सिंदूर खेला से लेकर धुनुची नाच तक, इन तस्वीरों में छुपी है दुर्गा पूजा की खासियत

Durga Puja 2022: आइए जानते हैं कितनी खास है हर साल होने वाली दुर्गा पूजा।
Geetu Katyal

Durga Puja 2022: नवरात्रि के आते ही चारों तरफ दुर्गा पूजा की चहल-पहल शुरू हो जाती है। आज के समय में दूर्गा पूजा सिर्फ पश्चिम बंगाल और कोलकाता में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में धूमधाम से मनाई जाती है। ढाक ढोल से लेकर सिंदूर खेला तक, दुर्गा पूजा का एक-एक रंग देखने लायक होता है। आइए हम भी तस्वीरों की मदद से जानते हैं दुर्गा पूजा की खासियत।

1 दुर्गा पूजा का रंग

दुर्गा पूजा के 9 दिन तक भक्त एक अलग भक्ति के रंग में रंगे नजर आते हैं। इस पूजा के दौरान तरह-तरह के रीति-रिवाज फॉलो किए जाते हैं जो बहुत अलग होते हैं और यही इस पूजा की सबसे बड़ी खासियत है। 

2 पहले से शुरू हो जाती हैं तैयारियां

दुर्गा पूजा शुरू होने से पहले ही हर कोई मां के स्वागत की तैयारी शुरू कर देता है। कोई पंडाल सजाता है तो कोई मां की प्रतिमा को सुंदर से सुंदर सजाने में लग जाता है। इस पूजा के दौरान सजाए जाने पर हर पंडाल की एक अलग थीम होती है। 

 

3 ढाक-ढोल और शंख

मां दुर्गा की आराधना के लिए 9 दिन तक लगातार ढाक-ढोल बजाए जाते हैं। इतना ही नहीं शंख की ध्वनि से भी पूरा पंडाल जगमगा उठता है। कहा जाता है कि ढाक-ढोल और शंख की ध्वनि के बिना दुर्गा पूजा अधूरी है। 

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4 कुमारी पूजा

दुर्गा पूजा के दौरान ना सिर्फ मां की प्रतिमा की पूजा होती है बल्कि कुंवारी लड़कियों को भी प्रसाद खिलाया जाता है। यह पूजा अष्टमी और नवमी के दिन होने वाली पूजा जैसी ही होती है। 

5 धुनुची नाच

इस पूजा की शान धुनुची नाच से पूरे पंडाल का माहौल मनमोहक हो जाता है। इस डांस के दौरान महिलाएं हाथों में धूप लेकर गीतों और ढाक की धुन पर थिरकती हैं। धुनुची नाच शक्ति को प्रदर्शन करता है।

6 सिंदूर खेला

दशमी के दिन मां की विधि विधान से पूजा की जाती है। पूरा पंडाल लाल रंग के रंग में सजा नजर आ रहा होता है और महिलाएं सिंदूर खेला का खूब आनंद लेती हैं।

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7 लजीज खाना

लुची-आलू दम, मिष्टी पुलाव, घुघनी चाट और ढेर सारे लजीज व्यंजनों से सजी थाली दुर्गा पूजा की खासियत है। किसी भी अलग राज्य के भोजन की तरह यह थाली भी बंगाल और कोलकाता की खासियत दिखाती है। 

8 फिर होती है विदाई

9 दिनों के रौनक मेले के बाद 10वें दिन खुशी-खुशी मां को विदा किया जाता है और इसी के साथ दुर्गा पूजा समाप्त हो जाती है। 

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