(lord jimutavahana puja on jivitputrika vrat) हिंदू पंचांग के अनुसार जितिया व्रत की शुरूआत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को नहाय-खाय के साथ हो जाती है और उसके अगले दिन निर्जला व्रत रखी जाती है।
वहीं तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन ऐसी मान्यता है कि जीमूतवाहन भगवान की पूजा करने से संतान के जीवन में आने वाली सभी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है और शुभ फलों की भी प्राप्ति हो सकती है।
इस दिन विशेषकर मां अपनी संतान की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं और पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करती हैं। जितिया व्रत के दिन जीमूतवाहन भगवान की पूजा क्यों की जाती है। इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है।
आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि जितिया व्रत की कथा क्या है और इस दिन जीमूतवाहन भगवान की पूजा क्यों की जाती है।
जितिया व्रत कथा ( Jitiya Vrat Katha)
जितिया व्रत रखने के साथ-साथ इस दिन कथा जरूर सुनना चाहिए। बिना कथा सुना व्रत के शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है। पौराणिक कथा के अनुसार गंधर्वों के एक राजकुमार थे। जिनका नाम जीमूतवाहन था। जीमूतवाहन अपने पिता की सेवा के लिए सब कुछ छोड़कर युवाकाल में ही वन में चले गए थे।
तब एक दिन जंगल में उनकी मुलाकात नागमाता से हुई। जो बहुत दुखी थी। जब जीमूतवाहन से उनके दुखी होने का कारण पूछा, तब उन्होंने कहा कि नागों ने पक्षीराज गुरुड़ को वचन दिया है कि हर दिन वह एक नाग उन्हें आहार के लिए देंगे।
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उसके बाद समझौता करने पर एक वृद्धा का पुत्र शंखचूड़ गरुड़ के सामने गया। वहीं जीमूतवाहन ने नागमाता को वचन दिया था कि वह उनके पुत्र को कुछ नहीं होने देंगे। उन्हें वह वापस जरूर लेकर आएंगे। उसके बाद जीमूतवाहन ने खुद को नाग के पुत्र की जगह खुद कपड़े में लिपटकर गरुड़ के पास जाकर एक शिला पर लेट गया। जहां गरुड़ अपना आहार उठाता था।
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उसके बाद जब गरुड़ आया और शीला पर अपने पंजों से जीमूतवाहन को दबाकर पहाड़ की तरफ ले गया। तब गरुड़ ने देखा कि इस बार न नाग चिल्ला रहा है और न ही रो रहा है। जब उसने कपड़ा हाया तो वहां जीमूतवाहन को देखकर हैरान हो गया। जीमूतवाहन ने सारी कहानी गरुड़ (गरुड़ पुराण नियम)को बताई।
जिसके बाद गरुड़ ने उन्हें छोड़ दिया और नागों को न खाने का वचन भी दिया। इस तरह जीमूतवाहन ने सभी नागों की रक्षी की, तभी से संतान (संतान प्राप्ति ज्योतिष उपाय)की दीर्घायु और सुरक्षा के साथ सुख-शांति के लिए जितिया व्रत में जीमूतवाहन भगवान की पूजा की जाती है। जो बेहद शुभ फलदायी साबित होती है।
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