हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष रूप से करने का विधान है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, जो हर महीने में दो बार आती है - कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में। आपको बता दें, प्रदोष काल यानी सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले का समय, भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यह व्रत भक्तों को सभी परेशानियों से छुटकारा दिलाने के लिए बेहद उत्तम मानी जाती है। अब ऐसे में अगर किसी जातक के विवाह में किसी तरह की कोई समस्या आ रही है तो इस दिन भगवान शिव का नारियल के पानी से अभिषेक करने का विशेष महत्व है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
भगवान शिव का नारियल पानी से अभिषेक करने की विधि
भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए एक शांत और पवित्र स्थान चुनें।
शिवलिंग को एक साफ चौकी पर स्थापित करें।
अभिषेक के लिए आवश्यक सामग्री जैसे जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर गंगाजल और नारियल पानी आदि एकत्रित करें।
फूल, बेलपत्र, अक्षत, चंदन आदि पूजा सामग्री भी रखें।
सबसे पहले शिवलिंग पर जल अर्पित करें।
फिर एक-एक करके अन्य सामग्री अर्पित करें। प्रत्येक सामग्री अर्पित करते समय "ओम नमः शिवाय" या अन्य शिव मंत्रों का जाप करें।
कुछ लोग अभिषेक के लिए विशेष पात्र जैसे श्रृंगी का भी उपयोग करते हैं, जिससे पतली धारा में सामग्री शिवलिंग पर गिरती है।
अभिषेक के दौरान भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों का ध्यान करना और उनकी स्तुति करना महत्वपूर्ण है।
अगर आप भगवान शिव का अभिषेक नारियल पानी से कर रहे हैं तो पीतल के पात्र से करें। इससे शुभ परिणाम मिल सकते हैं और मनोवांछित फलों की भी प्राप्ति हो सकती है।
अभिषेक के बाद शिवलिंग को स्वच्छ जल से धो लें।
चंदन, अक्षत, फूल और बेलपत्र अर्पित करें।
आखिर में भगवान शिव के स्तोत्र का जाप करें।
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भगवान शिव की नारियल पानी से अभिषेक करने का महत्व
नारियल पानी में शीतलता का गुण होता है। भगवान शिव को शांत और शीतल स्वभाव का माना जाता है, इसलिए नारियल पानी से अभिषेक करना उन्हें शांति प्रदान करने में मदद करता है। अगर किसी जातक के वैवाहिक जीवन में कोई परेशानी आ रही है तो भगवान शिव का अभिषेक नारियल पानी से करने से लाभ हो सकता है।
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