ज्योतिष के अनुसार आपके जीवन में तिलक लगाने का विशेष महत्व है। तिलक अक्सर माथे पर लगाया जाता है लेकिन शरीर के कुछ अन्य स्थानों पर भी तिलक लगाने का अपना अलग प्रभाव और महत्व हो सकता है।
तिलक जहां अलग स्थानों पर लगाया जाता है वहीं अलग सामग्रियों से भी इसे लगाना शुभ माना जाता है। तिलक अक्सर कुमकुम, चन्दन, रोली, भस्म और हल्दी से लगाया जाता है। हर एक सामग्री से तिलक लगाने का अपना अलग ज्योतिष महत्व होता है।
यदि आप हल्दी से माथे या शरीर के कुछ विशेष स्थानों पर तिलक लगाती हैं तो जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहती है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार के अनुसार हल्दी का तिलक माथे के साथ गर्दन पर लगाना भी विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया जी से जानें इसके ज्योतिष लाभों के बारे में कुछ बातें।
गर्दन पर हल्दी का तिलक लगाने से मिलता है बृहस्पति का आशीर्वाद
ज्योतिष की मानें तो हर एक सामग्री से और किचन में इस्तेमाल होने वाले मसालों का संबंध किसी न किसी ग्रह से जरूर होता है और उन्हें मजबूत करने के लिए इन्हीं सामाग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है।
शरीर के विशिष्ट अंगों को संबंधित ग्रहों से जोड़ा जाता है। ऐसे ही गर्दन के हिस्से को ज्ञान का स्थान माना जाता है और यदि इस स्थान को मजबूत करने के लिए आप हल्दी का तिलक लगाती हैं तो आपके, ज्ञान और परोपकार में वृद्धि होने के साथ आपके गुरु ग्रह को मजबूत करने में मदद मिलती है।
बृहस्पति ग्रह को ऊर्जा ज्ञान, आध्यात्मिक विकास और प्रचुरता की खोज से झोपड़ा जाता है। गर्दन पर हल्दी का तिलक लगाकर, लोग बृहस्पति के आशीर्वाद का आह्वान करते हैं, इसके गुणों को अपने जीवन में स्वीकार करते हैं।
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शुद्धता और सुरक्षा प्रदान करता है गर्दन पर हल्दी का तिलक
हल्दी एक ऐसा मसाला है जो औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। यदि आप गर्दन पर हल्दी का तिलक लगाती हैं तो ये कई दोषों से मुक्ति दिलाने में मदद करता है और शरीर को शुद्धता प्रदान करता है।
जब इसे गर्दन पर लगाया जाता है, तो यह शुद्धि और सुरक्षा का प्रतीक होता है। नकारात्मक प्रभावों और बीमारियों के खिलाफ एक ऊर्जावान ढाल प्रदान करने के लिए इसे सबसे अच्छी सामग्री माना जाता है।
हल्दी का तिलक शरीर के सभी चक्रों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है
गर्दन शरीर का एक ऐसा स्थान है जो सिर और हृदय के बीच एक पुल की तरह काम करता है। यह संचार और अभिव्यक्ति से गहरा संबंध रखती है। हल्दी का महत्व इस क्षेत्र तक भी फैला हुआ है।
शरीर के चक्रों के दायरे में, गले में विशुद्ध चक्र होता है, जो आत्म-अभिव्यक्ति, प्रामाणिकता और रचनात्मकता से जुड़ा होता है। हल्दी के प्रयोग को शरीर के इस चक्र को संतुलित और सक्रिय करने, स्पष्ट और अधिक प्रभावी संचार को बढ़ावा देने में मदद करता है। साथ ही, इससे शरीर के अन्य चक्रों को भी मजबूत बनाने में मदद मिलती है।
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गर्दन पर हल्दी का तिलक लगाने से सौंदर्य और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है
गर्दन पर हल्दी लगाना एक पारंपरिक सौंदर्य और स्वास्थ्य अभ्यास है जो काफी हद तक लाभदायक होता है। स्वस्थ त्वचा को बढ़ावा देने, शरीर को सेहतमंद बनाए रखने और बाहरी प्रदूषकों से बचाने के लिए गर्दन पर हल्दी का तिलक लगाना शुभ होता है।
इसे सौंदर्य दिनचर्या में एक मांग वाला घटक माना जाता है। गर्दन पर हल्दी का प्रयोग इस विश्वास का प्रतीक है कि आंतरिक कल्याण शरीर, मन और आत्मा में सामंजस्य स्थापित करते हुए बाहर की ओर फैलता है। गर्दन पर हल्दी का तिलक लगाने से कई नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
शरीर के इन हिस्सों में भी लगाया जाता है हल्दी का तिलक
हल्दी का तिलक माथे पर लगाना सबसे शुभ माना जाता है और इससे मानसिक शांति के साथ सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। हल्दी का तिलक मस्तक के बीचो-बीच लगाया जाता है जिससे यह शरीर के 7 चक्रों को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही नाभि में हल्दी का तिलक लगाने से शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है ।
यदि आप भी गर्दन और शरीर के अन्य हिस्सों में हल्दी का तिलक लगाती हैं तो आपको समस्त दोषों से मुक्ति मिलती है और ज्योतिष के अनुसार इसके कई लाभ होते हैं। गर्दन पर हल्दी लगाने की प्रथा केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि इससे होने वाले लाभ इसे एक अनिवार्य प्रक्रिया के रूप में दिखाता है।
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