बॉलीवुड सेलेब्स कई बार कुछ ऐसा कह बैठते हैं कि अपने स्टेटमेंट की वजह से वे विवादों में घिर जाते हैं। नोरा फतेही ने भी हाल ही में कुछ ऐसा ही किया है। यूं तो एक्ट्रेस अक्सर अपने डांस मूव्स और अदाओं की वजह से सुर्खियां बटोरती हैं, लेकिन इस बार नोरा ने कुछ ऐसा कह दिया कि न केवल वह विवादों में घिरी, बल्कि एक गंभीर मुद्दे पर फिर से बहस भी छिड़ गई। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान, नोरा ने फेमिनिज्म यानी नारीवाद पर कुछ 'बड़े बोल' बोले थे। हालांकि, अब वह अपने स्टेटमेंट पर सफाई देती नजर आई हैं। चलिए आपको बताते हैं कि नोरा ने क्या कहा था और आखिर क्यों एक बार फिर नारीवाद पर बहस छिड़ गई है।
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हाल ही में एक शो के दौरान आदमी और औरत को एक-दूसरे की जरूरत है या नहीं और फेमिनिज्म जैसे मुद्दे पर बात करते हुए नोरा ने कहा था, "मुझे किसी की जरूरत नहीं है। मैं फेमिनिज्म जैसे विचार पर यकीन नहीं रखती हैं। मुझे ऐसा लगता है कि फेमिनिज्म ने हमारे समाज को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। मेरे हिसाब से जहां मेल, प्रोवाइडर और कमाने वाला होता है। वहीं, महिलाएं पालन-पोषण करने वाली होती हैं। लेकिन आजकल इसे सही नहीं माना जाता है। आजकल तो इंडिपेंडेंट होने का मतलब शादी न करने और बच्चा पैदा न करने को माना जाने लगता है।" नोरा यहीं नहीं रूकीं। उन्होंने आगे कहा, "हां, बेशक महिलाओं को काम पर जाना चाहिए...अपना जीवन जीना चाहिए और स्वतंत्र होना चाहिए, लेकिन एक हद तक...। उन्हें एक मां, पत्नी का रोल निभाने के लिए तैयार होना चाहिए। ठीक वैसे ही, जैसे कि एक पुरुष को प्रोवाइडर, एक पति और पिता के रोल के लिए तैयार रहना चाहिए।"
नोरा ने इस वीडियो को अपने इंस्टाग्राम पर भी शेयर किया था। इसके बाद नोरा ने बयान पर बहस छिड़ गई। लोग कमेंट्स में नोरा को फेमिनिज्म का असली मतलब समझाने लगे। एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा, 'बहुत खूब! जब आप सिर्फ डांस करते हैं और आपको फेमिनिज्म या उस मामले से जुड़ी किसी बात के बारे में जीरो जानकारी होती तो आप कुछ इसी तरह बोलते हैं'। एक यूजर ने यह भी कहा कि फेमिनिज्म के दम पर ही नोरा को इंडस्ट्री में काम मिल पाया है और अगर आज फेमिनिज्म नहीं होता तोर नोरा ने जो कुछ भी हासिल किया है, उन्हें वो कुछ नहीं मिल पाता। इस तरह नोरा के बयान के बाद एक बड़ी बहस छिड़ गई।
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नोरा फतेही ने स्टेटमेंट पर उन्हें जबरदस्त ट्रोल किया जाने लगा और इसके बाद नोरा ने अपने स्टेटमेंट पर सफाई दी। एक यूजर को रिप्लाई करते हुए उन्होंने लिखा कि वह टॉक्सिक और कट्टर फेमिनिज्म के बारे में बात कर रही थीं।
फेमिनिज्म या फेमिनिस्ट होने के मायने अक्सर गलत समझ लिए जाते हैं। यहां इस मुद्दे पर बहस करने से पहले यह समझना जरूरी है कि फेमिनिज्स मर्दों को कमतर आंकने या औरतों को लेकर एक अलग दुनिया बसाने की मुहिम नहीं है, बल्कि यह मर्द और औरत को साथ लेकर चलने की मुहिम है। फेमिनिज्म के मायने काफी बड़े हैं। यह कोई जंग नहीं है, बल्कि एक कवायद है कि पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को बराबरी का दर्जा और अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जीने की इजाजत मिल सके।
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