sarva pitru amavasya pr kaha rakha jata hai pitro ke liye pani

सर्वपितृ अमावस्या की रात क्यों और कहां रखा जाता है पितरों के लिए पानी?

अश्विन माह की अमावस्या पर उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो, इसलिए इसे 'सर्वपितृ अमावस्या' कहा जाता है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों के लिए घर में अलग से पानी रखा जाता है।
Editorial
Updated:- 2025-09-18, 14:31 IST

सर्वपितृ अमावस्या जिसे पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं, पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है। ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ही एक राशि में आते हैं जिससे पितरों को धरती पर आकर अपने वंशजों से भोजन और जल ग्रहण करने का अवसर मिलता है।

इस विशेष तिथि पर उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो, इसलिए इसे 'सर्वपितृ अमावस्या' कहा जाता है। वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों के लिए घर में अलग से पानी रखा जाता है। ऐसे में आइये जानते हैं कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन कहां और क्यों रखा जाता है पितरों का पानी।

सर्वपितृ अमावस्या पर कहां और क्यों रखें पितरों के लिए पानी?

सर्वपितृ अमावस्या की रात पितरों के लिए पानी रखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसके पीछे धार्मिक मान्यता यह है कि पितृ अमावस्या की रात को धरती से वापस अपने लोक जाते हैं।

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उनकी इस यात्रा को सफल बनाने और उन्हें तृप्त करने के लिए जल रखा जाता है। यह जल उनके प्यास बुझाने का प्रतीक है, ताकि वे संतुष्ट होकर अपने लोक में लौट सकें।

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इसके अलावा, यह क्रिया हमारे पूर्वजों के प्रति सम्मान, प्रेम और कृतज्ञता दर्शाती है। यह एक प्रतीकात्मक कार्य है जो यह दर्शाता है कि हम उन्हें याद करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।

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पितरों के लिए पानी रखने के लिए सबसे सही जगह घर के बाहर, मुख्य द्वार के पास होती है। पानी को किसी साफ बर्तन या लोटे में रखा जाता है। इसके साथ ही, कुछ लोग आटे से बनी छोटी-छोटी रोटियां भी रखते हैं।

ऐसा इसलिए ताकि पक्षी उन्हें खा सकें और यह माना जाता है कि ऐसा करने से पितरों को भोजन प्राप्त होता है। यह परंपरा इस विश्वास पर आधारित है कि जल और भोजन पितरों की यात्रा को सुगम और कष्ट रहित बनाते हैं।

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इससे वे शांत और संतुष्ट होकर हमें आशीर्वाद देते हैं। यह क्रिया पितृ दोष को समाप्त करने में भी मदद करती है, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

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FAQ
पितरों को भोजन कौन पहुंचाता है?
पितरों को भोजन मुख्य रूप से ब्राह्मणों, कौओं, कुत्तों और गाय के माध्यम से पहुंचता है।
बंधे हुए पितरों को कैसे खोलें?
बंधे हुए पितरों को खोलने के लिए पितृपक्ष में उनका तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करें।
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