सावन का पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित है और इस दौरान उनकी पूजा-अर्चना का विशेष महत्व माना जाता है। शिव भक्तों के लिए यह माह बहुत खास होता है, क्योंकि श्रद्धालु इस दौरान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए अनेक प्रकार के अनुष्ठान करते हैं। इन सभी अनुष्ठानों में बेलपत्र का अपना एक अनूठा और सर्वोच्च स्थान है। बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और माना जाता है कि इसे अर्पित करने मात्र से महादेव प्रसन्न हो जाते हैं। ज्योतिषशास्त्रों के अनुसार, बेलपत्र के कुछ विशेष उपायों से भगवान शिव के साथ-साथ माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु (लक्ष्मी-नारायण) की भी असीम कृपा प्राप्त की जा सकती है। यह जानकर आपको हैरानी हो सकती है, पर ज्योतिष और धार्मिक ग्रंथों में ऐसे उपायों का उल्लेख मिलता है जो धन, सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं। इस लेख में आपको सावन में बेलपत्र के कुछ ऐसे चमत्कारी उपायों के बारे में बताया गया है, जिन्हें करने से भगवान शिव के साथ-साथ लक्ष्मी-नारायण का भी आशीर्वाद मिलता है। हालांकि, इन उपायों को करते समय कुछ महत्वपूर्ण नियमों और सावधानियों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है, तभी उनका पूर्ण फल प्राप्त होता है। आइए ज्योतिषाचार्य अरविंद त्रिपाठी जी से बेलपत्र के इन उपायों के बारे में जानते हैं, ताकि आप सावन के इस पावन महीने में अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें।
सावन में बेलपत्र के इन उपायों से पाएं शिव और लक्ष्मी-नारायण की कृपा
सावन मास भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित है और इस दौरान बेलपत्र का प्रयोग अत्यंत शुभ माना जाता है। बेलपत्र भगवान शिव को अति प्रिय है, क्योंकि माना जाता है कि इसमें त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बेलपत्र के कुछ विशेष उपाय ऐसे भी हैं, जिनसे सिर्फ भोलेनाथ ही प्रसन्न नहीं होते हैं, बल्कि धन की देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त की जा सकती है। साथ ही, इससे घर में सुख-समृद्धि भी आती है।
धन-वृद्धि के लिए करें ये उपाय
सावन के महीने में किसी भी सोमवार या प्रदोष तिथि पर, 108 बेलपत्र लें। इन बेलपत्रों पर चंदन से 'ॐ नमः शिवाय' लिखें। इन सभी बेलपत्रों को एक-एक करके भगवान शिव को अर्पित करें। इसके बाद, इन्हीं में से सात बेलपत्रों को उठाकर अपने घर के धन स्थान जैसे- तिजोरी, अलमारी जहां पैसे या गहने रखते हों, उस जगह पर रख दें। माना जाता है कि ऐसा करने से धन में वृद्धि होती है और घर में लक्ष्मी का वास होता है।
कर्ज मुक्ति और समृद्धि के लिए
सावन के किसी भी दिन, पांच बेलपत्रों को गंगाजल से अच्छी तरह धो लें। इन बेलपत्रों को शिवलिंग पर अर्पित करें। इसके बाद, इन्हीं में से एक बेलपत्र को उठाकर अपने वॉलेट या पर्स में रख लें। मान्यता है कि यह उपाय कर्ज मुक्ति में सहायक होता है और धन का आगमन सुनिश्चित करता है।
पारिवारिक सुख और शांति के लिए
सावन में प्रत्येक सोमवार को शिव मंदिर जाएं और तीन पत्तियों वाले बेलपत्र को शिवलिंग पर अर्पित करें। बेलपत्र अर्पित करते समय अपनी मनोकामना बोलें और परिवार के सुख-शांति की प्रार्थना करें। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और परिवार में खुशहाली आती है।
मनोकामना पूर्ति के लिए
सावन के महीने में किसी शुभ मुहूर्त में बेलपत्र के वृक्ष की पूजा करें। सावधानी से वृक्ष की एक छोटी सी जड़ को निकाल लें। इस जड़ को गंगाजल से धोकर अपने घर के पूजा स्थान पर स्थापित करें। माना जाता है कि यह जड़ घर में सकारात्मकता लाती है और मनोकामना पूर्ति में सहायक होती है।
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बेलपत्र अर्पित करने के महत्वपूर्ण नियम और सावधानियां
इन उपायों को करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, तभी इनका पूर्ण फल प्राप्त होता है।
- भगवान शिव को हमेशा अखंडित बेलपत्र ही अर्पित करना चाहिए। कटा-फटा, टूटा हुआ या दाग-धब्बे वाला बेलपत्र मान्य नहीं होता।
- बेलपत्र हमेशा तीन पत्तियों वाला (त्रिदली) ही होना चाहिए। इससे कम या ज़्यादा पत्तियों वाला बेलपत्र पूजा में विशेष प्रभावी नहीं माना जाता।
- बेलपत्र को हमेशा उसकी चिकनी वाली तरफ से शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। इसकी खुरदुरी या नस वाली तरफ ऊपर की ओर होनी चाहिए।
- बेलपत्र की डंठल (डंडी) को शिवलिंग की ओर करके अर्पित किया जाता है, ताकि बेलपत्र का चिकना हिस्सा शिवलिंग को स्पर्श करे।
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- बेलपत्र को कभी भी चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि को नहीं तोड़ना चाहिए। यदि इन तिथियों पर पूजा करनी हो, तो बेलपत्र को एक दिन पहले ही तोड़ लेना चाहिए।
- बेलपत्र कभी भी बासी नहीं होता है। यदि ताजे बेलपत्र उपलब्ध न हों, तो पहले से चढ़ाए गए बेलपत्र को धोकर भी दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है।
- बेलपत्र अर्पित करने से पहले उन्हें पानी से अच्छी तरह धो लेना चाहिए।
- किसी भी पूजा या उपाय को करते समय पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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