(Jitiya Vrat) हिंदू पंचांग में हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा जाता है। इसे जितिया के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत बहुत कठिन माना जाता है। ये खासकर माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए रखती है। यह व्रत निर्जला रखा जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से बच्चों के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस व्रत की शुरूआत नहाय खाय से होती है और इसका पारण करने के बाद ही व्रत पूरा होता है। बता दें, इस साल दिनांक 06 अक्टूबर दिन शुक्रवार को सुबह 06:34 मिनट से लेकर जितिया व्रत के अष्टमी तिथि का समापन दिनांक 07 अक्टूबर को सुबह 08:08 मिनट पर होगा और व्रत का पारण दिनांक 07 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट के बाद ही होगा।
ऐसे में धार्मिक शास्त्रों में जितिया व्रत के दौरान पालन किए जाने वाले कई नियम हैं, जिन्हें करना बेहद जरूरी है। अगर व्रत में कोई गलती हो जाए, तो इससे अशुभ परिणाम भी मिल सकते हैं।
आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि जितिया व्रत के दिन किन सावधानियां को बरतने की आवश्यकता है और किन नियमों का पालन करना जरूरी होता है।
जितिया व्रत की शुरूआत से एक दिन पहले नहाय-खाय होता है। इस व्रत में महिलाएं छठ पूजा के समान पूजा-पाठ के बाद ही भोजन करती हैं। इसके बाद दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। इस दिन तामसिक भोजन करने से बचें और लहसून-प्याज भी न खाएं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि यह व्रत परंपरा की तरह पूरे विधि-विधान के साथ अपनाया जाता है। इस व्रत को पहले सास रखती हैं और उसके बाद घर की बहु रखती है। अगर आपने एक बार जितिया व्रत रखा है, तो इसे आपको हर साल करना जरूरी माना जाता है।
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शास्त्रों के अनुसार जितिया व्रत में ब्रह्मचार्य का पालन जरूर करना चाहिए और इस दिन कलह-क्लेश से दूर रहें। दूसरों के प्रति गलत भावना मन में न रखें। इससे देवी-देवता नाराज हो सकते हैं और व्रत के पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं होती है।
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जितिया व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त (ब्रह्म मुहूर्त मंत्र) में स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और इस दिन जो महिलाएं व्रत रख रहीं हैं, वह प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल की लिपाई करें। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत में एक छोटी सा तालाब बनाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है।
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संतान की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन (वैवाहिक जीवन उपाय) के लिए जितिया व्रत के लिए महिलाएं लाल और पीले रंग का धागा अपने गले में धारण करती हैं। जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है। इसकी गांठ बहुत ही सामान्य होती है। इस दिन खासकर सोने की लॉकेट में भी जितिया बनवाकर धारण किया जाता है।
जितिया व्रत का पारण दिनांक 07 अक्टूबर दिन शनिवार को सुबह 10:21 मिनट में किया जाएगा। इस दिन मीठा शरबत और तरोई की सब्जी खाकर व्रत का पारण किया जाता है।
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