Baidyanath Jyotirling: छल से इस स्थान पर उत्पन्न हुए थे शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग एक साथ, जानें क्या है मान्यता

ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माने जाते हैं। इन स्थानों पर भगवान शिव स्वयंभू रूप से विराजमान हैं। पुराणों के अनुसार, भगवान शिव ने ज्योतिर्लिंगों के रूप में अपनी अनंत ज्योति का प्रकटीकरण किया था।

Deoghar Baidyanath dham jyotirling significance ()
Deoghar Baidyanath dham jyotirling significance ()

ज्योतिर्लिंग शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। ज्योति का अर्थ है "प्रकाश" और लिंग का अर्थ है "शिव का प्रतीक"। ज्योतिर्लिंग सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यहां भगवान शिव स्वयंभू रूप में विराजमान हैं। ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के सर्वोच्च स्वरूपों में से एक माने जाते हैं। इनके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति और सभी पापों का नाश होता है।

ज्योतिर्लिंगों को भगवान शिव का अखंड और ज्योतिर्मय स्वरूप माना जाता है। इनकी पूजा करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बता दें, ज्योतिर्लिंग भारत की समृद्ध संस्कृति और धरोहर का प्रतीक हैं। अब ऐसे में आइए इस लेख में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तार से जानते हैं। साथ ही इस ज्योतिर्लिंग की मान्यता क्या है और इससे जुड़ी कथा क्या है।

बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग कहां है स्थित?

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बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के झारखंड राज्य में देवघर शहर में स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो भगवान शिव के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में गिने जाते हैं। बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। श्रावण मास में यहां लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं।

बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा क्या है?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिवभक्त रावण चाहता था कि भगवान शिव कैलाश छोडक़र लंका में रहें। इसलिए रावण ने कैलाश में घनघोर तपस्या की। एक-एक कर अपने सिर शिवलिंग पर चढ़ाने लगा, जैसे ही वह दसवां सिर काटने चला, भगवान प्रकट हो गए और वरदान मांगने का कहा। रावण ने भगवान शिव को लंका चलने की इच्छा बताई। भगवान शिव ने मनोकामना पूरी की, साथ ही शर्त भी रखी। उन्होंने कहा कि अगर तुमने शिवलिंग को कहीं रास्ते में रख दिया, तो तुम उसे दोबारा उठा नहीं पाओगे। शिव जी की इस बात को सुनकर सभी देवी-देवता चिंतित हो गए।

सभी इस समस्या को दूर करने के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंच गए। भगवान विष्णु ने इस समस्या के समाधान के लिए एक लीला रची। उन्होंने वरुण देव को आचमन करने रावण के पेट में जाने का आदेश दिया। जिसके कारण रावण को देवघर के पास लघुशंका लग गई। रावण को समझ नहीं आया क्या करे, तभी उसे बैजू नाम का ग्वाला दिखाई दिया। रावण ने बैजू को शिवलिंग पकड़ाकर लघुशंका करने चला गया। वरुण देव की वजह से रावण कई घंटों तक लघुशंका करता रहा। जिससे शाम से रात हो गया। फिर बैजू रूप में भगवान विष्णु ने मौके का फायदा उठाते हुए शिवलिंग वहीं रख दिया। वह शिवलिंग वहीं स्थापित हो गया। जिसके कारण इसका नाम बाबा बैद्यनाथ पड़ गया। बता दें, यही एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां पर शिव और शक्ति एक साथ विराजमान हैं। यही कारण है कि इसे शक्ति पीठ और हृदय पीठ भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस नगरी में आने से शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद मिलता है।

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बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी मान्यताएं क्या है?

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मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजा करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। कहा जाता है कि यहां दर्शन करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। बा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को रोग नाशक माना जाता है। यहां आकर भगवान शिव से प्रार्थना करने से सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है। बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां आकर भगवान शिव से प्रार्थना करने से अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को ग्रहों की शांति के लिए भी पूजा जाता है।

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शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग एक साथ हैं विराजित

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बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। वहीं इसके साथ ही इस पवित्र स्थल पर 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ के रूप में भी है। जहां शिवलिंग स्थापित है। उनके चारों और शक्ति रूपेण देवी स्थापित हैं। यहां दसों महाविद्याओं का सार्थक और सौम्य स्वरुप विराजमान है। माता पार्वती के साथ-साथ सब देवी यहां शक्ति स्वरूपा विद्यमान है।

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Image Credit- HerZindagi

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