
देवउठनी एकादशी जिसे देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं, हिंदू धर्म में बहुत खास मानी जाती है क्योंकि इस दिन सृष्टि के पालक भगवान विष्णु अपनी चार महीने की लंबी योगनिद्रा से जागते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के जागने के साथ ही पिछले चार महीनों से रुके हुए सभी शुभ और मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि फिर से शुरू हो जाते हैं और इसी दिन शाम को तुलसी विवाह भी कराया जाता है। इस साल 2025 में देवउठनी एकादशी 1 नवंबर, शनिवार को मनाई जाएगी। वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को जगाते समय और उनकी पूजा के दौरान मंत्र जाप करना बहुत शुभ और लाभकारी माना जाता है। ऐसे में आइये जानते हैं कि देवउठनी एकादशी के दिन कौन से मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए और क्या हैं उससे मिलने वाले लाभ?
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को योगनिद्रा से जगाने और उनकी कृपा पाने के लिए कई मंत्रों का जाप किया जाता है। इनमें से 7 प्रमुख मंत्र और उनके लाभ इस प्रकार हैं:

'उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये। त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्॥ उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।' यह मंत्र भगवान विष्णु को उनकी चार माह की निद्रा से जगाने के लिए सबसे मुख्य मंत्र है। इस मंत्र के जाप से भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं और सृष्टि का संचालन फिर से शुरू करते हैं। इसे बोलने से आपके जीवन के रुके हुए सभी शुभ और मांगलिक कार्य बिना रुकावट के शुरू हो जाते हैं, और जीवन में एक नई ऊर्जा आती है।
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'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।' इसे द्वादशाक्षर मंत्र भी कहा जाता है। एकादशी के दिन इस मंत्र का जाप करने से सभी कष्टों और पापों से मुक्ति मिलती है। यह मंत्र आपको सीधे भगवान विष्णु से जोड़ता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है। इस मंत्र का लगातार जाप करने से मन शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

'शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्। विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्। लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्। वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥' यह मंत्र भगवान विष्णु के स्वरूप का वर्णन करता है। इसका पाठ करने से भगवान विष्णु का ध्यान होता है जो संसार के सभी भय और संकटों को दूर करने वाला माना जाता है। इस स्तुति के जाप से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और जीवन में सही दिशा प्राप्त होती है।
'हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।' 'हरि' का अर्थ है 'पापों को हरने वाला'। इस महामंत्र का जाप करने से व्यक्ति के सभी संचित पापों का नाश होता है। देवउठनी एकादशी पर दिन भर इस नाम का जप करने से भगवान की असीम कृपा मिलती है और व्यक्ति मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
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