
4 नवंबर 2025 का दिन हिंदू पंचांग के अनुसार कई मायनों में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है और इस दिन कई खास पर्व मनाए जाते हैं। इस दिन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह वैकुण्ठ चतुर्दशी का पर्व है जिसे भगवान विष्णु और भगवान शिव की एक साथ पूजा के लिए बहुत शुभ माना जाता है, खासकर जब यह मंगलवार को पड़ता है। इसके अलावा, इस दिन मणिकर्णिका स्नान का भी विशेष महत्व होता है और कार्तिक महीने के विशेष व्रतों के समापन के करीब होने के कारण इसे बहुत फलदायी माना जाता है। इसके अलावा, यह दिन जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी चौमासी चतुर्दशी के रूप में विशेष होता है। वहीं, इस दिन को कार्तिक पूर्णिमा या देव दिवाली की पूजा हेतु खरीदारी के लिए भी बहुत उत्तम माना जाता है। ऐसे में आइये जानते हैं एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी से आज का पंचांग।
| तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
| कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी | रेवती | बुधवार | वज्र | गर |

| प्रहर | समय |
| सूर्योदय | सुबह 06:37 बजे |
| सूर्यास्त | शाम 05:43 बजे |
| चंद्रोदय | शाम 04:42 बजे |
| चंद्रास्त | सुबह 06:04 बजे (अगले दिन) |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 04:51 बजे से 05:43 बजे तक |
| अभिजीत मुहूर्त | सुबह 11:43 बजे से दोपहर 12:26 बजे तक |
| विजय मुहूर्त | दोपहर 01:54 बजे से दोपहर 02:38 बजे तक |
| सर्वार्थ सिद्धि योग | दोपहर 12:34 बजे से अगले दिन सुबह तक |
| रवि योग | सुबह 06:37 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| राहु काल | दोपहर 02:49 बजे से शाम 04:11 बजे तक |
| गुलिक काल | दोपहर 12:04 बजे से दोपहर 01:27 बजे तक |
| यमगंड | सुबह 09:19 बजे से सुबह 10:42 बजे तक |

4 नवंबर 2025 को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है और इसी दिन वैकुंठ चतुर्दशी का महत्वपूर्ण पर्व मनाया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव के मिलन का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने अपने आराध्य देव भगवान शिव की एक हजार कमल के फूलों से पूजा की थी। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर विष्णु जी को सुदर्शन चक्र भेंट किया था। इसलिए इस दिन को 'हरि-हर मिलन' का दिन भी कहा जाता है।
भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और दोनों देवताओं की एक साथ पूजा करते हैं। भगवान विष्णु की पूजा रात के समय निशीथ काल में की जाती है, जबकि भगवान शिव की पूजा सुबह अरुणोदय काल में करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को स्वर्ग यानी वैकुंठ की प्राप्ति होती है और मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं।
वैकुंठ चतुर्दशी के दिन ही काशी में मणिकर्णिका स्नान का विशेष महत्व है। यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले आता है। इस दिन काशी के मणिकर्णिका घाट पर गंगा नदी में पवित्र स्नान करने की परंपरा है। माना जाता है कि इस घाट पर इस दिन स्नान करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है। यह एकमात्र ऐसा दिन है जब काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु को भी विशेष रूप से विराजमान किया जाता है। भक्त दोनों देवताओं का आशीर्वाद एक साथ प्राप्त करते हैं।
जैन समुदाय में भी यह दिन एक विशेष धार्मिक महत्व रखता है जिसे कार्तिक चौमासी चौदस के रूप में मनाया जाता है। जैन धर्म में चातुर्मास इस तिथि के आस-पास समाप्त होता है। इस दिन जैन अनुयायी उपवास, तपस्या और प्रार्थना करके अपने चातुर्मास के व्रतों का पालन करते हैं और विशेष धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
वैकुण्ठ चतुर्दशी एकमात्र ऐसा दिन है जब भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा एक साथ करने से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग खुलता है। सुबह स्नान करने के बाद, एक ही स्थान पर या एक ही चौकी पर शिवजी और विष्णुजी दोनों की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। भगवान विष्णु को पीला चंदन, पीले फूल और तुलसी दल अर्पित करें, जबकि शिवजी को सफेद चंदन, बेलपत्र, धतूरा और गंगाजल चढ़ाएं। दोनों देवताओं के सामने घी का दीपक जलाकर आरती करें।
अपनी सभी परेशानियों, दुखों और बाधाओं को दूर करने के लिए, इस दिन 'ॐ नमः शिवाय' और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' दोनों मंत्रों का कम से कम 108 बार जाप करें। मान्यता है कि इससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है तथा रोग भी दूर होते हैं।
अगर संभव हो, तो भगवान विष्णु को कमल का फूल या कमल के 1000 फूल अर्पित करें। शाम के समय किसी पवित्र नदी या सरोवर के किनारे या अपने घर के मुख्य द्वार पर कम से कम 14 दीपक जलाकर दीपदान अवश्य करें। दीपदान से माता लक्ष्मी और श्रीहरि की विशेष कृपा मिलती है।
मंगलवार का दिन हनुमान जी और मंगल ग्रह को समर्पित है। यदि कुंडली में मंगल अशुभ हो या जीवन में साहस और ऊर्जा की कमी महसूस हो, तो इस दिन हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। हनुमान जी को बूंदी का भोग लगाएं और लाल रंग का फूल अर्पित करें।
मंगलवार को ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करना कर्ज से मुक्ति दिलाने में बहुत प्रभावी माना जाता है। इसके अलावा, किसी जरूरतमंद को मसूर की दाल (लाल दाल) का दान करने से भी मंगल दोष शांत होता है और धन संबंधी समस्याएँ दूर होती हैं।
रेवती नक्षत्र के देवता पूषा और स्वामी बुध हैं। दोपहर से पहले के समय में, विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई से संबंधित कार्यों में मन लगाना चाहिए। साथ ही, बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए गाय को हरी घास या पालक खिलाना शुभ रहेगा इससे बुद्धि और वाणी का विकास होता है।
अश्विनी नक्षत्र अश्विनी कुमारों से संबंधित है और इसका स्वामी केतु है। स्वास्थ्य संबंधी लाभ और रोगों से मुक्ति के लिए इस समय भगवान अश्विनी कुमारों का स्मरण करें। स्वास्थ्य लाभ के लिए इस दौरान गुड़ और चने का दान करना भी शुभ माना जाता है।
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