Hindu Wedding Rituals: विवाह में क्यों दिया जाता है पितरों को आमंत्रण?

हिन्दू धर्म में शादी से जुड़े कई रीति-रिवाज होते हैं। हर रिवाज का अपना महत्व और उसके पीछे छिपे हैं कई कारण।  

why are ancestors invited in marriage

Marriage Rituals: हिन्दू धर्म में शादी से जुड़े कई रीति-रिवाज होते हैं। हर रिवाज का अपना महत्व और उसके पीछे छिपे हैं कई कारण।

यह तो सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म में विवाह का सबसे पहला न्यौता प्रथम पूज्य श्री गणेश को जाता है। शादी का पहला कार्ड उन्हें अर्पित होता है।

वहीं, दूसरा कार्ड पितृस्वर के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि विवाह में पितरों को न्यौता दिया जाता है। इसके बिना विवाह संपन्न नहीं हो पाता है।

ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि आखिर विवाह जैसे शुभ काम में पितरों की पूजा क्यों होती है और क्यों देते हैं उन्हें आमंत्रण।

विवाह में पितरों को क्यों बुलाते हैं? (Why Are Ancestors Invited To Wedding?)

reason for inviting ancestors in marriage

  • हिन्दू विवाह में पितरों को आमंत्रण दिया जाता है। मान्यता है कि पितरों को बुलाये बिना विवाह की कोई भी विधि नहीं निभाई जाती है।
  • पूरे विवाह के दौरान यानी कि हर एक रस्म में पितृ सम्मिलित होते हैं और जिसका विवाह (शीघ्र विवाह के उपाय) हो रहा होता है उसे अपना आशीर्वाद देते हैं।
  • शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि पितृ हमेशा अपने परिवार को आने वाली पीढ़ी को सुख में देखना चाहते हैं। अपने परिवार की रक्षा करते हैं।
  • इसी कारण से हर सुख के कार्य में पितरों को आमंत्रण दिया जाता है और उनका विधिवत भाग भी निकाले जाने का विधान मौजूद है।
  • मानयता है कि शुभ कार्य के दौरान अगर कुछ भी अशुभ होने वाला होता है तो पितृ हर बाढ़ को दूर कर देते हैं और शुभता लाते हैं।

विवाह में पितरों को बुलाने की क्या विधि है? (How To Invite Ancestors In Wedding?)

reason for inviting ancestors to marriage

  • विवाह में पितरों को बुलाने की भी संपूर्ण विधि है। विवाह में पितरों के लिए शादी का दूसरा कार्ड अलग से निकालना चाहिए।
  • पितरों के निम्मित पंडित को देने के लिए बाजार से नए कपड़े लेकर आए जाते हैं। यह कपड़े किसी भी रंग के हो सकते हैं।
  • घर में एक चौकी लगाई जाती है। इस चौकी पर पितरों के प्रतीक के रूप में उनके लिए लाये गए नए वस्त्र रखे जाते हैं।
  • इसके अलावा, चौकी पर नए वस्त्रों के साथ ही पितरों (पितरों के प्रसन्न होने के संकेत) से जुड़ी चीजें भी रखते हैं जैसे कि पितरों की प्रिय वस्तुएं आदि।
  • जितने दिन के विवाह कार्यक्रम होते हैं उतने दिन बनने वाले भोजन में से पितरों की थाली अलग निकाली जाती है।
  • विवाह कार्यक्रम चलने तक पितरों को अलग से भोजन परोसा जाता है और बाद में उस थाली को गाय को खिलाते हैं।
  • जिस दिन मुख्य विवाह होता है उस दिन पितरों की चौकी को उठाकर विवाह स्थल पर मंडप के पास पहुंचाया जाता है।
  • मान्यता है कि विवाह के दिन सभी परिवारजन के साथ ही पितृ भी स्वयं मौजूद रहकर वर-वधु को अपना आशीर्वाद देते हैं।
  • विवाह संपन्न हो जाने के बाद पितृ अपने लोक लौट जाते हैं और उनकी चौकी पर रखा सारा सामान पंडित को दिया जाता है।

आप भी इस लेख में दी गई जानकरी के माध्यम से जान सकते हैं कि आखिर क्यों हिन्दू धर्म में विवाह के दौरान क्यों न्यौते जाते हैं पितृ, क्या है इसका महत्व औए कैसे की जाती है यह विधि। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: shuttertsock, pinterest

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