कैसे पड़ा था श्री कृष्ण का नाम मुरारी? कहीं आप भी तो नहीं समझ रहे इसके पीछे की वजह मुरली... जानें क्या है सच्चाई

भगवान श्री कृष्ण के मुरारी नाम पड़ने के पीछे लोग अक्सर यही मानते हैं कि श्री कृष्ण का यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि वह मुरली बजाया करते थे, लेकिन यह सत्य नहीं है। आइये जानते हैं इस नाम के पीछे की कहानी।
reason behind shri krishna murari name

भगवान श्रीकृष्ण के अनगिनत नाम हैं और हर नाम के पीछे एक रोचक कथा जुड़ी है। ऐसा ही एक नाम है 'मुरारी'। इस नाम को सुनने वाले लोग अक्सर यही मानते हैं कि श्री कृष्ण का यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि वह मुरली बजाया करते थे, लेकिन यह सत्य नहीं है। इस नाम के पड़ने की वजह कुछ और ही थी। तो चलिए जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि कैसे पड़ा श्री कृष्ण का नाम मुरारी।

क्यों बुलाते हैं श्री कृष्ण को मुरारी?

मुरारी नाम दो शब्दों से मिलकर बना है, मुर' और 'अरि'। 'मुर' एक भयंकर राक्षस का नाम था और 'अरि' का अर्थ होता है शत्रु या शत्रु का नाश करने वाला। इस प्रकार, मुरारी का अर्थ हुआ 'मुर राक्षस का शत्रु' या 'मुर का वध करने वाला'।

why is bhagwan krishna called murari

यह कथा प्राचीन काल की है, जब पृथ्वी पर नरकासुर नाम के एक शक्तिशाली और दुष्ट राक्षस का आतंक फैला हुआ था। नरकासुर ने अपनी शक्तियों के बल पर स्वर्ग और पृथ्वी दोनों जगह हाहाकार मचा रखा था।

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वह देवताओं और मनुष्यों को बहुत परेशान करता था। उसके पास मुर नाम का एक अत्यंत पराक्रमी और विशालकाय सेनापति था। मुर राक्षस के पांच सिर थे और वह इतना बलवान था कि उसे हराना लगभग असंभव था।

मुर राक्षस ने इंद्रलोक पर भी कब्जा कर लिया था और देवताओं को भी बंदी बना लिया था। उसके अत्याचारों से त्रस्त होकर सभी देवता और ऋषि-मुनि भगवान विष्णु की शरण में गए और उनसे प्रार्थना की कि वे उन्हें इस राक्षस के आतंक से मुक्ति दिलाएं।

देवताओं की प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया। भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर के साथ युद्ध करने का निश्चय किया। जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी सेना के साथ नरकासुर की राजधानी प्राग्ज्योतिषपुर पहुंचे, तो उनके मार्ग में मुर राक्षस आया।

मुर राक्षस ने अपनी पांचों भुजाओं से श्री कृष्ण पर एक साथ प्रहार करना शुरू कर दिया। वह अत्यंत भयंकर था और उसके सामने कोई टिक नहीं पाता था। भगवान श्रीकृष्ण और मुर राक्षस के बीच भयंकर युद्ध हुआ।

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श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र का प्रयोग किया और एक ही झटके में मुर राक्षस के पांचों सिर धड़ से अलग कर दिए। मुर राक्षस का वध होते ही उसकी विशाल सेना भी तितर-बितर हो गई।

मुर राक्षस का वध करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर को भी मार डाला और देवताओं को उसकी कैद से मुक्त कराया। मुर राक्षस को मारने के कारण ही भगवान श्री कृष्ण को 'मुरारी' के नाम से जाना जाने लगा।

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यह नाम उनकी वीरता, पराक्रम और भक्तों को शत्रुओं से मुक्ति दिलाने की शक्ति का प्रतीक है। यही कारण है कि भगवान श्री कृष्ण के भक्त उन्हें प्रेम से 'मुरारी' कहकर पुकारते हैं और इस नाम का जाप करते हैं।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • श्री कृष्ण को क्यों कहा जाता है रणछोड़? 

    जरासंध के साथ युद्ध के दौरान श्री कृष्ण ने युद्ध स्थल से पलायन कर दिया था, इसी कारण से उनका एक नाम रणछोड़ पड़ गया।