
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को 'प्रथम पूज्य' माना गया है यानी किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत उनकी वंदना के बिना अधूरी है। हर महीने के दोनों पक्षों कृष्ण और शुक्ल में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि गणपति बप्पा को समर्पित होती है। विशेष रूप से शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को 'विनायक चतुर्थी' या 'विघ्नेश्वर चतुर्थी' कहा जाता है। यह दिन विघ्नहर्ता के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने और जीवन से सभी बाधाओं को दूर करने का एक सुनहरा अवसर होता है। मान्यता है कि जो भक्त इस दिन पूरी श्रद्धा से उपवास रखते हैं और गणेश जी की आराधना करते हैं उनके जीवन में सुख-समृद्धि और ज्ञान का आगमन होता है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि इस साल कब पड़ रही है विघ्नेश्वर चतुर्थी, क्या है इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व?
पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि का आरंभ 23 दिसंबर 2025 को दोपहर 02:45 बजे से होगा और इस तिथि का समापन 24 दिसंबर 2025 को दोपहर 01:25 बजे पर होगा। उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, व्रत और मुख्य पूजा 24 दिसंबर को ही संपन्न की जाएगी।

ऐसे में साल 2025 की अंतिम चतुर्थी विघ्नेश्वर चतुर्थी भी कहा जाता है, 24 दिसंबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। चूंकि बुधवार का दिन स्वयं भगवान गणेश को समर्पित है, इसलिए इस दिन चतुर्थी का पड़ना एक बहुत ही शुभ और दुर्लभ संयोग बना रहा है।
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विघ्नेश्वर चतुर्थी की पूजा दोपहर के समय करने का विधान है। 24 दिसंबर 2025 को भगवान गणेश की पूजा के लिए सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 11:15 बजे से दोपहर 01:25 बजे तक रहेगा। इस समय अवधि में की गई पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है क्योंकि यह तिथि और समय सिद्धि योग का निर्माण कर रहे हैं।
इसके अलावा, अगर आप इस दिन कोई विशेष दान या संकल्प लेना चाहते हैं तो सुबह के ब्रह्म मुहूर्त यानी कि सुबह 05:22 बजे से सुबह 06:17 बजे तक के शुभ समय का उपयोग भी कर सकते हैं। दोपहर के समय गणेश जी की आरती और मंत्र जाप करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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विघ्नेश्वर चतुर्थी का विशेष महत्व इसके नाम में ही छिपा है। 'विघ्नेश्वर' का अर्थ है विघ्नों के स्वामी। इस दिन पूजा करने से पुराने रुके हुए कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं और व्यापार या नौकरी में आ रही परेशानियां समाप्त होती हैं।

यह दिन साल के अंत में आता है, इसलिए भक्त साल भर की भूल-चूक की क्षमा मांगने और आने वाले वर्ष की सफलता के लिए गणेश जी का आशीर्वाद लेते हैं। आध्यात्मिक रूप से यह दिन आत्म-शुद्धि का अवसर प्रदान करता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
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