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Gujarati Wedding Rituals: अंतरपाट से लेकर चेरो पकरयो तक, जानें गुजराती शादी की इन खास रस्मों के बारे में

भारत में लोग अलग-अलग परंपराओं के अनुसार शादी करते हैं। गुजराती लोग शादी की रस्मों को अलग रिवाजों के साथ करते हैं। गुजराती शादी की रस्मों और रिवाजों के बारे में आज हम आपको बताएंगे।&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2023-09-06, 12:55 IST

Gujarati Wedding:भारत में शादी की रस्में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग परंपराओं के अनुसार होती है। कई परंपराओं और रस्मों को गुजरात में लोग निभाते हैं। अंतरपाट से लेकर चेरो पकरयो तक, सभी रस्मों को गुजराती शादी में बेहद खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। चलिए गुजराती शादी की इन अनोखी रस्मों के बारे में हम आपको बताते हैं। 

गुजराती शादी में अंतरपाट की रस्म का मतलब क्या होता है?

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गुजराती शादी में एक ऐसी अनोखी रस्म होती है जिसमें जयमाला से पहले दूल्हा और दुल्हन के बीच पर्दा लगाया जाता है। इस गुजराती शादी की रस्म में दुल्हन को उसके मामा मंडप तक ले जाते हैं और दूल्हा और दुल्हन के बीच फेरे शुरू होने से पहले उनके बीच पर्दे को रखा जाता है ताकि दोनों को एक दूसरे की नजर ना लगे। बाद में जयमाला और फेरे की रस्म के लिए पर्दा नीचे कर दिया जाता है। इस रस्म को ही अंतरपाट कहा जाता है। गुजराती शादी में इस रस्म को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। 

गुजराती शादी में चेरो पकरयो की रस्म का क्या मतलब होता है? 

यह गुजराती शादी की इस रस्म में दूल्हा अपनी सास की साड़ी पकड़ता है और उनसे उपहार मांगता है। इसके बाद सास अपनी साड़ी को दूल्हे से दूर करने का प्रयास करती है। बाद में दूल्हे को कई सारे उपहार दिए जाते हैं। इस रस्म का नाम चेरो पकरयो होता है और इसके बिना गुजराती शादी को अधूरा माना जाता है। 

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गुजराती शादी में गोल धना की रस्म क्यों होती है? 

गुजराती शादी में गोल धना की रस्म ठीक उसी प्रकार होती है जैसे रिंग सेरेमनी होती है। इस रस्म में दूल्हा अपनी होने वाली जीवनसाथी को रिंग पहनाता है और फिर दुल्हन अपने होने वाली पति को रिंग पहनाती है इसके बाद होने वाले दूल्हा और दुल्हन अपने परिवारों की पांच विवाहित महिलाओं से आशीर्वाद लेते हैं। 

गुजराती शादी में वरघोड़ा की रस्म क्यों होती है?

इस रस्म में दूल्हे की जो भी बहन होती है वह अपने भाई की बारात के घर से निकलने से पहले दूल्हे के सिर पर से कपड़े में लिपटे सिक्के वारती है। मान्यताओं के अनुसार यह रस्म करने से दूल्हे को नजर नहीं लगती है। यह रस्म बहन तब तक करती है जब तक दूल्हा घोड़े पर सवार होकर अपनी बारात के लिए घर से निकलता है।

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image credit- freepik 

 

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