
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का महत्व बहुत अधिक है क्योंकि यह भगवान शिव को समर्पित है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए सबसे शुभ और शक्तिशाली माना जाता है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को सूर्यास्त के समय जिसे प्रदोष काल कहा जाता है, उसमें रखा जाता है। मान्यता है कि इस समय भगवान शिव बहुत प्रसन्न होकर कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं और अपने भक्तों की प्रार्थना तुरंत सुनते हैं। इस व्रत को रखने से व्यक्ति के सभी दुख, कष्ट और पाप दूर हो जाते हैं और उसे लंबी आयु, अच्छा स्वास्थ्य तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही यह व्रत विशेष रूप से मोक्ष की ओर ले जाने वाला माना जाता है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि दिसंबर महीने का पहला प्रदोष व्रत 2 दिसंबर,मंगलवार के दिन पड़ रहा है। इस दिन भगवान शिव के इन मन्त्रों का जाप करने से आपको उनकी कृपा मिल सकती है।
ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥: यह मंत्र भगवान शिव का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। इस मंत्र का जाप करने से आपको गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है और लंबी आयु प्राप्त होती है। यह मंत्र जीवन में आने वाले अचानक संकटों और अकाल मृत्यु के भय को दूर करता है। यह आपको मानसिक शांति देता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। प्रदोष व्रत पर इसका जाप करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।

ओम नमः शिवाय॥: यह भगवान शिव का सबसे सरल और मूल मंत्र है। इसे जपने के लिए किसी विशेष विधि की आवश्यकता नहीं होती। इस मंत्र का लगातार और सच्चे मन से जाप करने से भगवान शिव अतिशीघ्र प्रसन्न होते हैं। यह मंत्र आपको हर तरह के भय से मुक्ति दिलाता है और सभी मनोकामनाओं को पूरा करता है। इस मंत्र के जाप से मन शांत होता है, तनाव दूर होता है और व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है।
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ओम नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ओम॥: यह मंत्र शिव पंचाक्षर मंत्र का ही विस्तृत रूप है, जिसका अर्थ है, "हे शिव! आप मेरे लिए सब कुछ शुभ और मंगलमय करें।" इस मंत्र का जाप करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। यह आपके जीवन से नकारात्मकता को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश कराता है। यह मंत्र पारिवारिक जीवन को मधुर और शांत बनाने में भी बहुत सहायक है।

ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥: यह मंत्र शिव भक्ति को समर्पित एक शक्तिशाली गायत्री मंत्र है। इसका जाप करने से ज्ञान, बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है। यह आपको सही और गलत का भेद समझने की शक्ति देता है और एकाग्रता बढ़ाता है। यह मंत्र भगवान शिव के दिव्य प्रकाश को आपके जीवन में लाता है, जिससे आप जीवन के हर क्षेत्र में सही निर्णय ले पाते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं।
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नमामीशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपम्। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्॥: यह मंत्र भगवान शिव की स्तुति है। इसका जाप करने या इसे सुनने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है। यह विशेष रूप से सभी प्रकार के कष्टों, बाधाओं और शत्रुओं से मुक्ति दिलाता है। अगर आपके जीवन में बहुत अधिक संघर्ष या रुकावटें आ रही हैं, तो इस मंत्र का जाप करने से शिव जी की शक्ति आपकी रक्षा करती है और आपको हर मुश्किल से बाहर निकालती है।
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