हर व्यक्ति को अपने शरीर की कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई तरह के महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इन्हीं में से एक है आयरन। आयरन की मदद से शरीर में हीमोग्लोबिन का निर्माण होता है। यह हीमोग्लोबिन शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब शरीर में आयरन की कमी के कारण पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है, तो इसका असर लगभग शरीर के हर अंग पर नजर आता है। इतना ही नहीं, गर्भावस्था में तो शरीर की आयरन की जरूरत और भी अधिक बढ़ जाती है।
जब गर्भवती स्त्री के शरीर में आयरन की मात्रा कम होती है तो इसका असर सिर्फ महिला पर ही नहीं पड़ता है, बल्कि इससे उसका गर्भस्थ शिशु भी प्रभावित होता है। इसी कारण, अक्सर डॉक्टर प्रेग्नेंसी में आयरन सप्लीमेंट लेने की सलाह भी देते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि एक गर्भवती महिला के लिए आयरन इतना अधिक महत्वपूर्ण क्यों है-
प्रेग्नेंसी के दौरान हर महिला को आयरन रिच डाइट लेने की सलाह दी जाती है। उसकी आयरन संबंधी जरूरतें इस दौरान बढ़ जाती हैं। जहां एक महिला को औसतन 15-18 मिलीग्राम आयरन की जरूरत प्रतिदिन होती है। वहीं गर्भावस्था में महिला को प्रतिदिन कम से कम 27 मिलीग्राम अवश्य लेना चाहिए। आपको शायद पता ना हो, लेकिन एक औसत गर्भावस्था के लिए महिला के शरीर को लगभग 1000 मिलीग्राम में आयरन की आवश्यकता होती है। जहां 350 मिलीग्राम आयरन भ्रूण और प्लेसेंटा को खो देता है, वहीं 250 मिलीग्राम प्रसव के समय रक्त में खो जाता है। इसके अलावा, मेटरनल रेड ब्लड सेल मास के लिए लगभग 450 मिलीग्राम आयरन की आवश्यकता होती है।
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गर्भावस्था में आयरन की कमी बच्चे के विकास पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। दरअसल, प्रेग्नेंसी में बच्चे के विकास के लिए रक्त बनाने के लिए अतिरिक्त आयरन की जरूरत होती है। लेकिन जब महिला के शरीर में आयरन की कमीहोती है, तो इससे भ्रूण का विकास रुक सकता है। कभी-कभी कुछ मामलों में समय से पहले भी डिलीवरी हो सकती है, जो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं है।
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यूं तो अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्था में थकान का अहसास होता है। लेकिन अगर शरीर में आयरन की कमी हो तो इससे स्थिति बद से बदतर हो जाती है। दरअसल, आयरन कम होने के कारण जब पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है, तो ऐसे में ऑक्सीजन का प्रवाह बाधित होता है और अन्य अंगों के कार्य पर भी असर पड़ता है। जिसके कारण महिला को बहुत अधिक कमजोरी व थकावट महसूस हो सकती है। आयरन की कमी से महिला को एनीमिया की समस्या भी हो सकता है।
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गर्भावस्था में अक्सर यह देखा जाता है कि महिला आवश्यकतानुसार आयरन नहीं लेती हैं। इसका एक प्रभाव यह भी होता है कि इससे महिला बार-बार बीमार होती है, जिसका नेगेटिव असर उसके गर्भस्थ शिशु पर भी पड़ता है। दरअसल, आयरन आपके इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाकर संक्रमण को दूर रखने में मददगार है। लेकिन जब डाइट में आयरन कम होता है तो इससे महिला इंफेक्शन की चपेट में जल्द आती है। इतना ही नहीं, आयरन की कमी से महिला को चिंता व तनाव की समस्याका भी सामना करना पड़ता है, जो गर्भस्थ शिशु के विकास को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
तो अब आप भी आयरन रिच फूड का सेवन करें। आप डायटीशियन या स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलकर और उनकी सलाह पर अपनी आयरन की कमी को आसानी से दूर कर सकती हैं।
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