
Chhath Puja Kharna: छठ पूजा हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा होती है। चार दिन चलने वाला इस पर्व के दूसरे दिन खरना होता है। इस दिन को सबसे ज्यादा पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। फिर शाम को पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं, खरना की विधि, नियम और महत्व किया है। इसकी सारी जानकारी ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमारे साथ शेयर की है।
खरना के दिन निर्जला व्रत रखने का मुख्य कारण शारीरिक और मानसिक शुद्धि है, जो व्रती को अगले 36 घंटे के कठोर व्रत के लिए तैयार करती है। यह व्रत यह दर्शाता है कि व्रती ने अब सभी सांसारिक सुखों को त्याग कर कठोर तपस्या के मार्ग पर कदम रखा है। इससे सूर्यदेव से व्रती अपने घर और संतान की सुख की कामना करती है। इस दिन भोजन में भी रोटी और गुड़ की खीर बनाई जाती है। फल के रूप में केला रखा जाता है। इसे छठी मैया और सूर्य देव को भोग लगता है।

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खरना के पूजा नियम, विधि और महत्व के बारे में पंडित जी ने विस्तार से बताया है। आप भी इसे जरूर जानें, ताकि आप भी व्रत को अच्छे से कर सके।
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Image Credit- Freepik/ herzindagi
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