ठंड दस्तक दे चुकी है। हमने संदूक में एक साल से बंद अपने गर्म कपड़े भी निकाल लिए हैं। मगर शायद ही कोई सर्दियां ऐसी जाती होंगी जब हम शॉपिंग न करते हों। खासतौर पर मफलर, शॉल्स, कैप और दस्तानों की शॉपिंग तो करते ही करते हैं। अगर इस बार आप अपने लिए नया शॉल खरीदने के बारे में सोच रही हैं, तो साधारण की जगह कोई ऐसा शॉल लें जो न केवल खास हो बल्कि उसे कैरी करने के बाद आप भी खुद को खास महसूस कर पाएं।
आज हम आपको एक ऐसे ही शॉल के बारे में बाताने जा रहे हैं, जो केवल ठंड बचाने का साधन नहीं है, बल्कि इससे नागालैंड राज्य की विशेषता और पारंपरिकता जुड़ी हुई है। यह शॉल नागा जनजातियों के की समृद्ध परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है। यह शॉल आज फैशन के लिहाज से तो सभी के दिल जीत ही रहा है, मगर इसका महत्व और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य आप जानकर चकित रह जाएंगे। तो चलिए जानते हैं इस शॉल के बारे में।
नागा शॉल में तीन मुख्य रंग प्रमुखता से दिखते हैं लाल, काला और सफेद। इन रंगों के साथ-साथ विभिन्न प्रतीकात्मक डिजाइन भी आपको शॉल की शोभा बढ़ते हुए दिख जाएंगी। रोचक बात यह है कि नागा जनजातियों में प्रत्येक समुदाय में आपको एक अपनी विशिष्ट डिजाइन देखने को मिलेगी, जिसके साथ शॉल का नाम भी बदल जाता है। इस शॉल में न केवल जरूरत और फैशन ही छुपा हुआ है बल्कि नागालैंड के लोग मानते हैं कि इन शॉलों का निर्माण बहुत ही कड़े नियमों के साथ किया जाता है। ताकि जो भी इस शॉल का धारण करे उसे सौभाग्य की प्राप्ति हो।
आपको बता दें कि यह शॉल पहले आम लोगों के लिए नहीं बल्कि योद्धाओं के लिए बनाए जाते थे। इसलिए इन शॉल्स को बनाने में कड़े नियमों का पालन करना पड़ता था, ताकि युद्ध में उनकी विजय हो और वे सुरक्षित रहें। इस प्रक्रिया और नियम को आज भी यह शॉल बनाने वाले फॉलो करते हैं।
नागा शॉल का इतिहास भारत-तिब्बत के प्राचीन जनजातीय समूहों से जुड़ा है, जो नागालैंड के पूर्वी भाग में आकर बस गए थे। नागा योद्धा जनजाति होने के कारण उनकी पोशाक और आभूषण में भी उनका साहस और पहचान झलकती है। इनकी पारंपरिक पोशाक में शॉल, हॉर्नबिल पंख, कौड़ी और हार शामिल होते हैं, जो उनकी वीरता का प्रतीक हैं। शॉल पर अंकित विशेष रूपांकनों से पता चलता है कि किस व्यक्ति ने साहसिक कार्य किए हैं। हालांकि योद्धाओं की परंपरा समाप्त हो चुकी है, लेकिन नागा शॉल आज भी उनकी संस्कृति की पहचान बनाए हुए हैं।
इसे जरूर पढ़ें- ठंड की शादियों में पहनिए ये Velvet Suit Women और कहिए स्वेटर व शॉल को बाय-बाय!
नागा शॉल को पारंपरिक रूप से प्राकृतिक सामग्री जैसे कपास और ऊन से तैयार किया जाता है। हांलाकि विशेष कढ़ाई के लिए कुछ शॉल में रेशम का उपयोग भी होता है। शॉल निर्माण की प्रक्रिया में तीन मुख्य चरण शामिल होते हैं कताई, रंगाई और बुनाई।
नागा शॉल की बुनाई 'लोइन लूम' या 'बैकस्ट्रैप लूम' पर की जाती है। इस लूम को बुनकर अपनी पीठ से सहारा देते हैं। इस करघे में छह बांस की छड़ियां होती हैं, जो इसे पारंपरिक और अनूठा बनाती हैं। यह करघा नागालैंड में आज भी प्रमुखता से उपयोग में लाया जाता है।
नागा शॉल में विभिन्न प्रतीक और डिजाइन देखने को मिलते हैं, जो साहस, शक्ति और नागा समाज की विशिष्टता को दर्शाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रतीक और डिज़ाइन हैं:
इसे जरूर पढ़ें-Winter Fashion Tips: विंटर आउटफिट में दिखना चाहती हैं एलिगेंट, तो इन 5 तरह की शॉल को करें स्टाइल
यह असली वूल की बनी हुई शॉल होती हैं। मार्केट में आपको 20 हजार रुपये कीमत से शुरुआत वाली शॉल से लेकर 50 हजार रुपये की शॉल तक मिल जाएगी। मगर आप यदि क्वालिटी से थोड़ा समझौता कर सकती हैं, तो आपको 1000 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक में भी नागा शॉल की कॉपी मिल सकती है।
इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय भी आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।