सर्वपितृ अमावस्या इस साल 21 सितंबर को पड़ रही है। इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी तिथि ज्ञात न हो। साथ ही, सर्वपितृ अमावस्या के दिन दान की टोकरी बनाने का भी विशेष महत्व है। इस दिन दान की टोकरी बनाई जाती है और उसे पवित्र नदी में बहाया जाता है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनके प्रति श्रद्धा परकत होती है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन बनने वाली दान की टोकरी में क्या-क्या रखा जाता है और क्या है इसे पवित्र नदी में बहाने का महत्व।
सर्वपितृ अमावस्या पर दान की टोकरी बनाने का मुख्य उद्देश्य पितरों को उनकी पसंद की चीजें अर्पित करना है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितर धरती पर आते हैं और अपने परिवार के सदस्यों से भोजन और पानी की अपेक्षा रखते हैं। दान की टोकरी में विभिन्न प्रकार की वस्तुएं रखी जाती हैं जो प्रतीकात्मक रूप से पितरों को भेंट की जाती हैं।
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यह सभी वस्तुएं एक टोकरी में रखकर किसी गरीब या ब्राह्मण को दान की जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि यह दान सीधे पितरों तक पहुंचता है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
दान की टोकरी को पवित्र नदी में बहाने की परंपरा भी बहुत पुरानी है। इसके पीछे कई धार्मिक और प्रतीकात्मक कारण हैं।
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