
5 नवंबर 2025 का दिन हिंदू पंचांग के अनुसार अत्यंत विशेष है क्योंकि यह कार्तिक पूर्णिमा की पावन तिथि है जिसे देव दिवाली और गुरु नानक जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन का सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि यह सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे कई शुभ योगों के साथ आ रहा है जिससे यह दिन किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान, दान और स्नान के लिए सर्वश्रेष्ठ हो जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि मेष में और शुक्र अपनी स्वराशि तुला में होने से एक शक्तिशाली समसप्तक योग भी बन रहा है जो कुछ राशियों के लिए धन और सौभाग्य में वृद्धि लाएगा। सरल शब्दों में, 5 नवंबर 2025 का दिन गंगा स्नान, दीपदान और मां लक्ष्मी की पूजा के माध्यम से पुण्य और समृद्धि कमाने का एक दुर्लभ अवसर है। ऐसे में आइये जानते हैं एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी से आज का पंचांग।
| तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
| कार्तिक पूर्णिमा | अश्विनी | बुधवार | सिद्धि | विष्टि |

| प्रहर | समय |
| सूर्योदय | सुबह 06:35 बजे |
| सूर्यास्त | शाम 05:32 बजे |
| चंद्रोदय | शाम 05:11 बजे |
| चंद्रास्त | सुबह 06:34 बजे (अगले दिन) |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 04:52 से सुबह 05:44 तक |
| स्नान-दान मुहूर्त | सुबह 04:51 से सुबह 05:43 तक |
| विजय मुहूर्त | दोपहर 01:54 से दोपहर 02:38 तक |
| सर्वार्थ सिद्धि योग | पूरे दिन |
| देव दिवाली पूजन | शाम 05:15 से शाम 07:50 तक |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| राहु काल | दोपहर 12:04 से दोपहर 01:27 तक |
| गुलिक काल | सुबह 10:42 से दोपहर 12:04 तक |
| यमगंड | सुबह 07:58 से सुबह 09:20 तक |
5 नवंबर 2025 का दिन हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा के रूप में मनाया जाएगा, जो साल की सबसे महत्वपूर्ण पूर्णिमा तिथियों में से एक है। इस दिन को देव दिवाली भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सभी देवी-देवता पृथ्वी पर आते हैं और गंगा नदी में स्नान करते हैं, इसलिए भक्त भी पवित्र नदियों में स्नान और दीपदान करते हैं। बनारस के घाटों पर इस दिन लाखों दीये जलाए जाते हैं, जिससे यह दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है। इस दिन दान-पुण्य और सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने का विशेष महत्व है, माना जाता है कि ऐसा करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यह दिन सिख धर्म के अनुयायियों के लिए भी अत्यंत पवित्र है, क्योंकि 5 नवंबर 2025 को सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की जयंती (प्रकाश पर्व) भी मनाई जाएगी। इस दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है और बड़े-बड़े नगर कीर्तन निकाले जाते हैं। साथ ही, यह दिन भीष्म पंचक व्रत के समापन का भी प्रतीक है। भीष्म पंचक व्रत कार्तिक मास के अंतिम पाँच दिनों में रखा जाता है, जो इस शुभ पूर्णिमा पर समाप्त होता है। इस व्रत को भगवान विष्णु और भीष्म पितामह को समर्पित माना जाता है और यह मोक्ष प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
चूंकि यह पूर्णिमा तिथि है, इसलिए कई भक्त इस दिन पूर्णिमा का व्रत भी रखते हैं। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान करने के बाद, पूरे दिन उपवास रखा जाता है और शाम को चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। इसके अलावा, इस दिन तुलसी विवाह के उपरांत शुरू हुए धार्मिक अनुष्ठान और कार्तिक मास के सभी व्रत-नियम भी समाप्त हो जाते हैं। संक्षेप में, 5 नवंबर 2025 का दिन पवित्रता, दान, और उत्सव का एक संगम है, जिसमें हिंदू और सिख दोनों धर्मों के बड़े त्यौहार एक साथ मनाए जाएंगे, जिससे इसकी धार्मिक महत्ता कई गुना बढ़ जाती है।

5 नवंबर 2025 को कार्तिक पूर्णिमा है, इसलिए सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण उपाय है पवित्र नदी में स्नान करना। अगर नदी में जाना संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। ऐसा माना जाता है कि इस दिन के स्नान से सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। स्नान के बाद, अपनी क्षमतानुसार दान अवश्य करें। दान में वस्त्र, अन्न, कंबल, या पैसे शामिल हो सकते हैं। विशेष रूप से, गरीबों और ज़रूरतमंदों को गर्म कपड़े या भोजन दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस उपाय से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।
इस दिन को देव दिवाली भी कहा जाता है, इसलिए दीपदान का विशेष महत्व है। शाम के समय, सूर्यास्त के बाद, अपने घर, तुलसी के पौधे के पास, और खासकर मंदिर में घी या तेल के दीये ज़रूर जलाएं। किसी नदी या तालाब के किनारे दीपदान करना सबसे उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवता पृथ्वी पर प्रसन्न होकर आते हैं और जो व्यक्ति दीपदान करता है, उसके घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। दीपदान से घर में सकारात्मक ऊर्जा और प्रकाश आता है जिससे धन संबंधी सभी रुकावटें दूर होती हैं।
पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की पूजा जरूर करनी चाहिए। शाम को चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को दूध और जल मिलाकर अर्घ्य दें और उनसे सुख-शांति की कामना करें। चंद्र पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है और स्वास्थ्य बेहतर होता है। साथ ही, चूंकि यह गुरु नानक जयंती भी है, इसलिए गुरुद्वारों में जाकर या घर पर ही गुरु नानक देव जी का स्मरण करें और उनके दिए गए ज्ञान को जीवन में उतारने का संकल्प लें। यह उपाय आपको सही राह दिखाता है, आपके जीवन में ज्ञान और शांति लाता है और आपको बड़ों के आशीर्वाद से सफलता दिलाता है।
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