
भारतीय फिल्मों की क्वालिटी को लेकर गाहे-बगाहे कई सारी बातें होती रही हैं। हम अधिकतर मामलों में भारतीय फिल्मों को बॉलीवुड से जोड़कर देखते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में ये समझ आ गया है कि देश के अलग-अलग राज्यों में अगर फिल्मों को देखा जाए तो उनकी क्वालिटी और उनकी कहानी दोनों ही किसी से कम नहीं है। पिछले कुछ समय में अलग-अलग भाषाओं पर बनी फिल्में दुनिया भर में नाम कमा रही हैं और हाल ही में 'कंतारा' फिल्म की तारीफ बहुत ज्यादा की जा रही है। ये एक फोल्कलोर यानी लोक कथा पर आधारित फिल्म है और इसकी कहानी से लेकर इसकी सिनेमेटोग्राफी और इसकी एक्टिंग को लेकर बड़े-बड़े क्रिटिक्स भी हैरत में पड़ गए हैं। पर 'कंतारा' अकेली नहीं है जो किसी लोक कथा पर आधारित है। कई ऐसी भारतीय फिल्में रही हैं जो ना सिर्फ लोक कथाओं पर आधारित हैं बल्कि बहुत ही ज्यादा चर्चित भी रही हैं। उनकी कहानियां लोगों को पसंद आई हैं। तो चलिए आपको बताते हैं उन्हीं फिल्मों के बारे में।


जैसा कि हमने बताया कंतारा फिल्म बहुत ही खास है। कर्नाटक राज्य के भूता कोला फेस्टिवल के बारे में बताया गया है जो दैवा नामक भगवान के लिए मनाया जाता है। इस पूरी फिल्म में स्थानीय भूमाफिया सहित कई चीज़ें एड की गई हैं जो इस फिल्म को पूरा पैकेज बनाती हैं।
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इस फिल्म ने कई लोगों को चौंका दिया था क्योंकि इसकी कहानी से लेकर इसमें काम करने वाले एक्टर्स की एक्टिंग और सिनेमेटोग्राफी सब कुछ बेमिसाल थी। इसमें महाराष्ट्र की लोक कथाओं का जिक्र किया गया है। ये कहानी हस्तर नामक एक पौराणिक देव के बारे में बताई गई है। अगर आपने 'तुंबाड' फिल्म नहीं देखी है तो उसे देखें जरूर।

राजस्थान की लोक कथाओं पर आधारित अमोल पालेकर की फिल्म एक ऐसी कहानी पर आधारित है जिसमें एक भूत को एक महिला से प्यार हो जाता है और ये फिल्म मणि कौल की फिल्म 'दुविधा' से प्रेरित है। इस कहानी पर पहले भी कई सारी फिल्में और प्ले बन चुके हैं।

2016 में आई फिल्म मिर्ज्या पंजाबी लोक कथा का अडॉप्टेशन है जिसमें मिर्जा और साहिबान की कहानी बताई गई है। हालांकि, इस फिल्म का नेरेशन काफी अलग है, लेकिन इसके लुक्स और इसकी कहानी पर काफी काम किया गया है। इस फिल्म को ड्रीमी सीक्वेंस में फिल्माया गया है। इसकी झलक आपको इसके ट्रेलर से ही मिल जाएगी।

विक्रम और बेताल की कहानी हम सभी ने सुनी होगी। ये फिल्म उसी धारणा पर बनाई गई है। सिर्फ हाल ही में रिलीज हुई 'विक्रम वेधा' ही नहीं इसी नाम से 2017 में बनी तमिल फिल्म भी इसी कहानी का हिस्सा है। इसमें पुलिस ऑफिसर विक्रम गैंगस्टर वेधा को पकड़ने की कोशिश में लगा रहता है। वेधा उसकी जगह उसे तीन कहानियां सुनाता है जिसमें अच्छाई और बुराई की बात होती है।

2013 में आई बकीता ब्याक्तिगातो कुछ सबसे बेहतरीन बंगाली फिल्मों में से एक मानी जाती है जिसने नेशनल अवॉर्ड जीता था। ये फिल्म एक फिल्म मेकर की कहानी है जो एक गांव में सच्चे प्यार को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री शूट करने गया था।

'बुलबुल' फिल्म सिनेमेटोग्राफी के मामले में बहुत ही अच्छी मानी जा सकती है। ये फिल्म बंगाली लोक कथा पर आधारित है जो एक महिला के भूत और मां काली के रूप का जिक्र करती है। इसमें बंगाल का फोल्क म्यूजिक भी इस्तेमाल किया गया है।
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जलीकट्टू ईवेंट पर आधारित फिल्म 'जलीकट्टू' ने रिलीज के बाद ही बहुत वाहवाही बटोरी थी और उतने ही ज्यादा इसे लेकर विवाद भी हुए थे। ये फिल्म एक माओवादी पर आधारित है और इसमें एक बैल को अहम रोल में दिखाया गया है। पूरा गांव किस तरह से एक बैल के पीछे पड़ जाता है उसका जिक्र इस स्टोरी में है।

2021 में आई फिल्म 'चुरुली' जंगल के ऊपर आधारित है और उसमें रहने वाले एक बेहद खराब राक्षस की बात पूरी फिल्म में होती है। इस फिल्म में ना सिर्फ राक्षस है बल्कि टाइम लूप और कई ऐसे पेंच हैं जो इसे एक मास्टर पीस बनाते हैं। ये पूरी तरह से रीजनल कथाओं पर आधारित है।
इसके अलावा, 'स्त्री' जैसी यूनिक फिल्म भी चंदेरी के आस-पास के इलाकों की लोक कथाओं पर आधारित है। भारतीय रीजनल सिनेमा में कई ऐसी फिल्मों का जिक्र होगा जो आपको बहुत पसंद आ सकती हैं। आपका क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
All Image Credit: From Film Posters and Screengrabs