अलग-अलग त्‍योहारों पर देखें इन 5 शहरों की रौनक

अगर इस साल आप अपनी छुट्टियों को अलग अंदाज में बिताना चाहती हैं तो हम आपको कुछ ऐसे शहरों के नाम बताएंगे जहां आप जाकर खास-खास त्‍योहारों का आनंद उठा सकती हैं। 

Dandia dev diwali dusshara festivals are celebrated in different way visit these cities
Dandia dev diwali dusshara festivals are celebrated in different way visit these cities

नवरात्री के शुरू होते ही देश में त्‍योहारों की झड़ी लग जाती है। इन त्‍योहारों की रौनक तो वैसे देशभर में रहती हैं मगर देश के कुछ शहर ऐसे हैं जहां अलग-अलग त्‍योहार बेहद खास तरीके से मनाया जाता है। बेस्‍ट बात तो यह है कि इन त्‍योहारों के बहाने अक्‍टूबर से लेकर नवंबर महीने तक ढेर सारी छुट्टियां भ मिल जाती हैं। अगर इस साल आप अपनी छुट्टियों को अलग अंदाज में बिताना चाहती हैं तो हम आपको कुछ ऐसे शहरों के नाम बताएंगे जहां आप जाकर खास-खास त्‍योहारों का आनंद उठा सकती हैं।

Dandia dev diwali dusshara festivals are celebrated in different way visit these cities

मैसूर का दशहरा

हिंदू धर्म को मानने वालों में दशहरे का अलग ही महत्‍व है। देश के अलग-अलग कोने में यह त्‍योहार अलग-अलग तरह से मनाया जाता है मगर साउथ इंडिया में मौजूद मैसूर में दशहरा की रौनक कुछ और ही होती है। यहां पर 10 दिन पहले से ही दशहरे की रौनक दिखने लगती है। इसके साथ ही यहां पर सांस्‍कृतिक कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं। फूड मेला, वुमेन दशहरा जैसे कार्यक्रम होते हैं। दशहरे के दिन मैसूर की सड़कों पर जुलूस निकलता है। इस जुलूस की खासियत यह होती हैं कि इसमें सजे-धजे हाथी के उपर चामुंडेश्‍वरी माता की मुर्ति रखी जाती है और उसे पूरे शहर में घुमाया जाता है। इस मूर्ति की पूजा सबसे पहले रॉयल कपल यानी मैसूर के राजा रानी करते हैं। आपको बतादें कि यह मूर्ति सोने की होती है। इस मौके पर मैसूर महल के सामने एक प्रदर्शनी भी लगती है. दशहरा से शुरू होकर यह दिसंबर तक चलती है. इस एग्जीबिशन में कपड़े, कॉस्मेटिक्स, किचन का सामान, प्लास्टिक का सामान और खाने-पीने की चीजें मिलती हैं. यहां एक गेम एरिया भी होता है, जिसमें तरह-तरह के खेल खेले जा सकते हैं. लोगों में इस एग्जीबिशन के लिए खास उत्साह होता है.

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वृंदावन की शरद पूर्णिमा

माना जाता है, की देश में शरद पूर्णिमा के दिन से मौसम बदलता है और विंटर्स की शुरुआत हो जाती है। इसकी साथ ही इस त्‍योहार से धार्मिक आस्‍था भी जुड़ी हुई हैं। शास्‍त्रों के मुताबिक इस दिन देवताओं की सभा लगती हैं और चांद से अमृत टपकता है। इस त्‍योहार को उत्‍तर भारत बहुत ही खूबसूरती से मनाया जाता है। मगर वृंदावन में इस त्‍योहार की रौनक कुछ और ही हाती हैं। इस दिन वृंदवन में बाकेंबिहारी मंदिर में झांकियां सजती हैं और श्री कृष्‍ण को महारास करते हुए दिखाया जाता है। यहां इस दिन विशेष आरती भी होती है। उत्‍तर भारत में इस दिन घर-घर खीर बनाई जाती है और उसमें अमृत गिरता है।

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अहमदाबाद का डांडिया

हिंदू फेस्टिवल बिना नवरात्रि के अधूरा है। वैसे तो इसे उत्तर भारत के ज्यादातर जगहों पर मनाया जाता है लेकिन गुजरात में इसकी अलग ही धूम देखने को मिलती है। इस दौरान यहां पर डांडिया और गरबा डांस कर मां दुर्गा को प्रसन्‍न किया जाता है। नौ दिनों तक मनाए वाले इस उत्सव में देवी दुर्गा के हर एक रूप की पूजा होती है। नौ रातों को तीन भागों में बांटा गया है। पहले तीन दिन मां दुर्गा को पूजा जाता है। उसके अगले तीन दिनों तक मां लक्ष्मी और अंत के तीन दिन मां सरस्वती की पूजा होती है। दसवें दिन विजया दशमी का उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दौरान अहमदाबाद में नौ दिन तक रात भर बाजार सजे रहते हैं। खाने पीने की भी विशेष व्‍यवस्‍था होती हैं और जगह-जगह गरबा खेला जाता है।

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वाराणसी की देव दिवाली

प्रतिवर्ष कार्तिक महीने की पूर्णिमा को देव दीपावली मनाई जाती है। कार्तिक पूर्णिमा पर काशी (वाराणसी, बनारस) के गंगा तट पर अद्भुत नजारा दिखाई देगा। देव दीपावली का पर्व दिवाली के 15 दिनों के बाद मनाया जाता है। माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव और देवता दीपावली मनाते हैं और इस दिन सभी देवी और देवता काशी जाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को काशी में गंगा के अर्धचंद्राकार घाटों पर दीपों का अद्भुत जगमग प्रकाश 'देवलोक' जैसे वातावरण बना देता है। शाम होते ही सभी घाट दीपों की रोशनी में जगमगा उठते हैं। इस दृश्य को आंखों में समा लेने के लिए लाखों देशी-विदेशी अतिथि घाटों पर उमड़ते हैं। आप भी इस दौरान वाराणसी जाती हैं तो आपको यह अद्भुत नजारा देखने को मिल जाएगा।

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पुष्‍कर का कैमिल फेस्टि‍वल

दुनिया में भगवान ब्रह्मा का एक मात्र मंदिर पुष्‍कर में ही है। पूरे वर्ष यहां पर भक्‍तों की भीड़ रहती हैं मगर कार्तिक माह में एकादशी से पूर्णिमा तक प्रतिवर्ष यहां पर पुष्‍कर मेला लगता है। इस मेले में उंट, घोड़े व अन्‍य पशुओं की खरीद फरोख्‍त होती है। साथ ही यहां पर पशुओं की साज-सजावट का सामान भी मिलता है। मेले में पुरुषों और महिलाओं के पारंपरिक परिधान और घरेलू सजावटी सामान की भी बड़े पैमाने में बिकरी होती है। अगर आपको शॉपिंग करना अच्‍छा अच्‍छा लगता है तो इस दौरान आप भी पुष्‍कर आ सकती हैं। आपको बता दें कि इंटरनेशनल लेवल पर यह दुनिया का सबसे बड़ा मेला होता है और इसे देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं।

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