए जाने वाले दीपक में हमेशा ससों के तेल या तिल के तेल का उपयोग करना चाहिए। दक्षिण दिशा में जलाए जाने वाले दीये की लौ भी दक्षिण दिशा की ओर ही होनी चाहिए।

अगर आप पीपल के पेड़ के नीचे दीया जला रहे हैं, तो ध्यान रखें कि पूजा के बाद पीछे मुड़कर न देखें। दीपदान करते समय मन में प्रार्थना करें कि 'हे पितर देव, यह प्रकाश आपके मार्ग को सुगम बनाए और आप हमारे परिवार पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें।'
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