Madhya Pradesh Karwa Chauth rituals

मध्य प्रदेश में करवा चौथ के दौरान सिलबट्टा और गेहूं के दानों का होता है खास महत्व, बिना इसके पूजा मानी जाती है अधूरी; जानें क्या है परंपरा

पति की लंबी उम्र के लिए हर साल करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस त्योहार के मौके पर उत्तर भारत में छलनी और करवे का महत्व है। वहीं मध्य प्रदेश की सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ पूजा के दौरान सिलबट्टे और गेहूं का प्रयोग किया जाता है। इस लेख में जानिए मध्य प्रदेश की इस खास परंपरा का क्या है महत्व-
Editorial
Updated:- 2025-10-08, 18:19 IST

Madhya Pradesh Karwa Chauth Rituals: हिंदू धर्म में मनाए जाने हर त्योहार का अपना एक खास महत्व होता है। हर साल मनाया जाने वाला करवा चौथ का पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और जीवन में सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। भारत में एक ही त्योहार पर अलग-अलग जगहों पर कुछ ऐसे रिवाज मनाए जाते हैं, जिसे सुनकर थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन वह परंपरा उस जगह के लोगों के लिए खास महत्व रखता है। हर त्योहार की तरह करवा चौथ भी देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थानीय परंपराओं के साथ मनाया जाता है और मध्य प्रदेश इस मामले में सबसे अनोखा है।
उत्तर भारत में छलनी और करवे का महत्व है, मध्य प्रदेश की सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ पूजा के दौरान सिलबट्टे और गेहूं का प्रयोग किया जाता है। इस लेख में जानिए मध्य प्रदेश की इस खास परंपरा के बारे में-

शिव-पार्वती और अखंड सौभाग्य का प्रतीक

Significance of wheat in Karwa Chauth

करवा चौथ की पूजा के दौरान ओखली को माता गौरी और मूसल को भगवान शिव का प्रतीक मानकर उनकी पूजा की जाती है। इन्हें दांपत्य जीवन में प्रेम, समृद्धि और अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
पार्वती माता को अखंड सौभाग्य की देवी माना जाता है और इस प्रकार उनकी पूजा करना विवाहित जीवन में सुख और पति की लंबी उम्र के लिए महत्वपूर्ण है। पूजा के दौरान सिलबट्टे  या ओखली-मूसल को स्थापित करके उनके सामने पूजा की जाती है।

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समृद्धि और अन्नपूर्णा का आर्शीवाद

Gehu symbolism Karwa Chauth

करवा चौथ पूजा के दौरान गेहूं के दाने एक अनिवार्य हिस्सा होते हैं। मिट्टी का कलश में गेहूं भरे जाते हैं, जो घर में अन्न और धन की समृद्धि का प्रतीक होते हैं। यह देवी अन्नपूर्णा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यही कारण है कि कई स्थानों पर कथा सुनने से पहले हाथ में गेहूं के कुछ दाने लेकर संकल्प लिया जाता है। साथ ही पूजा की चौकी पर अष्टदल कमल बनाने के लिए भी दानों का उपयोग किया जाता है। पूजा के बाद इन दानों को घर में रखे भंडार में मिला दिया जाता है, जिससे घर में बरकत बनी रहे। 

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Image Credit- Gemini, herzindagi


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