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May Darsh Amavasya: क्या होती है दर्श अमावस्या और क्यों है अन्य तिथियों से अलग? मई महीने की इस शुभ तिथि के बारे में यहां जानें

हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या काफी अहम होती है। इस दिन ज्यादातर लोग चंद्र देवता की पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन को पितरों को समर्पित किया जाता है। इसलिए इस दिन पूजा भी अलग तरह से की जाती है।
Editorial
Updated:- 2025-05-26, 09:26 IST

Kab Hai Darsh Amavasya: जब भी कोई तिथि की बात आती है, तो हम सबसे पहले हिंदू पंचांग को खोलकर देखते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि हमें सही तिथि की जानकारी हो जाती है। अमावस्या के दिन ज्यादातर लोग भगवान सूर्य देव की आराधना करते हैं। लेकिन एक अमावस्या ऐसी होती है, जो काफी अहम होती है। इस समय मार्गशीर्ष का महीना चल रहा है और इस मई के महीने में आने वाली अमावस्या काफी विशेष महत्व होता है। इसलिए इसे दर्श अमावस्या कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन पितरों की पूजा की जाती है।

दर्श अमावस्या अन्य तिथियों से कैसे अलग होती है

Amavasya

दर्श अमावस्या अन्य तिथियों से काफी अलग होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि दर्श का अर्थ है दिखाना और अमावस्या का अर्थ होता है चंद्रमा रहित रात। दर्श अमावस्या के दिन आप लोग अपने पूर्वजों की पूजा करते सकते हैं, तर्पण कर सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन चांद धरती से दूर होता है। इसकी वजह से उसकी छाया धरती पर नहीं पड़ती है। ऐसे में विधिपूर्वक पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से उन्हें मुक्ति मिलती है। इस दिन गरीबों को भोजन, वस्त्र और अन्य चीजें दान दें। साथ ही, पूजा पाठ करवाएं।

दर्श अमावस्या कब है

Darsh amavasya

पंडित जन्मेश द्विवेदी  जी  के बताए अनुसार इस बार दर्श अमावस्या  26 मई, 2025 को पड़ रही है। सोमवार के दिन 12 बजकर 11 मिनट से 27 मई 2025 मंगलवार सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर खत्म हो जाएगी। इसलिए आपको इन्हीं समय में पितरों की पूजा करनी होगी। साथ ही, दान भी आप इसी समय कर सकते हैं। इससे आपकी पूजा पितरों को लग जाएगी।

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मई महीने की इस शुभ तिथि के बारे में जानें

Pita daan

मई 2025 में दर्श अमावस्या 26 को पड़ रही है। जिसे कई सारे लोग ज्येष्ठ अमावस्या के नाम से भी जानते हैं। इस दिन में इस साल वट सावित्री व्रत भी पड़ रहा है। इस त्योहार को भी उसी तिथि में मनाया जाएगा।

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दर्श अमावस्या में अगर आप तर्पण या पितरों से जुड़ी पूजा-पाठ कर रहे हैं, तो ऐसे में आप पंडित जी से ही इसका पूजन करवाएं। इससे आपके द्वारा की गई पूजा सही तरीके से हो पाएगी।

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