आरती लेने के बाद थाली में क्यों डाले जाते हैं पैसे? जानें क्या है इसके पीछे की वजह

हिंदू धर्म में भगवान की पूजा-अर्चना में आरती का खास महत्व हैं। आरती पूरी होने के बाद पूजा थाली को घर के कोई सदस्य या मंदिर परिसर में पंडित जी द्वारा सभी को आरती दी जाती है। आरती को माथे पर लगाने के बाद या पहले थाली में कुछ पैसे डालते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है। चलिए पंडित जी से जानते हैं इसके पीछे का कारण-
Why the Tradition of Aarti in Worship

हिंदू धर्म में पूजा के दौरान कुछ रस्म-रिवाज पुरातन समय से चली आ रहा है, जिसे हम आज भी जस-का-तस मनाते हुए चले आ रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन सभी परंपराओं के पीछे कोई न कोई धार्मिक, वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कारण होता है। एक ऐसा ही नियम है, जो हम सभी भगवान की पूजा करने के बाद करते हैं और वह है आरती। आरती पाठ पूरा होने के बाद घर के सदस्य या मंदिर परिसर में पंडित जी द्वारा आरती की थाल भक्त को दिखाई दी जाती है, जिसके बाद वह आरती को माथे लगाते हुए उसमें कुछ सिक्के या नोट डालते हैं।

अक्सर हम सभीआरती के बाद बिना सोचे-समझे करते हैं, इस परंपरा को निभाते हैं। क्योंकि यह हमारी परंपरा का हिस्सा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसके पीछे की असली वजह क्या है? क्या यह सिर्फ दान-दक्षिणा का एक तरीका है, या इसका कोई गहरा धार्मिक अर्थ है। चलिए पंडित उदित नारायण त्रिपाठी से जानते हैं कि पैसा थाली में डालने के पीछे का क्या कारण है।

दान को लेकर श्रीमद्भागवत गीता में क्या लिखा है?

Reasons Hidden in Hindu Traditions

हिंदू धर्म में दान करने का विशेष महत्व है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार दान करता है और दान हमेशा सद्पात्र व्यक्ति को देना चाहिए। श्रीमद्भागवत गीता में श्लोक है "दातव्यमितियद्दानंदीयतेऽनुपकारिणेदेशे काले च पात्रेतद्दानंसात्त्विकंस्मृतम्।।" धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो मंदिर के पुजारी भी दान के सच्चे पात्र होते हैं। उनसे हमें किसी प्रकार के उपकारकी अपेक्षा नहीं होती। वे अपना जीवन भगवान की भक्ति में समर्पित करते हैं और दूसरों की भलाई के लिए प्रार्थना करते हैं। इसलिए आरती की थाली में पैसे डालना पुजारी को दिया गया एक सात्विक दान माना जाता है क्योंकि यह बिना किसी अपेक्षा के योग्य पात्र को दिया गया सहयोग है।

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आरती की थाली में क्यों डाले जाते हैं पैसे?

Why the Tradition of Aarti in Worship

आरती के बाद थाली में पैसे डालने की प्रथा एक सात्विक दान का प्रतीक है। इसका अर्थ है कि यह दान बिना किसी अपेक्षा के, योग्य व्यक्ति और उचित स्थान पर दिया जाता है। मंदिर के पुजारी ऐसे ही योग्य पात्र होते हैं, क्योंकि वे अपना जीवन ईश्वर की भक्ति में लीन रहते हैं और समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं। इस प्रकार, आरती की थाली में दिए गए पैसे उनके प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा का एक रूप हैं।

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Image Credit- freepik

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FAQ

  • मंदिर में केवल पुरुष पुजारी ही क्यों होते हैं?

    मंदिर में पुरुषों के पुजारी होने के पीछे कई कारण जैसे महिलाओं के मासिक धर्म, आध्यतिमक ऊर्जा को बनाए रखने और सुरक्षा आदि शामिल है।