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Interesting Facts: ठिठुरने वाली सर्दी में 'नागा शॉल्‍स' से मिलेगी गरमाहट, जानें इससे जुड़े रोचक तथ्‍य

कड़ाके की ठंड में नागा शॉल्स से मिलेगी विशेष गरमाहट। जानें इस खास शॉल से जुड़ी रोचक बातें, इसकी अनोखी बुनाई और परंपराओं का राज जो इसे खास बनाते हैं।
Editorial
Updated:- 2024-11-08, 17:11 IST

ठंड दस्‍तक दे चुकी है। हमने संदूक में एक साल से बंद अपने गर्म कपड़े भी निकाल लिए हैं। मगर शायद ही कोई सर्दियां ऐसी जाती होंगी जब हम शॉपिंग न करते हों। खासतौर पर मफलर, शॉल्‍स, कैप और दस्‍तानों की शॉपिंग तो करते ही करते हैं। अगर इस बार आप अपने लिए नया शॉल खरीदने के बारे में सोच रही हैं, तो साधारण की जगह कोई ऐसा शॉल लें जो न केवल खास हो बल्कि उसे कैरी करने के बाद आप भी खुद को खास महसूस कर पाएं।

आज हम आपको एक ऐसे ही शॉल के बारे में बाताने जा रहे हैं, जो केवल ठंड बचाने का साधन नहीं है, बल्कि इससे नागालैंड राज्‍य की विशेषता और पारंपरिकता जुड़ी हुई है। यह शॉल नागा जनजातियों के की समृद्ध परंपरा और संस्कृति का प्रतीक है। यह शॉल आज फैशन के लिहाज से तो सभी के दिल जीत ही रहा है, मगर इसका महत्‍व और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्‍य आप जानकर चकित रह जाएंगे। तो चलिए जानते हैं इस शॉल के बारे में।

नागा शॉल की पहचान और महत्व

Been doing photography of shawls-throws today. Will be listing the wonderful rarely seen Naga Shawls from Nagaland,  a tribal state of India.  Shawls were in the treasures hunted by my other half earlier t

नागा शॉल में तीन मुख्य रंग प्रमुखता से दिखते हैं लाल, काला और सफेद। इन रंगों के साथ-साथ विभिन्न प्रतीकात्मक डिजाइन भी आपको शॉल की शोभा बढ़ते हुए दिख जाएंगी। रोचक बात यह है कि नागा जनजातियों में प्रत्येक समुदाय में आपको एक अपनी विशिष्ट डिजाइन देखने को मिलेगी, जिसके साथ शॉल का नाम भी बदल जाता है। इस शॉल में न केवल जरूरत और फैशन ही छुपा हुआ है बल्कि नागालैंड के लोग मानते हैं कि इन शॉलों का निर्माण बहुत ही कड़े नियमों के साथ किया जाता है। ताकि जो भी इस शॉल का धारण करे उसे सौभाग्‍य की प्राप्ति हो।

आपको बता दें कि यह शॉल पहले आम लोगों के लिए नहीं बल्कि योद्धाओं के लिए बनाए जाते थे। इसलिए इन शॉल्‍स को बनाने में कड़े नियमों का पालन करना पड़ता था, ताकि युद्ध में उनकी विजय हो और वे सुरक्षित रहें। इस प्रक्रिया और नियम को आज भी यह शॉल बनाने वाले फॉलो करते हैं।

नागा शॉल का इतिहास भारत-तिब्बत के प्राचीन जनजातीय समूहों से जुड़ा है, जो नागालैंड के पूर्वी भाग में आकर बस गए थे। नागा योद्धा जनजाति होने के कारण उनकी पोशाक और आभूषण में भी उनका साहस और पहचान झलकती है। इनकी पारंपरिक पोशाक में शॉल, हॉर्नबिल पंख, कौड़ी और हार शामिल होते हैं, जो उनकी वीरता का प्रतीक हैं। शॉल पर अंकित विशेष रूपांकनों से पता चलता है कि किस व्यक्ति ने साहसिक कार्य किए हैं। हालांकि योद्धाओं की परंपरा समाप्त हो चुकी है, लेकिन नागा शॉल आज भी उनकी संस्कृति की पहचान बनाए हुए हैं।

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नागा शॉल बनाने की प्रक्रिया

NAGA SHAWLS

नागा शॉल को पारंपरिक रूप से प्राकृतिक सामग्री जैसे कपास और ऊन से तैयार किया जाता है। हांलाकि विशेष कढ़ाई के लिए कुछ शॉल में रेशम का उपयोग भी होता है। शॉल निर्माण की प्रक्रिया में तीन मुख्य चरण शामिल होते हैं कताई, रंगाई और बुनाई।

नागा शॉल की बुनाई 'लोइन लूम' या 'बैकस्ट्रैप लूम' पर की जाती है। इस लूम को बुनकर अपनी पीठ से सहारा देते हैं। इस करघे में छह बांस की छड़ियां होती हैं, जो इसे पारंपरिक और अनूठा बनाती हैं। यह करघा नागालैंड में आज भी प्रमुखता से उपयोग में लाया जाता है।

नागा शॉल में मोटिफ

Traditional wear

नागा शॉल में विभिन्न प्रतीक और डिजाइन देखने को मिलते हैं, जो साहस, शक्ति और नागा समाज की विशिष्टता को दर्शाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रतीक और डिज़ाइन हैं:

  • मिथुन:पशु मिथुन एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। नागालैंड में इस पशु की बलि देने वालों को मिथुन आकृति वाला शॉल पहनने का अधिकार मिलता था।
  • रुंगू: रुंगू एक तलवार है जिसे नागा योद्धाओं और शिकारी अपने सम्मान और भूमि की रक्षा के लिए इस्तेमाल करते थे।
  • मोबा: यह एक शेवरॉन डिजाइन है, जो नागा समाज के पारंपरिक घरेलू जीवन का प्रतिनिधित्व करता है।
  • चैपिली: यह एक पुरानी मुद्रा है जो एओ और चांग नागा जनजातियों द्वारा इस्तेमाल की जाती थी। इसका डिजाइन लंबा और पतला होता है।
  • बाघ और शेर: इन शक्तिशाली जानवरों को साहस और बहादुरी के प्रतीक के रूप में दर्शाया जाता है और योद्धाओं के शॉल में इनकी आकृतियां दिखाई देती हैं।

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शॉल की कीमत

यह असली वूल की बनी हुई शॉल होती हैं। मार्केट में आपको 20 हजार रुपये कीमत से शुरुआत वाली शॉल से लेकर 50 हजार रुपये की शॉल तक मिल जाएगी। मगर आप यदि क्‍वालिटी से थोड़ा समझौता कर सकती हैं, तो आपको 1000 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक में भी नागा शॉल की कॉपी मिल सकती है।

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