हिंदू धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व है। हर दिन सुबह शाम भगवान की सेवा और पूजा होती है। फूल, बेलपत्र, भोग और आरती के लिए धूप-दीप ये पूजा के मुख्य सामग्री है, जिसके बिना पूजा अधूरी मानी गई है। पूजा की सारी विधियों के बाद लोग भगवान के सामने आरती कर धूप-दीप और कपूर जलाते हैं। पूजा पाठ में इन तीनों का बहुत महत्व है। पूजा के दौरान भगवान के सामने धूप-दीप और कपूर जलाने से घर की शुद्धता होती है और साथ ही, घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। ये तो रही कपूर, धूप और गुग्गल को जलाने के फायदे की बात, लेकिन क्या आपको पता है कि इसे जलाने का सही तरीका और नियम क्या है। इसे कभी भी और कहीं भी नहीं जलाते हैं, ऐसे में चलिए एस्ट्रो एक्सपर्ट पंडित शिवम पाठक जी से जानते हैं कि आखिर पूजा और आरती के वक्त गुग्गल, धूप और कपूर को कैसे जलाना चाहिए।
कपूर जलाने का सही तरीका क्या है?
घर में आरती के वक्त अक्सर कपूर जलाते हैं। बहुत से लोग कंडे के ऊपर कपूर जला देते हैं, तो वहीं ऐसे भी लोग हैं जो कपूर को जलते हुए दीप के ऊपर ही रख देते हैं। बता दें कि यह कपूर जलाने का सही तरीका नहीं है। कपूर को हमेशा एक अलग पीतल के दीपक के ऊपर रखकर जलाना चाहिए और भगवान की कपूर से आरती करते वक्त इस मंत्र को बोलना चाहिए।
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कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
धूप जलाने का सही नियम क्या है?
बाजार में दो तरह के धूप मिलते हैं, एक धूपबत्ती या कोन और दूसरा धूप हवन सामग्री में पाउडर की तरह।धूपबत्ती या कोन को जलाने के बाद हमेशा किसी मिट्टी या पीतल के दीपक के ऊपर रखना चाहिए। वहीं पाउडर वाले धूप को हमेशा गोबर के कंडे या आम, पलाश और बेल की लकड़ी में किसी एक को जलाकर उसमें जलाना चाहिए। आग में धूप डालने से पहले आग की पूजा करें फिर भगवान को धूप अर्पित करना चाहिए।
गुग्गल जलाने का सही नियम क्या है?
गुग्गुल गोंद की तरह होता है, जिसे जलाने पर बहुत अच्छी सुगंध आती है। गुग्गल जलाते वक्त कंडे या आम, पलाश और बेल की लकड़ी में आग लगाएं। फिर आग की पूजा करें और गुड़ घी का भोग लगाएं। अब गुग्गल जलाकर तीन बार आचमन कर भगवान को गुग्गल समर्पित करें। भगवान को गुग्गल का धुआँ दिखाएं और फिर घर में सभी ओर इसे घुमाएं। घर में इसके धुआँ से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
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