Jivitputrika Vrat 2023: जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन क्यों की जाती है जीमूतवाहन भगवान की पूजा

दिनांक 06 अक्टूबर दिन शुक्रवार को जितिया व्रत रखा जाएगा। इस दिन मां अपनी संतान की दीर्घायु और उनकी उन्नति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। 

Jitiya Vrat Puja Astro Tips

(lord jimutavahana puja on jivitputrika vrat) हिंदू पंचांग के अनुसार जितिया व्रत की शुरूआत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को नहाय-खाय के साथ हो जाती है और उसके अगले दिन निर्जला व्रत रखी जाती है।

वहीं तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन ऐसी मान्यता है कि जीमूतवाहन भगवान की पूजा करने से संतान के जीवन में आने वाली सभी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है और शुभ फलों की भी प्राप्ति हो सकती है।

इस दिन विशेषकर मां अपनी संतान की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं और पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करती हैं। जितिया व्रत के दिन जीमूतवाहन भगवान की पूजा क्यों की जाती है। इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है।

आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि जितिया व्रत की कथा क्या है और इस दिन जीमूतवाहन भगवान की पूजा क्यों की जाती है।

जितिया व्रत कथा ( Jitiya Vrat Katha)

jivit putrika fast

जितिया व्रत रखने के साथ-साथ इस दिन कथा जरूर सुनना चाहिए। बिना कथा सुना व्रत के शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है। पौराणिक कथा के अनुसार गंधर्वों के एक राजकुमार थे। जिनका नाम जीमूतवाहन था। जीमूतवाहन अपने पिता की सेवा के लिए सब कुछ छोड़कर युवाकाल में ही वन में चले गए थे।

तब एक दिन जंगल में उनकी मुलाकात नागमाता से हुई। जो बहुत दुखी थी। जब जीमूतवाहन से उनके दुखी होने का कारण पूछा, तब उन्होंने कहा कि नागों ने पक्षीराज गुरुड़ को वचन दिया है कि हर दिन वह एक नाग उन्हें आहार के लिए देंगे।

इसे जरूर पढ़ें - Jitiya Vrat Puja Vidhi & Vrat Paran Samay 2023: कब है जितिया या जीवितपुत्रिका व्रत? जानें नहाय खाय, पूजा मुहूर्त और पारण समय

उसके बाद समझौता करने पर एक वृद्धा का पुत्र शंखचूड़ गरुड़ के सामने गया। वहीं जीमूतवाहन ने नागमाता को वचन दिया था कि वह उनके पुत्र को कुछ नहीं होने देंगे। उन्हें वह वापस जरूर लेकर आएंगे। उसके बाद जीमूतवाहन ने खुद को नाग के पुत्र की जगह खुद कपड़े में लिपटकर गरुड़ के पास जाकर एक शिला पर लेट गया। जहां गरुड़ अपना आहार उठाता था।Fast

इसे जरूर पढ़ें - Jitiya Vrat Niyam 2023: जितिया (Jivitputrika) व्रत में जरूर बरतें ये सावधानियां, जानें व्रत के नियम

उसके बाद जब गरुड़ आया और शीला पर अपने पंजों से जीमूतवाहन को दबाकर पहाड़ की तरफ ले गया। तब गरुड़ ने देखा कि इस बार न नाग चिल्ला रहा है और न ही रो रहा है। जब उसने कपड़ा हाया तो वहां जीमूतवाहन को देखकर हैरान हो गया। जीमूतवाहन ने सारी कहानी गरुड़ (गरुड़ पुराण नियम)को बताई।

जिसके बाद गरुड़ ने उन्हें छोड़ दिया और नागों को न खाने का वचन भी दिया। इस तरह जीमूतवाहन ने सभी नागों की रक्षी की, तभी से संतान (संतान प्राप्ति ज्योतिष उपाय)की दीर्घायु और सुरक्षा के साथ सुख-शांति के लिए जितिया व्रत में जीमूतवाहन भगवान की पूजा की जाती है। जो बेहद शुभ फलदायी साबित होती है।

जितिया व्रत के दिन भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें और अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से।

Image Credit: Freepik

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP