भगवान शिव की अभय मुद्रा क्या है, क्यों हुआ लोकसभा में इसका जिक्र

राहुल गांधी ने संसद में नेता विपक्ष के तौर पर सोमवार को अपने भाषण में कई बार 'अभयमुद्रा' का ज‍िक्र क‍िया। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं। 

Significance of abhaya mudra mentioned in Parliament ()

18वीं लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान बोलते हुए विपक्ष के नेता बने राहुल गांधी ने संसद में कई मुद्दे उठाए। उन्होंने संविधान की कॉपी हाथ में लेकर कहा कि ‘हमें इसकी रक्षा करनी है और देश ने मिलकर इसकी रक्षा की है। इस दौरान राहुल गांधी ने भगवान शिव की एक एक तस्वीर भी सदन में दिखाई। इस तस्वीर में महादेव अभय मुद्रा में दिखाई दे रहे थे। इस भाषण में राहुल गांधी ने कहा कि अभयमुद्रा का संकेत भगवान शिव, गुरू नानकदेव, ईसा मसीह, भगवान बुद्ध और भगवान महावीर ने भी द‍िया है। अब ऐसे में 'अभय मुद्रा' क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

क्या है शिवजी की अभय मुद्रा का मतलब?

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अभय मुद्रा में भगवान शिव का एक हाथ वरदान के स्वरूप में दिखाया जाता है। जिसका मतलब है सुरक्षा और भयमुक्त जीवन। भगवान शिव ने नटराज रूप में उन्हें दाहिने हाथ से अभयमुद्रा बनाते हुए दर्शाया गया है। महादेव की अभय मुद्रा धर्म के नियमों का पालन करने वालों को बुराई और अज्ञानता दोनों से सुरक्षा प्रदान करता है। अभयमुद्रा यानी कि एक ऐसी मुद्रा जो निर्भय की तरफ इशारा करती है। बता दें, भारत में सभी धर्मों की प्रतिमाओं में इस तरह की मुद्रा नजर आ जाएगी। यह सबसे प्राचीन मुद्रा है। अभय मुद्रा सुरक्षा, संरक्षण, शांति और आश्वासन का प्रतीक भी माना जाता है। इस मुद्रा का उपयोग विशेष रूप से योग और ध्यान केंद्रित करने के लिए किया जाता है।

अभय मुद्रा के लाभ क्या हैं?

bhagwan shiv dhyan mudra

अभय मुद्रा भगवान शिव का विशेष मुद्रा माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अगर आप कोई अपना काम कोई सिद्ध करना चाहते हैं, तो रोजाना भगवान शिव के मंत्रों का जाप अभय मुद्रा में ही करें। इससे मानसिक शांति मिलती है। साथ ही सभी प्रकार के भय से भी छुटकारा मिल सकता है। इसके अलावा अभय मुद्रा आध्यात्मिक शक्ति बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। आंतरिक शांति के लिए अभय मुद्रा भी बेहद शुभ है। बौद्ध परंपरा के अनुसार, अभय मुद्रा शांति का प्रतीक है। इस बात का ध्यान रखें कि निडरता के लिए यह मुद्रा अपने दाहिने हाथ से अभ्यास किया जाना चाहिए।

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Image Credit- HerZindagi

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