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सर्वपितृ अमावस्या पर क्यों बनाई जाती है दान की टोकरी? जानें पवित्र नदी में बहाने का क्या है महत्व

सर्वपितृ अमावस्या के दिन दान की टोकरी बनाने का भी विशेष महत्व है। इस दिन दान की टोकरी बनाई जाती है और उसे पवित्र नदी में बहाया जाता है। ऐसे में आइये जानते हैं कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन बनने वाली दान की टोकरी में क्या-क्या रखा जाता है।
Editorial
Updated:- 2025-09-19, 11:32 IST

सर्वपितृ अमावस्या इस साल 21 सितंबर को पड़ रही है। इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी तिथि ज्ञात न हो। साथ ही, सर्वपितृ अमावस्या के दिन दान की टोकरी बनाने का भी विशेष महत्व है। इस दिन दान की टोकरी बनाई जाती है और उसे पवित्र नदी में बहाया जाता है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनके प्रति श्रद्धा परकत होती है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन बनने वाली दान की टोकरी में क्या-क्या रखा जाता है और क्या है इसे पवित्र नदी में बहाने का महत्व।

सर्वपितृ अमावस्या पर दान की टोकरी का महत्व

सर्वपितृ अमावस्या पर दान की टोकरी बनाने का मुख्य उद्देश्य पितरों को उनकी पसंद की चीजें अर्पित करना है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितर धरती पर आते हैं और अपने परिवार के सदस्यों से भोजन और पानी की अपेक्षा रखते हैं। दान की टोकरी में विभिन्न प्रकार की वस्तुएं रखी जाती हैं जो प्रतीकात्मक रूप से पितरों को भेंट की जाती हैं।

sarva pitru amavasya pr kya hai daan ki tokri banane ka mahatva

  • भोजन सामग्री: इसमें आटा, चावल, दाल, सब्जियां, और अन्य खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं।
  • वस्त्र: इसमें धोती, साड़ी, या अन्य वस्त्र रखे जाते हैं, जो पितरों के लिए वस्त्रों का प्रतीक होते हैं।
  • फल और मिठाई: यह पितरों को खुशी और प्रसन्नता देने के लिए रखी जाती हैं।
  • दक्षिणा: इसमें सिक्के या नोट भी रखे जाते हैं, जो पितरों के लिए धन का प्रतीक होते हैं।

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यह सभी वस्तुएं एक टोकरी में रखकर किसी गरीब या ब्राह्मण को दान की जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि यह दान सीधे पितरों तक पहुंचता है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

सर्वपितृ अमावस्या पर दान की टोकरी नदी में बहाने का महत्व

दान की टोकरी को पवित्र नदी में बहाने की परंपरा भी बहुत पुरानी है। इसके पीछे कई धार्मिक और प्रतीकात्मक कारण हैं।

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sarva pitru amavasya pr kya hai daan ki tokri banane ka mahatva

  • जल का महत्व: जल को जीवन का प्रतीक माना जाता है। पवित्र नदी में टोकरी बहाना जीवन के प्रवाह को दर्शाता है। ऐसा माना जाता है कि यह टोकरी पितरों को उनके अगले जीवन में आगे बढ़ने में मदद करती है।
  • मोक्ष: हिंदू धर्म में नदी को मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। नदी में टोकरी बहाना पितरों की आत्मा को मोक्ष प्रदान करने का एक तरीका है।
  • प्रतीकात्मक विसर्जन: यह टोकरी पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है। नदी में टोकरी बहाने का अर्थ है कि आपने पितरों के लिए अपना कर्तव्य पूरा कर दिया है और अब वे शांतिपूर्वक अपनी यात्रा जारी रख सकते हैं।

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image credit: herzindagi, gemini

FAQ
सर्वपितृ अमावस्या के दिन क्या दान देना चाहिए?
सर्वपितृ अमावस्या के दिन अन्न, धन और कपड़े का दान करना शुभ होता है। 
सर्वपितृ अमावस्या के दिन किस मंत्र का जाप करना चाहिए?
सर्वपितृ अमावस्या के दिन 'ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि। तन्नो पितृ प्रचोदयात्॥' मंत्र का जाप करना चाहिए। 
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