सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान पूजा के लिए बेलपत्र का विशेष महत्व होता है। महादेव को बेलपत्र अर्पित करना उन्हें अत्यंत प्रिय होता है। माना जाता है कि इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसे में, हर शिव भक्त चाहता है कि उसके घर में लगे बेल के पेड़ हरा-भरा रहे और उसमें खूब सारे बेलपत्र आएं। कई बार देखा जाता है कि बेल के पेड़ में पत्तियां कम आती हैं और वे गुच्छों में नहीं उगती हैं, जिससे सावन के दौरान बेलपत्र की कमी हो जाती है। इतना ही नहीं, पेड़ का विकास भी धीमा पड़ जाता है और पत्तियां पीली पड़कर गिरने लगती हैं। अगर आप भी इस समस्या से जूझ रही हैं और चाहती हैं कि सावन से पहले आपका बेल का पेड़ पत्तियों से लद जाए और गुच्छों में बेलपत्र आएं, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। हम आपके लिए एक ऐसा देसी और बेहद आसान उपाय लेकर आए हैं, जिसे सावन से पहले आजमाकर आप अपने पेड़ को हरा-भरा बना सकती हैं। इसके लिए आपको पेड़ की जड़ के पास बस 1 चम्मच एक चीज डालनी है। इसके कुछ ही दिनों के बाद, बेलपत्र की टहनियां अनगिनत पत्तियों से भरी हुई दिखाई देंगी।
बेल के पेड़ को धार्मिक महत्व के साथ-साथ आयुर्वेदिक गुणों के लिए भी जाना जाता है। इसे स्वस्थ और घना रखने के लिए सही पोषण की आवश्यकता होती है। यहां जिस देसी चीज की बात हो रही है, वह है- गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट। दरअसल, गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम (NPK) जैसे आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जो पौधों के स्वस्थ विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
यह मिट्टी की संरचना को बेहतर बनाती है, जिससे हवा का संचार अच्छा होता है और पानी को सोखने व बनाए रखने की क्षमता बढ़ती है। इससे पौधों को लंबे समय तक पोषण मिलता रहता है। गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट, पूरी तरह से प्राकृतिक और रासायन मुक्त होती है, जिससे पेड़ और पर्यावरण दोनों सुरक्षित रहते हैं।
बेलपत्र के पेड़ में इस खाद का उपयोग करना बेहद आसान है और इसे सावन से लगभग 15-20 दिन पहले करना सबसे उत्तम रहता है ताकि पोषक तत्वों को अपना काम करने का समय मिल सके।
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स्टेप 1- सबसे पहले, बेल के पेड़ की जड़ के आसपास की मिट्टी को हल्का ढीला करें। आप एक छोटे खुरपी या हाथों का उपयोग करके मिट्टी को धीरे-धीरे खोदें, ताकि जड़ें डैमेज न हों। पेड़ के तने से थोड़ी दूरी पर लगभग 6-12 इंच दूर एक गोलाकार घेरा बनाएं।
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स्टेप 2: अब, इस तैयार की गई मिट्टी में लगभग 1 से 2 चम्मच या मुट्ठी भर सूखी और अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट डालें। यह सुनिश्चित करें कि खाद ताजी न हो, क्योंकि ताजी गोबर की खाद में गर्मी होती है जो पौधे को नुकसान पहुंचा सकती है। हमेशा अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद का ही प्रयोग करें।
स्टेप 3: खाद डालने के बाद, उसे मिट्टी के साथ अच्छी तरह से मिला दें। आप इसे मिट्टी की ऊपरी परत में लगभग 1-2 इंच गहराई तक मिला सकती हैं। खाद डालने के तुरंत बाद, पेड़ को भरपूर पानी दें। पानी देने से खाद के पोषक तत्व मिट्टी में घुल जाते हैं और जड़ों तक आसानी से पहुंच पाते हैं।
स्टेप 4: इसके बाद, पेड़ को नियमित रूप से पानी देना जारी रखें, खासकर अगर बारिश न हो रही हो। मिट्टी को नम रखें, लेकिन ओवरवॉटरिंग से बचें। आप देखेंगे कि कुछ ही हफ्तों में पेड़ में नई और हरी पत्तियां निकलनी शुरू हो जाएंगी और टहनियां बेलपत्र के गुच्छों से भर जाएंगी।
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