क्या सच में पता लगा सकते हैं कि पूर्व जन्म में क्या थे हम? एक्सपर्ट से जानें

पूर्व जन्म से जुड़े विषयों पर गरुड़ पुराण में बहुत कुछ वर्णित किया गया है। इसी कड़ी में अगर कभी पता लगाना हो कि आप अपने पूर्व जन्म में क्या थे तो कैसे पता लगया जा सकता है आइये जानते हैं। 
Is it possible to see past lives
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हर किसी में यह जिज्ञासा होती है कि वह कैसे भी बस एक बार अपने भविष्य से जुड़ी बातें जान लें। वहीं, कुछ लोगों को यह जानने में ज्यादा दिलचस्पी होती है कि उनका पूर्व जन्म कैसा था या फिर वह अपने पूर्व जन्म में क्या थे। पूर्व जन्म से जुड़े विषयों पर गरुड़ पुराण में बहुत कुछ वर्णित किया गया है। इसी कड़ी में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि अगर कभी पता लगाना हो कि आप अपने पूर्व जन्म में क्या थे तो कैसे पता लगया जा सकता है। आइये आपको बताते हैं इस बारे में विस्तार से।

कैसे पता लगाएं पूर्व जन्म में क्या थे हम?

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गरुड़ पुराण में बताया गया है कि व्यक्ति के पूर्व जन्म के बारे में दो तरीकों से पता लगाया जा सकता है, पहला तरीका लक्षण और दूसरा तरीका जन्म कुंडली। जब व्यक्ति की कोई ऐसी आदत जो उसके पिता पक्ष या माता पक्ष में किसी की भी न हो लेकिन एक मात्र उसमें ही वह आदत है तो यह एक इशारा कि वह आदत उसे उसके पूर्व जन्म से इस जन्म में मिली है।

इसके अलावा, अगर कोई काम करते हुआ या किसी स्थान पर जाते हुए या किसी से मिलते हुए किसी व्यक्ति को यह अनुभव हो कि शायद ऐसा पहले भी हुआ है तो यह भी दर्शाता है कि कहीं न कहीं व्यक्ति के भीतर अभी भी उसके पूर्व जन्म की यादें बसी हुई हैं या फिर उस स्थान, अन्य व्यक्ति या कर्म से उस व्यक्ति का कोई पुराना नाता है जो उसे इस जन्म में महसूस हुआ।

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वहीं, कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति, युति, और दृष्टि संबंध से यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति अपने पूर्व जन्म में क्या था। इसके अलावा कुछ सामान्य ऐसी धारणाएं हैं जिनके बारे में गरुड़ पुराण भी बताता है, जैसे कि गुरु का जन्मकुंडली में लग्न में होना पूर्व जन्म में वेदपाठी ब्राह्मण होने को दर्शाता है। यानी कि बुद्धि और भक्ति दोनों में प्रबल था वो व्यक्ति।

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कुंडली में लग्न या सप्तम भाव में शुक्र का होना व्यक्ति के पूर्व जन्म में राजा या सेठ होने को दर्शाता है। कुंडली में लग्न, एकादश, सप्तम या चौथे भाव में शनि का होना यह बताता है कि व्यक्ति पूर्व जन्म में अधर्मी था उसने बहुत से पाप किये थे। कुंडली में लग्न या सप्तम भाव में राहु का होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति की पूर्व जन्म में असमय मृत्यु हो गई थी।

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image credit: herzindagi

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