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रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कोई भी समस्‍या हो तो ये उपाय हैं रामबाण

पीठ दर्द की समस्&zwj;या आजकल एक आम समस्&zwj;या हो गई। सिर्फ बड़ी उम्र के महिलाएं ही नहीं बल्कि युवा लड़कियां भी इसकी शिकायत करती रहती है। इसका मुख्&zwj;य कारण लगातार कई घंटों तक चेयर पर बैठकर काम करना, बेतरतीब जीवनशैली और एक्&zwj;सरसाइज न करना है। पेनकिलर के भरोसे कब तक बैठा जाए। और न ही पेनकिलर इस समस्&zwj;या का स्&zwj;थायी समाधान ही पेश करती हैं। ऐसे में आप पुरानी भारतीय पद्धति यानि योग का सहारा ले सकती हैं। <br />Qi Spine Clinic के स्&zwj;पाइन विशेषज्ञ डॉक्&zwj;टर Dr Garima Anandani के अनुसार, ''पीठ दर्द की समस्&zwj;या अब बुढ़ापा की समस्&zwj;या नहीं रहीं, बल्कि आज यह समस्&zwj;या 30 की उम्र के लोगों में भी देखने को मिलती है और यह महिलाओं द्वारा सबसे ज्&zwj;यादा उपेक्षित दर्द है। इसके प्रति लापरवाही बरतने से भविष्&zwj;य में कई तरह की समस्&zwj;याएं हो सकती हैं। हमारी जीवन शैली में भारी बदलाव के कारण पिछले दो दशकों में इससे परेशान लोगों की संख्&zwj;या बहुत बढ़ गई हैं। आज भी गर्दन और पीठ दर्द अच्&zwj;छे से मैनेज नहीं किया जाता है, क्योंकि ज्यादातर मामलों में मूल कारण का निदान ही नहीं होता है। सही और समय पर निदान पीठ और गर्दन के दर्द के उपचार में एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।'' <br />स्&zwj;वामी परमानंद प्राकृतिक चिकित्&zwj;सालय (एसपीपीसी) योग अवसंरचना केंद्र की मेडिकल ऑफिसर डॉक्&zwj;टर दिव्&zwj;या शरद के अनुसार, ''Flexibilty और stability स्पेक्ट्रम के दो छोर हैं, जो रीढ़ की हड्डी के द्वारा मानव बॉडी से मिलते हैं। इसलिए हमें रीढ़ की हड्डी को मजबूत और हेल्&zwj;दी बनाने के योग करना चाहिए।'' डॉक्&zwj;टर दिव्&zwj;या शरद से कुछ ऐसे आसानों के बारे में जानते हैं जो आपकी रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने और दर्द को कम करने में आपकी मदद करते हैं।

Pooja Sinha

Her Zindagi Editorial

Updated:- 17 Oct 2017, 11:10 IST

सूर्य नमस्कार (Surya Namasker)

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आयुर्वेदिक डॉक्‍टर दिव्‍या कहती है कि ''रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने के लिए सूर्य नमस्‍कार बेहद ही फायदेमंद है।'' सूर्य नमस्कार में बारह आसनों का समूह है। इन बारह आसनों को करने से शरीर निरोग, स्‍वस्‍थ और रीढ़ की हड्डी मजबूत रहती है। इसमें सबसे पहले प्रणाम मुद्रा आती है, दूसरी हस्त उत्तानासन, तीसरी पाद हस्तासन, चौथी अश्व संचालन आसन, पांचवी अवस्‍था में पर्वतासन, छठी में अष्टांग नमस्कार, सातवीं में भुजंगासन, आठवीं में पर्वतासन, नौवीं अश्व संचालन आसन, दसवीं अवस्था में पाद हस्तासन ग्यारहवीं अवस्था में हस्त उत्तानासन और बारहवीं अवस्‍था में प्रणाम मुद्रा शामिल हैं। ये 12 अवस्थाएं सूर्य नमस्कार का चक्र है।

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धनुरासन (Bow Pose)

