Khoicha and Kosi

कोसी और खोइछा: छठ पूजा में क्यों किए जाते हैं ये 2 खास अनुष्ठान, जानें इनकी पूरी कहानी

Khoicha and Kosi: किसे कहते हैं खोइछा और कोसा? छठ पूजा के दौरान इन दोनों अनुष्ठानों क्या है महत्व, जानते हैं इस लेख के माध्यम से...
Editorial
Updated:- 2025-10-27, 16:56 IST

हिंदू धर्म में छठ का व्रत सुख-समृद्धि और आरोग्य प्राप्ति के लिए रखा जाता है। इस पर्व में न केवल सूर्यदेव की उपासना की जाती है बल्कि करीब 36 घंटे तक बिना जल और अन्न को ग्रहण किए महिलाएं पूरे विधि-विधान से व्रत रखती हैं। बता दें कि छठ पूजा में खरना के बाद सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य देने का बेहद महत्व है। जब जल दे दिया जाता है तो इसके बाद सभी घर आ जाते हैं और परिवार के सभी एकत्रित हो जाते हैं। उसके बाद गन्ने से घेरा बनाया जाता है और कोसी को भरने की परंपरा है। इससे अलग खोइछा भी भरा जाता है। ऐसे में इन दोनों के बारे में पता होना जरूरी है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि छठ पूजा के दौरान खोइछा और कोसी क्यों भरा जाता है। जानते हैं इस लेख के माध्यम से...

क्या है खोइछा और कोसी?

बता दें कि छठ पूजा के दौरान खोइछा भरा जाता है, जो पारंपरिक अनुष्ठान के रूप में जाना जाता है। इसे बड़े बुजुर्गों द्वारा दिया जाता है जो इस बात का प्रतीक होता है कि व्रत रखने वाली महिला को न सौभाग्य का आर्शीवाद मिले बल्कि संतान प्राप्ति और समृद्धि दोनों उसके आंगन में हों।

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वहीं, कोसी भरने की परंपरा भी प्राचीन समय से चली आ रही है। कहते हैं कि सबसे पहले सीता मैया ने इस व्रत को रखा और कोसी भराई की रस्म निभाई। ऐसे में छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती महिलाएं घर आकर परिवार के साथ बैठकर ये खास रस्म कोसी निभाती हैं।

मान्यता है कि ये दोनों अनुष्ठान मन्नत का प्रतीक हैं। ऐसे में अगर किसी दंपत्ति को संतान पैदा नहीं हो रही है तो छठ पूजा का व्रत बेहद शुभ माना जाता है। वहीं जब संतान प्राप्ति हो जाती है तो पूरे परिवार के सुखी जीवन और अच्छे स्वास्थ्य के लिए कोसी भरी जाती है। बता दें कि कोसी मुख्य रूप से अपने घर की छत पर या घाट के किनारे बैठकर भरी जाती है।

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खोइछा में रखी जाने वाली चीजें?

खोइछा में यहां दी गई निम्न शुभ चीजें रखी जाती हैं-

  • चावल या गेहूं: समृद्धि का प्रतीक।
  • हल्दी की गांठ: सौभाग्य का प्रतीक।

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  • सुपारी और पान: पवित्रता और सम्मान का प्रतीक।
  • फल (जैसे नारियल): खुशहाली का प्रतीक।
  • सिक्का/पैसा: धन के आगमन का प्रतीक।
  • सिंदूर/अक्षत: धार्मिक शुद्धता का प्रतीक।

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