
जिस तरह घर की हर एक जगह का अपना अलग वास्तु होता है, उसी तरह बच्चों के लिए भी वास्तु से जुड़े कुछ नियम बनाए गए हैं। बच्चों की प्रगति के लिए, प्यार, सकारात्मक वाइब्स और अच्छे सपनों से भरा एक स्थान होना चाहिए जो उनके बेडरूम को स्पेशल बनाए। इसी वजह से खासतौर पर जब उनके बेडरूम की बात आती है तब ये बहुत ही स्पेशल होना चाहिए जिससे उनकी एनर्जी बनी रहे। इसलिए बच्चों के बेडरूम के लिए कुछ विशेष नियमों का होना जरूरी होता है और वास्तु विशेषज्ञ इसे कुछ विशेष बनाने की सलाह देते हैं। आइए ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ आरती दहिया जी से जानें कि बच्चों के बेडरूम के लिए कौन से वास्तु टिप्स सबसे अच्छे हैं।  जब बच्चों के बेडरूम की बात आती है तब एक बच्चे का कमरा मस्ती, मनोरंजन और खुशी का केंद्र होना चाहिए। इस प्रकार, इसके लिए एक खुश और समृद्ध वातावरण की आवश्यकता होती है। चाहे उनके बिस्तर की स्थिति हो या उनकी स्टडी टेबल, सब कुछ उनके विकास को सुनिश्चित करने के लिए मायने रखता है। 


जब बात बच्चों के बेडरूम की आती है तब ये एक निश्चित दिशा में होना चाहिए। बेडरूम का वातावरण शांत होना चाहिए जिससे बच्चे को अच्छी नींद आ सके। जब उसकी दिशा की बात आती है तब बेडरूम की सबसे अच्छी दिशा पश्चिम होती है और इसी दिशा में कमरा बच्चों को सबसे ज्यादा एनर्जेटिक बनाता है।
बच्चे को आराम और शांतिपूर्ण नींद के लिए पूर्व या दक्षिण दिशा में सिर करके सोना चाहिए। वास्तु के अनुसार दक्षिण-पश्चिम दिशा में बच्चों का बेडरूम भी शुभ माना जाता है।

बच्चों का बेडरूम एक स्टडी टेबल और एक बुकशेल्फ़ बच्चे के बेडरूम के लिए वास्तु के अनुसार स्टडी टेबल पर किताबें रखने से बचें। वास्तु शास्त्र के अनुसार बुकशेल्फ़ को उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। बुकशेल्फ़ का डिज़ाइन लकड़ी से बनाया जाना चाहिए न कि मेटल से। मेटल बुकशेल्फ़ बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। स्टडी टेबल पर कभी भी किताबें न रखें।
यदि आप बच्चों के बेडरूम के लिए यहां बताए वास्तु टिप्स आजमाएंगी तो बच्चों को तेज दिमाग के साथ अच्छी सेहत भी मिल सकती है।
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बच्चों के बेडरूम का दरवाजा हमेशा पूर्वमुखी होना चाहिए। यदि बेडरूम का कलर सफ़ेद हो और दरवाजा पूर्व दिशा में हो तो यह अच्छा माना जाने के साथ बच्चों को अच्छी नींद के लिए भी प्रेरित करता है। सकारात्मक और खुशहाल वातावरण के लिए बच्चों के कमरे का दरवाजा पूर्व की ओर ही होना चाहिए। इसे दक्षिण दिशा में खुलना चाहिए। वास्तु के अनुसार, बेडरूम के दरवाजे पर बोर्ड या चिन्ह न लटकाएं।

कभी भी बच्चों के बेडरूम के मुख्य दरवाजे के सामने खिड़की या दरवाजे नहीं होने चाहिए। बच्चे का बिस्तर दरवाजे, खिड़की या शीशे के सामने नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे नींद अच्छी नहीं आती है। ऐसा माना जाता है की बच्चों के बेडरूम में शीशा नकारात्मकता को बढ़ावा देता है।

बच्चों के बेडरूम में दक्षिण-पश्चिम दिशा में बच्चों के बेडरूम में फर्नीचर रखने के लिए आदर्श दिशा है। दक्षिण-पश्चिम में बच्चों का बेडरूम शुभ माना जाता है। अच्छी सेहत, सफलता और भाग्य का स्वागत करने के लिए आप पश्चिम दिशा में बिस्तर भी लगा सकते हैं।
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कभी भी आपको बच्चों के बेडरूम में गैजेट्स नहीं रखने चाहिए। बेडरूम में लैपटॉप, मोबाइल या कंप्यूटर जैसे गैजेट्स न रखें और ध्यान रखें कि बच्चों को सोने के लिए किसी तरह की बाधा न हो। यदि हम विज्ञान की मानें तब भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण उच्च विद्युत चुम्बकीय तनाव और खतरनाक विकिरण उत्पन्न करते हैं जिससे आपके बच्चों की एकाग्रता शक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

बेडरूम के लिए हल्का हरा और हल्का पीला रंग सबसे अच्छा माना जाता है। बेडरूम में ऐसे रंग सबसे ज्यादा जीवंत माने जाते हैं और इससे बच्चों के मन में सकारात्मक भाव आते हैं। बेडरूम की चादर और वॉलपेपर भी हल्के रंगों के ही होने चाहिए जिससे किसी तरह की नकारात्मकता न आए।

बेडरूम में अगर आप स्टडी टेबल रखती हैं तो आपको इसे पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम कोने में रखें। बच्चे के बेडरूम के लिए वास्तु के अनुसार सही दिशा में रखी गई स्टडी टेबल उन्हें पढ़ाई में भी मदद करती है। बच्चे के कमरे में स्टडी टेबल का स्थान पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
इसके अलावा, बच्चे को बेहतर एकाग्रता के लिए पढ़ाई करते समय उत्तर या पूर्व का सामना करना चाहिए। बच्चों के लिए साफ-सुथरी स्टडी-टेबल-बच्चे के बेडरूम के लिए वास्तु के अनुसार स्टडी टेबल को अव्यवस्था मुक्त रखें।

बच्चों के लिए जंगली जानवरों के खिलौने से बचने की सलाह दी जाती है। बेडरूम के लिए वास्तु जंगली जानवरों के खिलौनों से बचने की सलाह देता है। ऐसे खिलौने आपके बच्चे में आक्रामकता को उत्तेजित कर सकते हैं। इनकी जगह बच्चों के कमरे में सॉफ्ट टॉयज रख सकती हैं।

वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार, बच्चों को सीधे रोशनी या किसी अंतर्निहित अलमारी के नीचे नहीं सोना चाहिए। कहा जाता है कि इससे बच्चों के मन में दबाव और घबराहट पैदा हो सकती है।