गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है, इसके बारे में बताया गया है। व्यक्ति को मरने के बाद नर्क मिलेगा या स्वर्ग, ये उसके कर्मों पर निर्भर करता है। बता दें कि गरुड़ पुराण के अनुसार, 28 प्रकार के नर्क होते हैं। ऐसे में आपके कर्मों के हिसाब से नर्क के द्वार आपके लिए खोले जाते हैं। हम बात कर रहे हैं उन पति-पत्नी की, जो एक दूसरे से झूठ बोलते हैं। गरुण पुराण में झूठ बोलने वालों का वर्णन किया गया है। उसमें बताया गया है कि जो लोग झूठ बोलते हैं उन्हें मृत्यु के बाद कौन-सी सजा दी जाती है। इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि जो पति-पत्नी एक दूसरे झूठ बोलते हैं, उन्हें मृत्यु के बाद क्या दंड मिलेगा। पढ़ते हैं आगे...
28 नर्कों के नाम क्या हैं?
- रौरव नर्क
- महारौरव नर्क
- तप्त भोजन नर्क
- महा तप्त भोजन नर्क
- कुंभीपाक नर्क
- महाकुंभीपाक नर्क
- कलसूत्र नर्क
- महाकलसूत्र नर्क
- असिपत्रव नर्क
- महासिपत्रव नर्क
- सुखदुख नर्क
- महासुखदुख नर्क
- सारपदन नर्क
- महासारपदन नर्क
- अवीचि नर्क
- महावीचि नर्क
- आयःपान नर्क
- महायःपान नर्क
- खट्वंग नर्क
- महाखट्वंग नर्क
- कालसूत्र नर्क
- महाकालसूत्र नर्क
- तामिस्र नर्क
- महातामिस्र नर्क
- अन्धतामिस्र नर्क
- महान्धतामिस्र नर्क
- प्रज्ञान नर्क
- महाप्रज्ञान नर्क
क्या कहता है गरुड़ पुराण?
जिन महिलाओं ने अपने पति के सामने झूठ बोला है या जिन पुरुषों को झूठ का सहारा लेना पड़ा है, गरुड़ पुराण के मुताबिक, उन्हें नर्क में जाना पड़ सकता है। अब सवाल ये है कि कौन-से नर्क? तो बता दें कि जो पति-पत्नी एक दूसरे के सामने झूठी गवाही देते हैं, उन्हें अवीचि नर्क भोगना पड़ता है।
इस नर्क को भयानक और कष्टदायक माना जाता है। यहां उन लोगों को भी भेजा जाता है जो अपने स्वार्थ के लिए दूसरों का बुरा सोचते हैं। इस नर्क में लोगों को लगातार पीड़ा और दुःख का एहसास होता है। इससे अलग अत्यधिक गर्मी और तेज ठंड का सामना करना पड़ता है।
स्वार्थ के लिए झूठ बोलना
हालांकि, गरुड़ पुराण के अनुसार, कुछ परिस्थितियों में रौरव नर्क में भी झूठ बोलने वाले लोगों को भेजा जाता है। वे लोग जो अपने स्वार्थ के लिए झूठ बोलकर दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं या जो अपने फायदे के लिए दूसरों से झूठ बोलते हैं, उन्हें यहां कई यातनाएं दी जाती हैं। बता दें कि रौरव नर्क में आत्मा को विभिन्न प्रकार की यातनाएं दी जाती हैं, जिनमें विषधर सांपों से डंसना, आग में जलना, कांटों पर लेटना, विष पीना और अंधकार में रहना आते हैं। इन यातनाओं का उद्देश्य आत्मा को उनके पापों के लिए दंड देना होता है और उन्हें अपने गलत कार्यों के लिए पश्चाताप करने का मौका भी देना होता है।
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