What should you not do after donating

कब दान करने से नहीं मिलता लाभ?

ग्रंथों में यह वर्णन मिलता है कि जितना व्यक्ति दान करता है उतना ही उसका अपना घर-संसार भरा रहता है। यही कारण है कि दान करने को न सिर्फ एक धार्मिक कार्य बल्कि नियमित दिनचर्या का हिस्सा माना गया है।
Editorial
Updated:- 2024-11-26, 11:07 IST

धर्म शास्त्रों में दान करने का बहुत महत्व माना गया है। सनातन परंपरा के अनुसार, जब भी कोई व्यक्ति दान करता है तो उस दान का उस व्यक्ति को चौगुना फल प्राप्त होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि दान करने से पुण्य में वृद्धि होती है। साथ ही, दान करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। ग्रंथों में यह वर्णन मिलता है कि जितना व्यक्ति दान करता है उतना ही उसका अपना घर-संसार भरा रहता है। यही कारण है कि दान करने को न सिर्फ एक धार्मिक कार्य बल्कि नियमित दिनचर्या का हिस्सा माना गया है, लेकिन ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि कैसा या कब दान करने से कोई लाभ नहीं मिलता है। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

कैसा दान लाभ नहीं पहुंचाता है?

शास्त्रों में वर्णित जानकारी के अनुसार, जब आप दान करने के नियमों को नजरअंदाज करते हुए तीन प्रकार की भूल कर बैठते हैं तब दान करने का कोई लाभ नहीं मिलता है।

daan karne ka labh kis samay nahi milta hai

शास्त्रों में लिखा है कि दान हमेशा अपने पैसों का या अपने पैसों से खरीदी गई वस्तु का ही करना चाहिए, लेकिन अगर आप दान किसी और के पैसों से कर रहे हैं तो यह व्यर्थ है।

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किसी और के धन के माध्यम से किये गए दान का लाभ आपको नहीं बल्कि उस व्यक्ति को ही मिलेगा जिसका धन है। दूसरी गलती अक्सर लोग करते हैं दान का बखान करके।

ज्यादातर लोगों को आदत होती है कि 5 रुपए का दान करेंगे और 5 लाख जितना बखान करेंगे।

kaise daan karne ka fal nahi milta hai

शास्त्रों में दान को गुप्त रखने की बात कही गई है तभी उसका पुण्य मिलता है।

ऐसे में यह जरूरी है कि आप सुईं की नोक बराबर जितना दान करें या पहाड़ के बराबर दान में कोई वस्तु दें, मगर कभी भी उसका प्रचार न करें। इससे दान का महत्व नहीं रहता।

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तीसरी जरूरी बात जिसका ध्यान रखना आवश्यक है वह ये कि दान करते समय कभी भी सामने वाले का आंकलन नहीं करना चाहिए। दान अपनी क्षमता के अनुसार किया जाता है।

daan karne ka labh kab nahi milta hai

उदाहरण के तौर पर, अगर आप एक फल ही किसी को दान में दे सकते हैं तो एक ही दें अगर आपकी क्षमता 10 फलों की है तो 10 फल दें। पूर्ण मन से दान करने का पुण्य मिलता है।

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