सर्वपितृ अमावस्या का दिन पितृ पक्ष का अंतिम और सबसे खास दिन होता है। इस दिन हमारे पूर्वज धरती से वापस अपने लोक जाते हैं। इसलिए, यह दिन उन्हें अंतिम विदाई देने, उनका आशीर्वाद लेने और उन्हें शांत करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन किए गए हर कार्य में मंत्रों का विशेष महत्व होता है। मंत्र हमारी भावनाओं को सही दिशा देते हैं और हमारे कार्यों को और भी शक्तिशाली बनाते हैं। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन स्नान-दान से लेकर श्राद्ध कर्म तक किन मंत्रों का जाप करें और क्या हैं उनसे मिलने वाले लाभ।
सर्वपितृ अमावस्या के दिन की शुरुआत पवित्र स्नान से होती है। स्नान करते समय मन में शुद्ध विचार रखने चाहिए और पितरों को याद करना चाहिए। इस दौरान आप इस सरल मंत्र का जाप कर सकते हैं 'ॐ पितृभ्यो नमः'।
इस मंत्र का जाप करते हुए स्नान करने से शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं। यह आपको पूरे दिन के धार्मिक कार्यों के लिए तैयार करता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्नान से सभी पाप धुल जाते हैं और आप अपने पितरों की दिव्य ऊर्जा से जुड़ पाते हैं।
सर्वपितृ अमावस्या पर दान का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन ब्राह्मणों, गरीबों या गायों को दान देने से पितर बहुत प्रसन्न होते हैं। दान करते समय मन ही मन कहें 'इदं दानं पितृभ्यः समर्पयामि'।
इस दिन किए गए दान का पुण्य सीधे हमारे पितरों को मिलता है, जिससे वे अपने आगे के सफर में सुखी रहते हैं। दान करने से हमारे अपने कर्म भी शुद्ध होते हैं और जीवन में धन-समृद्धि आती है।
तर्पण यानी पितरों को जल अर्पित करना, इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण कर्म है। तर्पण करते समय पूरी श्रद्धा से पितरों का ध्यान करना चाहिए और 'ॐ पितृगणाय विद्महे जगद्धारिणै धीमहि तन्नो पितृ प्रचोदयात्' मंत्र का जाप करना चाहिए।
तर्पण से हमारे पितरों की आत्मा को शांति और तृप्ति मिलती है। मंत्र के साथ तर्पण करने से यह जल सीधे पितरों तक पहुँचता है, जिससे वे प्रसन्न होकर परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। यह क्रिया पितृ दोष को भी दूर करने में मदद करती है।
श्राद्ध कर्म में पितरों को भोजन और अन्य चीजें अर्पित की जाती हैं। यह माना जाता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध सीधे पितरों को मिलता है। भोजन देते समय आप 'इदं अन्नं पितृभ्यः स्वधा' मंत्र का जाप कर सकते हैं।
श्राद्ध कर्म से पितरों की आत्मा को भोजन मिलता है और वे संतुष्ट होते हैं। यह कर्म हमें पितरों का सम्मान करना और उनके प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाना सिखाता है। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है और सभी कष्ट दूर होते हैं।
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इन सभी के अलावा, आप दिनभर कुछ अन्य शक्तिशाली मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं। गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप बहुत ही शुभ होता है। ये मंत्र सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करते हैं और हमें मानसिक शांति देते हैं।
इन सभी मंत्रों और कर्मों का मुख्य उद्देश्य अपने पितरों के प्रति श्रद्धा और प्रेम प्रकट करना है। जब हम पूरी श्रद्धा के साथ ये कार्य करते हैं, तो मंत्रों की शक्ति से हमारे पितर अवश्य प्रसन्न होते हैं और हमें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
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