21 दिसंबर 1989 का वो दिन जब एक बड़ी साजिश रची गई थी। एक ऐसी साजिश जिसमें 243 यात्रियों और 16 क्रू मेंबर्स की जान दांव पर थी। फ्लाइट नंबर Pan Am 103, जिसे लंदन से उड़ान भरकर न्यूयॉर्क होते हुए डेट्रॉइट जाना था। फ्लाइट के भीतर हर उम्र के मुसाफिर मौजूद थे, किसी को परिवार से मिलना था, किसी को छुट्टियां मनानी थीं। क्रिसमस में सिर्फ 4 दिन बचे थे, न्यू ईयर बस 9 दिन दूर था।हर मुसाफिर ने सीट बेल्ट बांध ली थी, और उड़ान भरने का इंतजार कर रहा था। फ्लाइट के अंदर रौनक थी, उम्मीदें थीं और सफर की खुशी थी। लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि ये सफर मंजिल तक नहीं पहुंचेगा। फ्लाइट ने उड़ान भर ली थी, लेकिन अचानक आसमान में कुछ हुआ। आसमान में विमान के साथ होने वाले इस हादसे ने हर किसी का दिल झकझोर कर रख दिया था।
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अधिकारियों ने काफी जांच के बाद एक सुराग हाथ लगा। पता चला की बम किसी बैग या सामान में नहीं बल्कि एक छोटे से रेडियो में छिपाकर ले जाया गया था। जांचकर्ताओं को एक छोटा सा टुकड़ा मिला, जिससे यह पता चला कि बम को कोई रेडियों में लगाकर लेकर गया होगा। ऐसा ही एक टुकड़ा जांचकर्ताओं को एक शर्ट के कपड़े में भी फंसा हुआ मिला था। इन चीजों से टाइमर की पहचान करना आसान हो पाया।
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अभी तक जांचकर्ताओं द्वारा आरोपियों को खोजा नहीं गया था। जैसे-तैसे सबूतों को जोड़ते हुए उत्तरी अफ्रीका में स्थित लीबिया देश में आरोपियों का पता चला। लीबियन सीक्रेट सर्विस के दो एजेंटों को इसमें शामिल पाया गया। अब्देल बासेट अली अल-मेगराही (Abdel Basset Ali al-Megrahi) और लैमेन खलीफा फहीमा (Lamen Khalifa Fhimah) इस मामले में आरोपी माने गए थे। लेकिन जब लीबिया को इन्हें कोर्ट में पेश करने के लिए कहा गया, तो देश दोनों आरोपियों को कोर्ट में लाने से मना कर दिया। इससे नाराज होकर अमेरिका और UN (United Nations) ने उनपर कड़े प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। इसके बाद लीबिया ने दोनों आरोपियों को पेश करने की हामी भरी।
लीबियाई सरकार की तरफ से वैसे तो इस बम विस्फोट की जिम्मेदारी स्वीकार नहीं की गई थी। लेकिन फिर भी पीड़ितों के परिवारों को 3 अरब डॉलर का मुआवजा देने पर सहमति जताई थी। दोनों का मामला साल 2000 में स्कॉटिश की अदालत में चला। लेकिन इनमें से एक लैमेन खलीफा फहीमा को कोर्ट ने बरी कर दिया। इसमें से दूसरे माने गए आरोपी अल मेगरा को प्लेन विस्फोट के मामले में उम्रकैद की सजा मिली। फिर भी कुछ सालों बाद उसे रिहा कर दिया गया।
रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2009 में उसे कैंसर की वजह से कोर्ट ने रिहा कर दिया था। क्योंकि, वह मौत के निकट था। जेल से रिहा होने के बाद वह लगभग 3 साल तक जिंदा रहा था। साल 2012 में उसकी मौत हो गई। फ्लाइट हादसा की इस खबर से पूरा देश दहशत में आ गया था। इसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
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