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Yudhishthir Ka Shrap: युधिष्ठिर ने क्यों दिया था अपनी ही मां कुंती को श्राप

पांडवों के अपनी माता कुंती से बहुत प्रेम था। खासकर युधिष्ठिर का माता कुंती से विशेष लगाव था फिर आखिर क्यों उन्होंने अपनी ही मां को श्राप दे दिया था। आइये जानते हैं महाभारत का ये रोचक किस्सा। 
Updated:- 2023-03-17, 13:39 IST

Yudhishthir Ne Kunti Ko Kyu Diya Shrap: महाभारत से जुड़े ऐसे कई किस्से हैं जो न सिर्फ व्यक्ति को हैरान कर देते हैं बल्कि जीवन की महत्वपूर्ण सीख भी सिखाते हैं। ऐसा ही एक किस्सा है युधिष्ठिर का जिन्होंने अपनी ही मां कुंती को भयंकर श्राप दे डाला था।

श्राप था तो अपनी माता के लिय लेकिन समूची स्त्री जाती इसके अंतर्गत आ गई और आज भी महिलाओं द्वारा यह श्राप भोगा जा रहा है। ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं इस श्राप की कथा के बारे में विस्तार से।

  • महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला था। 18 दिनों के भीषण युद्ध के बाद जब मृत परिजनों और रिश्तेदारों का तर्पण करने की बारी आई तो पांडवों (पांडवों ने क्यों बनवाया था केदारनाथ मंदिर) ने अपनी माता कुंती समेत गंगा तट पर एक महीने तक रहने का निश्चय किया।

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  • दरअसल युद्ध में कौरवों और पांडवों दोनों ही पक्ष के इतने परिजन मारे गए थे कि मात्र एक दिन में किसी का भी तर्पण करना संभव न था। धीरे-धीरे दिन बीतते गए और पांडव एक-एक कर कौरव पक्ष एवं पांडव पक्ष के परिजनों और सगे सम्बन्धियों का तर्पण करते गए।

kunti ko shraap

  • एक माह पूरे होने के साथ-साथ सभी रिश्तेदारों का तर्पण हो गया लेकिन कर्ण का तर्पण युधिष्ठिर ने नहीं किया। युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण और माता कुंती को यह कहते हुए कर्ण का तर्पण करने के लिए मना कर दिया कि वह न तो कोई परिजन था और न ही रिश्तेदार।

yudhishthir curse to kunti katha

  • माता कुंती यह सुन व्याकुल हो उठीं। वह चाहती थीं कि पांडवों द्वारा कर्ण का भी तर्पण हो क्योंकि कर्ण वास्तव में पांडवों का भाई थे लेकिन वह इस सत्य को अपने पांचों पुत्रों को बताने से भयभीत हो रही थीं। वहीं श्री कृष्ण अपनी बुआ यानी कि माता कुंती की दुविधा समझ गए थे।
  • श्री कृष्ण ने माता कुंती को विश्वास दिलाया कि वह उनके साथ हैं और माता कुंती अब अपने पुत्रों को कर्ण का सत्य बता दें। माता कुंती ने भी अपना हृदय कठोर कर पांडवों को इस बात का बोध कराया कि कि कर्ण पांडवों का भाई और माता कुंती का पुत्र था।

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yudhishthir curse to kunti katha in hindi

  • कर्ण का जन्म सूर्य देव के आशीर्वाद से हुआ था किन्तु विवाह के पूर्व जन्म लेने के कारण माता कुंती को कर्ण को त्यागना पड़ा था। यह सुन युधिष्ठिर (श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को जुआ खेलने से क्यों नहीं रोका) अपने क्रोध पर काबू न रख सके और उन्होंने माता कुंती को श्राप देते हुए कहा कि आज से कभी कोई स्त्री अपने पेट में कोई भी बात छुपा नहीं पाएगी।

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  • हालांकि श्री कृष्ण ने युधिस्ठिर को शांत किया और बताया कि माता कुंती गंगा जलके भांति पवित्र हैं और जो हुआ वह समय की मांग थी जिसके बाद युधिष्ठिर का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने अपने माता से क्षमा मांगते हुए कर्ण का तर्पण पूर्ण विधि-विधान से किया।

तो इस कारण से युधिष्ठिर ने दिया था अपनी ही मां कुंती को श्राप। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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