
16 दिसंबर 2025, मंगलवार का दिन पौष माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है जो विशेष रूप से भगवान विष्णु और उनके वामन अवतार को समर्पित है, इसलिए यह दिन एकादशी के समान ही पुण्यदायी माना जाता है तथा इस तिथि को भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखने से सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त, इस दिन सूर्य का धनु राशि में गोचर होता है जिसे धनु संक्रांति के नाम से जाना जाता है और इसी के साथ एक माह के लिए खरमास की शुरुआत हो जाती है जिसके कारण इस दिन से विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे सभी शुभ और मांगलिक कार्य अगले एक महीने के लिए वर्जित हो जाते हैं। ऐसे में आइये जानते हैं एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी से आज का पंचांग।
| तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
| पौष कृष्ण द्वादशी ( रात 11 बजकर 57 मिनट तक) | स्वाति | मंगलवार | अतिगंड | कौलव |

| प्रहर | समय |
| सूर्योदय | सुबह 07 बजकर 07 मिनट पर |
| सूर्यास्त | शाम 05 बजकर 27 मिनट पर |
| चंद्रोदय | रात 03 बजकर 45 मिनट पर |
| चंद्रास्त | दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर (अगले दिन) |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| ब्रह्म मुहूर्त (सूर्य पूजन का शुभ समय) | सुबह 05 बजकर 18 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक |
| अभिजीत मुहूर्त (सूर्य पूजन का शुभ समय) | दोपहर 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 37 मिनट तक |
| विजय मुहूर्त | दोपहर 02 बजकर 00 मिनट से 02 बजकर 41 मिनट तक |
| गोधूलि मुहूर्त | शाम 05 बजकर 24 मिनट से 05 बजकर 51 मिनट तक |

| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| राहु काल | दोपहर 02 बजकर 52 मिनट से 04 बजकर 09 मिनट तक |
| यमगंड | सुबह 09 बजकर 43 मिनट से 11 बजकर 00 मिनट तक |
| गुलिक काल | दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से 01 बजकर 34 मिनट तक |
16 दिसंबर 2025 को पौष मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है। इस दिन कोई प्रमुख त्यौहार तो नहीं है, लेकिन यह तिथि होने के कारण यह दिन द्वादशी व्रत और भगवान विष्णु की पूजा के लिए अत्यंत शुभ है। इसके साथ ही, यह दिन धनु संक्रांति का भी है जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं। इस संक्रांति के उपलक्ष्य में लोग पवित्र नदियों में स्नान और दान करते हैं जिसे बहुत पुण्यकारी माना जाता है। धनु संक्रांति के बाद एक माह तक विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित हो जाएंगी क्योंकि खरमास का आरंभ आज से हो रहा है जिसमें सूर्य धनु राशि में जाकर धीमी चाल चलते हैं जो मांगलिक कार्यों के लिए उचित नहीं मानी जाती है।
द्वादशी तिथि और धनु संक्रांति के शुभ संयोग के कारण इस दिन पितृ दोष और आर्थिक कष्ट दूर करने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। इस दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें तुलसी दल अर्पित करें। इसके अतिरिक्त, सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं और लोटे के जल में लाल चंदन मिलाएं इससे नौकरी और व्यापार में तरक्की मिलती है। धनु संक्रांति पर गरीबों को अन्न, वस्त्र या तिल का दान करने से सूर्य देव और पितर दोनों प्रसन्न होते हैं जिससे जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
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