हमारे शरीर में 72,000 नाड़ियां होती हैं ये नाड़ियां जाल की तरह पूरे शरीर में फैली हुई हैं। जहां ये नाड़ियां मिलती हैं, वहां एक भंवर सा बन जाता है, जिसे हम चक्र कहते हैं। दरअसल, चक्र संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है पहिया या गोलाकार गति। योग और आयुर्वेद के अनुसार, चक्र शरीर में ऊर्जा केंद्रों को संदर्भित करते हैं। इन चक्रों को प्राण का मुख्य केंद्र माना जाता है। आपको बता दें, हमारे शरीर में 114 माइनर चक्र हैं। उसमें से सात चक्र प्रमुख हैं, जो कि हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी के निचले भाग से लेकर सिर के ऊपर तक होते हैं।
ये सात प्रमुख चक्र हमारी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा को नियंत्रित करते हैं। इन चक्रों का संतुलन हमारी संपूर्ण स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। नियमित ध्यान, योग और संतुलित आहार अपनाकर आप अपने ऊर्जा केंद्रों को संतुलित रख सकते हैं और एक सुखी, स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकते हैं। तो आइए शुभारंभ की काउंसलर एंड फाउंडर व वास्तु -एस्ट्रो कंसलटेंट गीता कत्याल से हम उन चक्रों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
ऊर्जा के प्रमुख सात चक्र, महत्व और उपाय
मूलाधार चक्र (Root Chakra)
- यह चक्र रीढ़ की हड्डी के निचले सिरे पर होता है।
- यह लाल रंग का होता है।
- इसे संतुलित करने के लिए आप जमीन पर बैठकर ध्यान करें।
- इसे ठीक रखने के लिए आपको लाल रंग के फल और सब्जियां जैसे चुकंदर, टमाटर आदि खाना चाहिए।
- वृक्षासन और ताड़ासन करके आप इस चक्र को संतुलित कर सकते हैं।
स्वाधिष्ठान चक्र (Sacral Chakra)
- यह चक्र नाभि के नीचे स्थित होता है, जो कि नारंगी रंग का होता है।
- इस चक्र में रचनात्मकता, यौन ऊर्जा, भावनाएं होती हैं।
- इसे संतुलित रखने के लिए आप पानी के पास बैठकर ध्यान करें।
- इसके अलावा, आपको इसे संतुलित करने के लिए संतरे, कद्दू, और अन्य नारंगी रंग के खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए।
- इसके अलावा, योग जैसे भद्रासन, सुप्त बद्ध कोणासन करके भी इस चक्र को संतुलित कर सकते हैं।
मणिपूरक चक्र (Solar Plexus Chakra)
- यह चक्र नाभि के ऊपर के हिस्से में होता है।
- आत्मविश्वास, शक्ति, इच्छाशक्ति आदि हमारे शरीर में इसी चक्र से आती है।
- इसे हमेशा संतुलित रखने के लिए आपको सूर्य के सामने ध्यान करने की जरूरत है।
- इसके लिए आप अनानास, केले, मक्के का सेवन भी कर सकते हैं।
- इस चक्र को स्वस्थ्य रखने के लिए नौकासन, उष्ट्रासन जैसे योगासन का पालन आप कर सकते हैं।
अनाहत चक्र (Heart Chakra)
- यह चक्र हृदय क्षेत्र में होता है।
- हमारे शरीर में प्रेम, करुणा, संबंध आदि का भाव इसी चक्र से आता है।
- आपको ऊर्जावान रहने के लिए हरे रंग की वस्तुओं को ध्यान में रखना जरूरी है।
- इसे हमेशा सक्रिय रखने के लिए आप हरे पत्तेदार सब्जियां जैसे ब्रोकली आदि का सेवन कर सकते हैं।
- अगर आप योगासन के माध्यम से इसे संतुलित रखना चाहते हैं, तो मत्स्यासन कर सकते हैं।
विशुद्ध चक्र (Throat Chakra)
- यह चक्र गले में होता है।
- हमारे शरीर में संचार, सत्य, आत्म-अभिव्यक्ति आदि के गुण इसी चक्र के कारण होते हैं।
- इसे सवस्थ और एकदम ठीक रखने के लिए आपको नीले आकाश को ध्यान में रखना चाहिए।
- इसके लिए आहार के रूप में ब्लूबेरी और ब्लैकबेरी का सेवन अवश्य करना चाहिए।
- गले में मौजूद इस चक्र को आप मत्स्यासन और सर्वांगासन करके ऊर्जावान रख सकते हैं।
आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra)
- यह खास चक्र हमारे शरीर में भौंहों के बीच में होती है।
- इसके का कारण हमारे अंदर अंतर्दृष्टि, बुद्धि, धारणा जैसी चीजें आती हैं।
- इस चक्र के लिए ब्लूबेरी और अंगूर का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है।
- योगासन जैसे बालासन और गरुड़ासन के माध्यम से आप इन्हें ठीक रख सकते हैं।
सहस्रार चक्र (Crown Chakra)
- यह चक्र सिर के ऊपर स्थित होता है।
- इसके कारण ही हमारे शरीर में आध्यात्मिकता, उच्च चेतना, समर्पण का भाव होता है।
- इसे ठीक रखने के लिए हमेशा शांति और मौन को ध्यान में रखना चाहिए।
- यह आपके लिए फायदेमंद तभी होगा जब आप उपवास या हल्का भोजन करेंगे।
- शीर्षासन और शवासन इसके लिए बेहतर योगासान है।
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Image credit- Herzindagi
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