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Interesting Facts: आखिर क्यों इतनी महंगी होती है टिशू साड़ी?

फैशन में हैं टिशू साडि़यां। इन्हें खरीदने से पहले जान लें क्या है इसकी खासियत और इसे कैरी करने के क्‍या हैं तरीके। 
Editorial
Updated:- 2023-11-27, 21:12 IST

मुगल काल को भारत के लिए गोल्डन पीरियड कहा गया है। इस काल में न केवल आर्थिक और सामाजिक तौर पर देश की उन्नति हुई बल्कि देश के सुंदरीकरण के लिए भी बहुत काम किया गया। भारत में फैशन के बीज भी इसी काल में बोए गए। मुगल राजाओं और रानियों को सुंदर पोशाकों को धारण करने का बहुत शौक था। इसलिए यही वो काल है जब भारत में टेक्सटाइल के क्षेत्र में विस्तार हुआ। 

रेशम से लेकर वेल्‍वेट तक और चिकनकारी से लेकर जरी वर्क तक सभी मुगलों की भारत को देन रहे हैं। आज हम सबसे अलग दिखने वाले फैब्रिक टिशू के बारे में आपसे बात करेंगे। यह भी रेशम का ही एक स्वरूप है, जिसका आविष्कार मुगल काल में हुआ था। 

दरअसल राजघराने के लोगों को महंगे और चमकीले कपड़ों को पहनने का शौक था, जिससे पता चले कि वह राजा हैं। इसके लिए बुनकरों को हमेशा प्रयोग करने के लिए कहा जाता था। सिल्क का कपड़ा सर्दियों के हिसाब से तो बहुत अच्‍छा होता था मगर गर्मियों में ऐसे कपड़े की जरूरत पड़ती थी, जो दिखने में खूबसूरत हो और पहनने पर शरीर में ठंडक का अहसास हो। 

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मुगलों ने जरी ब्रोकेड फैब्रिक का भी निर्माण कराया था और इस फैब्रिक में लगने वाले रेशम और मैटेलिक धागों से ही बाद में टिशू फैब्रिक तैयार किया गया । यह फैब्रिक बहुत ही लाइट वेट होता है। इसमें बहुत ही हल्के रेशम के धागों और मैटेलिक धागों का प्रयोग किया जाता है। 

पहले के समय में मैटेलिक धागे सोने और चांदी के होते थे और इसलिए यह कपड़ा बहुत ही महंगा आता था। पहले इस कपड़े रानी और महारानियों की पोशाक बनाई जाती थीं, बाद में इसी फैब्रिक से साडि़यां बनने लगीं। 

यह विडियो भी देखें

 

 

 

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कहां बनती हैं टिशू साड़ी? 

वर्तमान समय में तो टिशू के कपड़े का निर्माण कई स्थानों पर होता है, इनमें बंगाल, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ कसबे आते हैं। मगर सबसे अच्छा टिशू चंदेरी का माना जाता है। यहां चंदेरी सिल्क भी तैयार होता है, जिसे रेशम के पतले धागों से तैयार किया जाता है। वहीं दूसरी तरफ अब सिल्‍क के साथ-साथ टिशू का निमार्ण भी यहां किया जाने लगा है। यहां पर चंदेरी सिल्क साड़ी के साथ-साथ टिशू की साड़ी भी आपको मिल जाएंगी। 

टिशू फैब्रिक में किए गए नए प्रयोग 

असली रेशम और असली सोने चांदी के धागे तो अब साड़ी में इस्तेमाल नहीं किए जाते हैं, मगर इनका पानी चढ़े धागों का आज भी इस्तेमाल होता है। अब तो रॉ सिल्क और नकली मेटल का पानी चढ़े धागों से भी साड़ी तैयार की जाती हैं। इसे आप साड़ी की फिनिशिंग देखकर ही पहचान जाएंगी। हालांकि, इस तरह की साड़ी आपको सस्ती मिल जाएंगी। 

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टिशू साड़ी की नई डिजाइंस 

टिशू साड़ी में अब नई डिजाइंस भी देखने को मिल रही हैं। पहले यह गोल्डन, कॉपर, सिल्वर आदि रंगो में ही आती थी, मगर अब आपको इसमें पियाजी, वॉयलेट और पिंक आदि रंग भी देखने को मिल जाएंगे। इतना ही नहीं, आपको इसमें प्रिंट और एंब्रॉयडरी वाली साड़ी भी मिल जाएंगी। टिशू फैब्रिक में अब केवल साड़ी ही नहीं बल्कि लहंगे और सलवार कमीज भी आने लगें हैं। 

इस‍ तरह से देखा जाए तो टिशू की साड़ी में अब काफी नयापन देखने को मिल रहा है और जब से फैशन इंडस्ट्री में इसका कमबैक हुआ है, तब से इसके स्वरूप में काफी बदलाव भी हुआ है। बॉलीवुड एक्ट्रेसेस को भी टिशू की साड़ी में खूब देखा जा रहा है। रेखा, जाह्नवी कपूर और कंगना रनौत को तो कई बार टिशू की साड़ी में फैशन इंस्पिरेशन बनते हुए देखा जा चुका है। 

आपको बाजार में कई अच्‍छे साड़ी ब्रांड्स या फिर हैंडलूम शोरूम में टिशू साड़ी की कई वैरायटी मिल जाएंगी। यह साड़ी पहनने में बहुत हल्की होती है, मगर आप इसे ऑफिस से लेकर शादी या किसी पार्टी में भी कैरी कर सकती हैं। 

इस तरह की साड़ी के साथ आप ब्रोकेड या फिर वेल्‍वेट का ब्‍लाउज कैरी कर सकती हैं। आपको टिशू की साड़ी के साथ टिशू का ही ब्‍लाउज नहीं कैरी करना चाहिए। साथ ही यह बहुत ही डेलीकेट साड़ी होती है, इसलिए आपको इसके रखरखाव पर भी ध्‍यान देना चाहिए और वॉर्डरोब में आप जब इसे रखें तो पहले किसी कॉटन के कपड़े से ढक दें। महीने में एक बार इस साड़ी की तह भी बदल दें क्‍योंकि इससे साड़ी में क्रीज नहीं पड़ती हैं। दरअसल, क्रीज पड़ने से साड़ी के कटने या फटने की संभावना भी बढ़ जाती है। 

 

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