हर व्यक्ति अपनी आमदनी के लिए अलग जरिया अपनाता है। जहां कुछ लोग मल्टीनेशनल कंपनीज में काम करते हैं तो कुछ लोग दुकान भी चलाते हैं। हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि दुकान आप किसी बड़े मॉल या मार्केट में ही खोलें। आज के समय में जब दुकानों का किराया बहुत अधिक है और कमाई काफी कम रह गई है तो ऐसे में लोग अधिक बचत करने का विचार करते हैं।
अमूमन यह देखने में आता है कि कई बार लोग अपने घर में ही दुकान बनवा लेते हैं। ऐसे में उन्हें अलग से स्पेस के लिए किराया भी नहीं देना पड़ता है। साथ ही साथ, यह कुछ हद तक अधिक सुविधाजनक भी माना जाता है। घर में दुकान बनवाने में कोई समस्या नहीं है। लेकिन ऐसे में जरूरी है कि आप वास्तु के कुछ नियमों का खास ख्याल रखें। तो चलिए आज इस लेख में वास्तुशास्त्री डॉ. आनंद भारद्वाज आपको ऐसे ही कुछ नियमों के बारे में बता रहे हैं, जिनका ख्याल आपको घर में दुकान बनवाते समय अवश्य रखना चाहिए-
अंदर से हो दरवाजा
जब भी आप घर में दुकान बनवाते हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दुकान का कोई दरवाजा अंदर से मतलब घर से अटैच जरूर करें। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो घर के जिस हिस्से में आपने दुकान बनाई होगी, आपके घर का वह कोना कट जाएगा। ऐसा करना अच्छा नहीं माना जाता है।
दुकान की दिशा
घर में दुकान बनवाते समय आपको उसकी दिशाओं का भी खास ख्याल रखना चाहिए। मसलन, अगर आपका घर पूर्व मुखी है तो आप दुकान को दक्षिण-पूर्व के कोने में बनाएं। ध्यान दें कि आप पूर्व मुखी घर में दुकान बनवाते समय उत्तर-पूर्व के कोने को खाली रखें। इसी तरह, अगर आपका घर उत्तर मुखी है तो आपकी दुकान उत्तर-पश्चिम अर्थात् वायु कोण में बननी चाहिए। इसमें भी ईशान कोण खुला रहना चाहिए। वहीं, दक्षिण मुखी घर में दुकान को दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनवाना चाहिए। ध्यान दें कि दक्षिण के पूर्व दिशा से आपके घर की एंट्री होनी चाहिए। यदि आपका घर पश्चिम मुखी है तो आपकी दुकान दक्षिण-पश्चिम दिशा में बननी चाहिए। इस दिशा के घर की एंट्री की दिशा उत्तर-पश्चिम होनी चाहिए।
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दुकान का सामान
चूंकि आपने घर में ही दुकान बनाई है, इसलिए अगर आपकी दुकान में किसी तरह की गड़बड़ होती है तो उसका असर सिर्फ आपके काम या आमदनी नहीं, बल्कि घर पर भी पड़ता है। इसलिए, हमेशा दुकान में भी वास्तु के नियमों का ध्यान रखें। कोशिश करें कि दुकान का सामान दक्षिण दिशा में रखा जाए। वहीं, दुकान के मालिक को दक्षिण दिशा में बैठना चाहिए, लेकिन उसका मुख उत्तर दिशा में होना चाहिए।
दुकान में पूजा स्थान
आपने अपने घर में तो पूजा स्थान अवश्य बनाया होगा, लेकिन आपको दुकान में भी अलग से पूजा स्थान अवश्य बनाना चाहिए। आप दुकान में पूजा स्थान उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए, लेकिन पूजा स्थान बहुत भारी नहीं होना चाहिए। साथ ही, कई बार यह भी देखा जाता है कि जब घर में ही दुकान होती है तो घर के सदस्य दुकान में आकर ही पूजा करना शुरू कर देते हैं। हालांकि, ऐसा नहीं करना चाहिए। घर के सदस्यों को घर के भीतर बने पूजा स्थान में ही पूजा करनी चाहिए।
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