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चेन्नई के इस मंदिर में देवी लक्ष्मी के 8 रूपों की होती है पूजा, चढ़ाई जाती है खास चीज

अष्ट लक्ष्मी मंदिर में देवी लक्ष्मी की 8 प्रतिमाएं हैं, जिसकी पूजा अर्चना करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। आइए जानें इस मंदिर से जुड़ी रोचक बातें।
Editorial
Updated:- 2021-10-21, 18:54 IST

दक्षिण भारत मंदिरों का गढ़ माना जाता है। यहां कई देवी-देवताओं का के मंदिर हैं, जो दुनियाभर में प्रसिद्ध भी हैं। यहां मंदिरों की भव्यता और उनका निर्माण यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है। बात करें कि चेन्नई के अष्टलक्ष्मी मंदिर की तो यह खूबसूरत होने के साथ-साथ देवी लक्ष्मी के प्रमुख मंदिरों में से एक है। इस मंदिर मेंदेवी लक्ष्मी के आठ रूपों की पूजा की जाती है। शौर्य, शक्ति और धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करने के लिए लोग इस मंदिर में दूर-दूर से आते हैं।

यही नहीं दीवाली के मौके पर यहां अक्सर यात्रियों को भीड़ लगी रहती है। आपदिवाली के मौके पर कहीं घूमने की प्लानिंग कर रही हैं तो अष्टलक्ष्मी मंदिर आ सकती हैं। चेन्नई पहुंचने के बाद इस मंदिर तक आप आसानी से पहुंच सकते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस मंदिर को लेकरऐसी मान्यताएं हैं कि यहां दर्शन करने से श्रद्धालुओं को धन, विद्या, शौर्य और सुख की प्राप्ति होती है। वहीं अन्य दक्षिण मंदिरों की तरह यह मंदिर भी विशाल गुंबद वाला है।

समुद्र तट पर स्थित है ये मंदिर

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यह मंदिर बसंत नगर के समुद्र तट पर स्थित है। मंदिर निर्माण 4 तले में किया गया है, जिसमें देवी लक्ष्मी की अलग-अलग प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर के दूसरे तले पर देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, इसके बाद तीसरे तले पर रखी गई प्रतिमाओं की पूजा होती है। शुरुआत में महिलाएं तेल से पूजा करती हैं। महिलाएं दीया जलाती हैं और माता की आरती उतारती हैं। देवी लक्ष्मी में खास श्रद्धा रखती हैं तो इस मंदिर में एक बार जरूर जाए। वहीं मंदिर समुद्र तट पर स्थित होने की वजह से यह काफी खूबसूरत भी दिखता है। इस मंदिर में रखी प्रतिमाओं की खासियत है कि वह घड़ी की सुइयों की दिशा में आगे बढ़ने पर दिखाई देते हैं। इसके अलावा इस मंदिर में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की साथ में भी प्रतिमाएं रखी गई हैं। लोग अपनी दांपत्य जीवन सुखी बनाने के लिए यहां प्रार्थना करने आते हैं।

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मंदिर में है कमल चढ़ाने की परंपरा

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इस मंदिर में आने वाले लोग कमल का फूल चढ़ाते हैं। वहीं इस मंदिर को श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामिगल की इच्छा से तैयार किया गया था। मंदिर का निर्माण साल 1976 में किया गया था। 65 फीट लंबा और 45 फीट चौड़ा मंदिर की वास्तुकला उथिरामेरुर में सुंधराराज पेरुमल मंदिर से ली गई है। मंदिर में कुल 32 कलशों का नवनिर्मित किया है। बता दें कि मंदिर के गर्भगृह के ऊपर 5.5 फीट ऊंचा गोल्ड प्लेटेड कलश भी नवनिर्मित किया गया है। चेन्नई के मशहूर मंदिरों में से एक है अष्टलक्ष्मी मंदिर। स्थानीय लोग यहां रोजाना पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।

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    कैसे पहुंचे अष्टलक्ष्मी मंदिर

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    अष्टलक्ष्मी मंदिर पहुंचने के लिए आपको चेन्नई आना होगा। चेन्नई पहुंचने के लिए आपको हवाई जहाज और ट्रेन दोनों सुविधाएं मिल जाएंगी। वहीं चेन्नई रेलवे स्टेशन से आपको अष्ट लक्ष्मी मंदिर पहुंचने में कम से कम एक घंटा लग सकता है। अष्टलक्ष्मी मंदिर पहुंचने के लिए आपको ऑटो,बस और कैब आसानी से मिल जाएंगे। अगर आप अष्ट लक्ष्मी मंदिर दर्शन के लिए आ रही हैं और आपके पास समय है तो ट्रेन बेहतर विकल्प है।

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