panch pandit hi kyu karte hain ganga aarti

Ganga Aarti: गंगा आरती सिर्फ 5 पंडित ही क्यों करते हैं? जानें क्या है इस संख्या का महत्व

गंगा आरती से जुड़ी कई रोचक बातें हैं। इन्हीं में से एक है इस आरती को करने वाले पंडित। गंगा आरती को सिर्फ 5 ही पंडित करते हैं, न इससे ज्यादा न इससे कम।  
Editorial
Updated:- 2025-04-28, 23:00 IST

हिन्दू धर्म में आरती का बहुत महत्व माना गया है। इसी कारण से मंदिरों से लेकर घरों तक में भगवान की पूजा के बाद आरती करना परंपरागत भी है और शुभ भी। हालांकि देवी-देवताओं की आरती मंदिर और घर दोनों स्थानों पर कर सकते हैं, लेकिन पवित्र नदियों की आरती घाट किनारे ही की जाती है। यूं तो सभी पवित्र नदियों की आरती देखना बहुत ही पुण्यकर माना जाता है, लेकिन गंगा आरती का विशेष महत्व है।

बनारस, हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा आरती भव्य रूप में की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जब गंगा घाट के किनारे गंगा आरती पंडितों द्वारा की जाती है तब उस समय वहां सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि देवी-देवता भी अदृश्य रूप में उपस्थिति होते हैं। गंगा आरती से जुड़ी कई रोचक बातें हैं। इन्हीं में से एक है इस आरती को करने वाले पंडित। गंगा आरती को सिर्फ 5 ही पंडित करते हैं, न इससे ज्यादा न इससे कम।

पांच पंडितों द्वारा ही क्यों होती है गंगा आरती?

How many people attend Ganga Aarti

हिन्दू धर्म में माना जाता है कि यह ब्रह्मांड पांच मूल तत्वों - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश आदि से मिलकर बना है। गंगा आरती में 5 पंडित इन पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं। आरती के दौरान उनकी गतिविधियां और उपयोग की जाने वाली सामग्रियां इन तत्वों के प्रति सम्मान और संतुलन बनाए रखने का प्रतीक हैं।

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इसके अलावा, मनुष्य के पास पांच ज्ञानेंद्रियां- आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा आदि होती हैं। इन्हीं ज्ञानेन्द्रियों को अपने नियंत्रण में रख कर इन सभी को भक्तिभाव से जोड़ते हैं पंडित और फिर उसके बाद गंगा आरती के दौरान इन पांच इंद्रियों के माध्यम से भगवान के प्रति अपनी भक्ति और प्रार्थना व्यक्त करते हैं।

Who are the people who do Ganga Aarti

शास्त्रों में लिखित जानकारी के अनुसार, मनुष्य के पास पांच कर्मेन्द्रियां भी होती हैं जिनके नाम हैं, हाथ, पैर, वाणी, जननेंद्रिय और गुदा। आरती को इन कर्मों के समर्पण के रूप में भी देखा जा सकता है, जिसमें पांच पंडित सामूहिक रूप से इस समर्पण का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसका अर्थ है वह पंडित कर्म इन्द्रियों को दर्शाते हैं।

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तिष शास्त्र में नवग्रहों का महत्व है, जिनमें से पांच मुख्य ग्रह हैं सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध और बृहस्पति जो व्यक्ति को जीवन में मिलने वाले भौतिक सुखों को दर्शाते हैं। गंगा आरती को करने वाले पांच पंडित इन 5 ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी करण से बोला जाता है कि गंगा आरती देखने से सुख-समृद्धि का घर में वास होता है।

What is the purpose of Ganga Aarti

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image credit: herzindagi 

FAQ
सबसे बड़ी गंगा आरती कौन से घाट पर होती है?
सबसे बड़ी गंगा आरती काशी के दशाश्वमेध घाट पर होती है।
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