अहोई अष्टमी का पर्व माताएं अपनी संतान के कल्याण, लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती हैं। यह व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माताएं बिना पानी पिए दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को अहोई माता की पूजा करती हैं। रात को तारों को देखने के बाद ही व्रत खोला जाता है। इस व्रत को संतान से जुड़ी हर प्रकार की समस्या और कष्टों को दूर करने वाला माना जाता है। इस साल 13 अक्टूबर, सोमवार के दिन अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाएगा। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि इस साल अहोई अष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है, कौन से शुभ योगों का निर्माण हो रहा है और राज्य अनुसार क्या है चंद्रमा एवं तारे निकलने का समय?
अहोई अष्टमी की तिथि का आरंभ 13 अक्टूबर से हो रहा है। ऐसे में व्रत की शुरुआत और संकल्प के लिए दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से समय प्रारंभ होगा। वहीं, अहोई अष्टमी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 53 मिनट से शाम 7 बजकर 08 मिनट तक है। यह अहोई माता की पूजा करने का सबसे उत्तम और शुभ समय है। इस समय माताएं दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाकर उनकी पूजा करती हैं।
इसके अलावा, दिन का सबसे शुभ मुहूर्त जिसका उपयोग आप व्रत का संकल्प लेने या अन्य शुभ कार्य शुरू करने के लिए कर सकते हैं यानी कि अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप अहोई अष्टमी का दान करते हैं तो आपको माता अहोई का अखंड आशीर्वाद मिलेगा और आपकी संतान को आरोग्य का वरदान प्राप्त होगा।
इस साल 13 अक्टूबर को मनाई जाने वाली अहोई अष्टमी बहुत खास है क्योंकि इस दिन एक-दो नहीं, बल्कि चार बहुत ही शुभ योग बन रहे हैं। ज्योतिष के अनुसार, इन योगों के कारण अहोई माता की पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है और संतान को विशेष लाभ मिलता है। इस दिन सिद्ध योग, शिव योग, रवि योग और परिघ योग का निर्माण हो रहा है। ये चारों योगों के प्रभाव से अहोई अष्टमी की पूजा और लाभकारी हो जाएगी।
अहोई अष्टमी के दिन शिव योग 13 अक्टूबर को सुबह लगभग 8 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगा और 14 अक्टूबर की सुबह तक रहेगा। शिव योग के साथ-साथ उसी समय में सिद्ध योग का भी शुभ संयोग बन रहा है। वहीं, रवि योग सुबह 6 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर दोपहर लगभग 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा, परिघ योग 13 अक्टूबर की सुबह 8 बजकर 10 मिनट से पहले समाप्त हो जाएगा।
अहोई अष्टमी का व्रत तारों के दर्शन के बिना अधूरा माना जाता है। माताएं दिन भर निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को तारे देखकर ही व्रत खोलती हैं। चूंकि अलग-अलग राज्यों के भौगोलिक स्थान अलग-अलग होते हैं इसलिए तारों के निकलने के समय में भी कुछ मिनटों का अंतर आता है।
राज्य का नाम |
तारे निकलने का समय |
दिल्ली | शाम 6 बजकर 15 मिनट से 6 बजकर 25 मिनट के बीच |
उत्तर प्रदेश | शाम 6 बजकर 10 मिनट से 6 बजकर 20 मिनट के बीच |
राजस्थान | शाम 6 बजकर 25 मिनट से 6 बजकर 35 मिनट के बीच |
बिहार | शाम 6 बजकर 05 मिनट से 6 बजकर 15 मिनट के बीच |
हरियाणा | शाम 6 बजकर 18 मिनट से 6 बजकर 28 मिनट के बीच |
मध्य प्रदेश | शाम 6 बजकर 25 मिनट से 6 बजकर 35 मिनट के बीच |
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अहोई अष्टमी का व्रत तारों को देखकर संपन्न होता है लेकिन कई राज्यों में चंद्रमा पूजन भी इस दिन किया जाता है। ऐसे में अगर आपके रीति-रिवाज अनुसार, आप चंद्रमा के दर्शन करने और चंद्र अर्घ्य देने के बाद अहोई अष्टमी का व्रत खोलती हैं तो यहां राज्य अनुसार समय देख सकती हैं।
राज्य का नाम |
चंद्रमा निकलने का समय |
दिल्ली | रात 11 बजकर 56 मिनट |
उत्तर प्रदेश | रात 11 बजकर 44 मिनट |
राजस्थान | रात 11 बजकर 56 मिनट |
मध्य प्रदेश | रात 12 बजकर 06 मिनट |
हरियाणा | रात 11 बजकर 56 मिनट |
बिहार | रात 11 बजकर 33 मिनट |
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image credit: gemini, herzindagi
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