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इस आसन में आपका शरीर धनुष के आकार में हो जाता है, इसलिए इसे धनुरासन कहते हैं। इस योग को करने के लिए पेट के बल लेटकर दोनों पैरों के घुटने को मोड़कर कूल्हे के ऊपर लाकर दोनों हाथों से दोनों पंजों पकड़िये। सांस भरते हुए धीरे-धीरे ऊपर उठाइए एवं धनुष के समान रचना बनाइए। इस दौरान गर्दन सीधे रखते सामने की ओर देखिये। क्षमतानुसार रुककर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए पहले की स्थिति में लौट आइए। आयुर्वेदिक डॉक्‍टर दिव्‍या कहती है कि ''रीढ़ की हड्डी हेल्‍दी रहती है और दर्द दूर होता है।''

नौकासन (Boat Pose)

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आयुर्वेदिक डॉक्‍टर दिव्‍या कहती है कि ''रीढ़ की हड्डी के लिए यह बहुत लाभकारी है। यह आपके मेरुदंड को लचीला बनाता है।'' नौकासन पीठ के बल लेट कर किये जाने वाले आसनों में एक महत्वपूर्ण योगासन है। नाव के आकार में होने के कारण इस आसन को नौकासन कहा जाता है। नौकासन करना बहुत आसान है लेकिन शुरुआती दौर में इसका अभ्‍यास करना जरूरी है। सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं। अपने हाथ जांघ के बगल और शरीर को एक सीध में रखें। फिर अपने शरीर को ढीला छोड़े और सांस पर ध्यान दें। अब आप सांस लेते हुए अपने सिर, पैर, और पूरे शरीर को 30 डिग्री पर उठायें। ध्यान रहे आपके हाथ ठीक आपके जांघ के ऊपर हों। धीरे-धीरे सांस लें और धीरे-धीरे सांस छोड़ें, इस अवस्था को अपने हिसाब से बनाये रखें। जब अपने शरीर को नीचे लाना हो तो लंबी गहरी सांस छोड़ते हुए सतह की ओर आएं।

पादंगुष्ठासन (Big Toe Pose)

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आयुर्वेदिक डॉक्‍टर दिव्‍या कहती है कि ''वैसे तो यह रीढ़ की हड्डी के लिए अच्‍छा योग है लेकिन पीठ या पेट में दर्द ज्यादा हो तो आसन नहीं करना चाहिए।'' इस आसन को करने के लिए खड़े हो जाये, फिर अपने हाथ अपने शरीर की ओर रखे। सांस को छोड़ते हुए धीरे-धीरे हिप्‍स के जोड़ो की मदद से नीचे झुके ओर नीचे झुकते समय सांस छोड़ेंl नीचे झुक कर अपने दोनों पैरो को अंगूठे को अपनी हाथों की पहली उंगुलियों से पकड़ लें। फिर धीरे-धीरे अपने सिर को ऊपर करते हुए सांस को अंदर लें। सांस पूरी तरह अंदर लेने के बाद अपने सिर को धीरे-धीरे नीचे झुकाये। जितना आप अपना सिर अपने पैरो से पास ले जा सकते है उतना लेकर जाये।

भरद्वाजासन (Bharadvaja's Twist)

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भरद्वाजासन एक ऐसा आसन है, जिसे युवा से लेकर वृद्ध तक सभी कर सकते हैं। इस आसन को करने से पीठ दर्द, नींद न आना, कमर दर्द में जैसी परेशानियों में राहत मिलती है। पीठ दर्द की शिक़ायत भी दूर हो जाती है। इस आसन को करने से न केवल तन स्वस्थ रहता है, बल्कि मन भी शांत रहता है। इस आसन को करने के लिए दरी पर बैठकर अपने पैर सामने सीधे रखें। अब घुटनों को कुछ इस तरह मोड़ें कि आपका पूरा भार दायें हिप्‍स पर हो। अब आप अपनी दायें पैर की एड़ी को बाएं पैर की थाई पर रखें। गहरी लंबी सांस लें और रीढ़ की हड्डी को सीधा करें, फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ें और बॉडी के ऊपरी भाग को घुटने के विपरीत दिशा में दायीं ओर मोड़ते जाएं। आप अपना सीधा हाथ सहारे के लिए दायीं ओर और उल्टा हाथ बाएं घुटने पर रख सकती हैं। हर सांस के साथ रीढ़ की हड्डी को सीधा करते जाएं। अपना सिर बायीं ओर मोड़कर अपने बाएं कंधे के ऊपर से देखें और थोड़ी देर तक इसी अवस्था में रहें। अब धीरे-धीरे सांस छोड़े। अब इसे दूसरी साइड से भी करें।

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