अंडरवियर हमारे रोजमर्रा के जीवन का अहम हिस्सा है। फैशन की दुनिया में अंडरवियर और इनरवियर का खास महत्व है। ये कपड़े आमतौर पर नजरों से छिपे रहते हैं, लेकिन इनका इतिहास कई सदियों पुराना और बेहद रोचक है। पहले अंडरवियर को आराम और जरूरत के लिए पहना जाता था, लेकिन बदले समय के साथ ये स्टाइलिश होते गए। अंडरवियर के बदलाव ने समाज और संस्कृति में आए परिवर्तन को साफ दिखाया है। आज हम आपको इस आर्टिकल में बताने वाले हैं कि अंडरवियर की शुरुआत कब और कैसे हुई थी और इसका आविष्कार किसने किया था।
अंडरवियर पहनने की परंपरा हजारों साल पुरानी है। सबसे पहला और आसान रूप लंगोटी थी, जिसका इस्तेमाल शरीर के निचले हिस्से को ढकने के लिए किया जाता था। यह प्राचीन मिस्त्र, ग्रीस और रोम में काफी प्रचलित थी। पुरातत्वविदों को मिस्त्र के प्राचीन मकबरों में लिनन की लंगोटी मिली थी। अंडरवियर के इतिहास की खोज में एक ओत्ज़ी द आइसमैन की ममी है, जो करीब 3300 ईसा पूर्व की है और आल्प्स पर्वतों में मिली थी। उसे चमड़े और घास से बने अंडरवियर के साथ पाया गया था। इससे पता चलता है कि प्राचीन काल में लोग आराम और सुरक्षा के लिए इसे पहनते थे।
बदलती सभ्यता के साथ अंडरवियर का रूप भी बदलने लगा। 5वीं से 15वीं शताब्दी के मध्य युग के दौरान, यूरोप में पुरुषों के लिए ब्रेज़ पॉपुलर हुआ था। ये लिनन या ऊन से बने ढीले-ढीले शॉर्ट्स होते थे, जिनकी लंबाई घुटनों तक होती थी। वहीं, महिलाओं के अंडरवियर का चलन उस समय बहुत कम था। उस दौर में महिलाएं लंबी कमीज पहना करती थीं, जिसमें अंडरगारमेंट पहनने की जरूरत नहीं होती थी।
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17वीं शताब्दी आते-आते पुरुषों के ब्रेज़ छोटने होने लगे और उनकी जगह टाइट-फिटिंग होज़ ने ले ली। दूसरी तरफ, महिलाओं ने फर्थिंगेल्स और पेटीकोट पहनना शुरू कर दिया था, जो एक तरह से अंडरगारमेंट का ही हिस्सा थे। सभी अंडरगारमेंट आराम और शालीनता से डिजायन किए गए थे।
18वीं शताब्दी में अंडरवियर के डिजायन में काफी बदलाव हुए। इस दौर में ड्रॉअर नामक अंडरवियर प्रचलित हुआ, जो घुटनों तक लंबा होता था और इसे महिला और पुरुष दोनों पहनते थे। महिलाओं के लिए ब्लूमर्स प्रचलित हुए, जो आरामदायक पैंट थी। 19वीं शताब्दी में अंडरवियर को कपास से बनाया जाने लगा, जिसने लिनन और ऊन की जगह ले ली। 1800 के दशक के अंत तक, पुरुषों के बीच यूनियन सूट का प्रचलन बढ़ गया, जो अंडरगारमेंट का रूप थे। इससे पूरा शरीर ढक जाता था और पीछे की तरफ बटन वाला फ्लैप होता था।
1900 के दशक की शुरुआत में पुरुषों के लिए बॉक्सर शॉर्ट्स और ब्रीफ बनाए गए, जो कम्फर्टेबल थे। 1914 में मैरी फ़ेल्प्स जैकब ने पहली ब्रा का आविष्कार किया, जिससे महिलाओं के अंडरवियर में एक नया बदलाव आया। 1930 में अंडरवियर को आरामदायक बनाने के लिए इलास्टिक जोड़ी जाने लगी, जिससे फिटिंग बेहतर हो गई। 1940 और 1950 के दशक में, महिलाओं के अंडरगारमेंट को बनाने के लिए रेशम और साटन का इस्तेमाल होने लगा।
1970 और 1980 के दशक तक, अंडरवियर केवल जरूरत नहीं, बल्कि स्टाइल स्टेटमेंट बन चुका था। बड़ी-बड़ी कंपनियों ने डिजायनर अंडरवियर बेचना शुरू कर दिया था।
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आज के समय में अंडरवियर केवल जरूरत नहीं, बल्कि आराम और स्टाइल का कॉम्बिनेशन बन चुका है। आज आपको मार्केट में अलग-अलग डिजायन, क्वालिटी के अंडरवियर्स आराम से मिल जाएंगे। नमी सोखने वाले, सीमलेस डिजायन और भी कई तरह के आरामदायक अंडरवियर आज उपलब्ध हैं। साथ ही इको-फ्रेंडली अंडरवियर का चलन काफी बढ़ चुका है, जिसमें बैम्बू और ऑर्गेनिक कॉटन शामिल है। इतना ही नहीं, यूनिसेक्स अंडरवियर का चलन आजकल काफी है, जो रुढ़िवादी सोच को खत्म करने में मदद कर रहे हैं।
अंडरवियर के आविष्कार का श्रेय किसी एक इंसान को नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि समय के साथ अंडरवियर का रूप बदलता रहा। अलग-अलग सभ्यताओं ने इसे अपने तरीके से अपनाया और इसमें बदलाव किए।
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