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Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या पर इन जगहों पर जरूर जलाएं दीपक, पितृ दोषों से मिल सकती है मुक्ति

ऐसा माना जाता है कि सर्वपितृ अमावस्या पर अगर आप कुछ आसान उपाय आजमाएं तो पूर्वजों की कृपा पूरे साल बनी रहती है। यही नहीं इससे पितृ दोषों से मुक्ति भी मिल सकती है। ऐसे ही आपको इस दिन घर में कुछ स्थानों पर दीपक जलाने की सलाह दी जाती है। आइए जानें इस दिन किन स्थानों पर दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
Editorial
Updated:- 2025-09-18, 21:33 IST

हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृपक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या के दिन से होता है। इसे  महालय अमावस्या भी कहा जाता है। यह दिन उन सभी पूर्वजों को समर्पित होता है जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती है या जिनका श्राद्ध आप आम दिनों में नहीं कर पाते हैं। इस दिन श्रद्धा के साथ पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान और दीपदान जैसे कर्म किये जाते हैं। यही नहीं इस दिन घर के कुछ स्थानों पर दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितरों की आत्मा इस दिन पृथ्वी पर आती है और अपने वंशजों से आत्मा की संतुष्टि की इच्छा रखती है। इस दिन घर के विशेष स्थानों पर दीपक जलाना न केवल आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक है, बल्कि यह कई पितृ दोषों की मुक्ति का उपाय भी माना जाता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कि सर्वपितृ अमावस्या के दिन आपको किन स्थानों पर दीपक जलाना चाहिए।

घर की दक्षिण दिशा में जलाएं दीपक

घर की दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है, यह दिशा मृत आत्माओं, पूर्वजों और पितृ लोक से संबंधित है। शास्त्रों में वर्णित है कि यदि आप पितृपक्ष के दौरान दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों के लिए तर्पण करें और सर्वपितृ अमावस्या पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाएं तो पूर्वजों का पूरा आशीर्वाद मिलता है।

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यही नहीं यदि आप इसी दिशा में अमावस्या को दीपक जलाती हैं तब भी पूर्वजों की कृपा बनी रहती है। इस दीपक में सरसों का तेल डालकर जलाना शुभ माना जाता है। दीपक जलाने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोषों से मुक्ति मिलती है। इस दिशा में दीपक जलाकर, आप उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना कर सकती हैं।

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सर्वपितृ अमावस्या पर घर के मुख्य द्वार पर जलाएं दीपक

घर के मुख्य द्वार को किसी भी ऊर्जा का मुख्य स्रोत माना जाता है। यह घर में ऊर्जा का प्रवेश और प्रस्थान का स्थान होता है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाना पूर्वजों को विदा करने का संकेत होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूर्वज अपने लोक में वापस जा रहे होते हैं और उनकी सम्मान पूर्वक विदाई करने के लिए मुख्य द्वार पर चार मुखी दीपक जलाया जाता है। साथ ही, पूर्वजों से पितृ दोष मुक्ति की प्रार्थना भी की जाती है। प्रवेश द्वार पर दीपक जलाने के पीछे यह भी मान्यता है कि बाहरी वातावरण की अशुद्धि घर में न आ सके और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे। इस स्थान पर दीपक जलाते समय आप अपने पूर्वजों के नाम से शुद्ध मन से मन्नत करें।

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सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों की तस्वीर के पास जलाएं दीपक

यदि आप घर पर पूर्वजों की तस्वीर रखती हैं, तो आपको सर्वपितृ अमावस्या की रात को पूर्वजों की तस्वीर के पास दीपक जरूर जलाएं। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है और उनकी आत्मा को संतुष्टि भी मिलती है। पूर्वजों की तस्वीर के पास दीपक जलाते समय उनके नाम से प्रार्थना करें उन्हें फूल चढ़ाएं और उन्हें काले तिल और जल अर्पित करें। इस स्थान पर दीपक जलाने से आपके मन में पूर्वजों के प्रति निरंतर श्रद्धा बनी रहती है और उनकी आत्मा को संतुष्टि मिलती है। 
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